भारत में साल 2023 के दौरान बांग्लादेश से चिकित्सा के लिए आने वाले पर्यटकों की संख्या में जबरदस्त वृद्धि दर्ज की गई। इस दौरान चिकित्सा उद्देश्य से भारत आने वाले बांग्लादेशियों की संख्या 48 फीसदी बढ़कर 4,49,570 हो गई। जबकि मालदीव, श्रीलंका, पाकिस्तान और म्यांमार जैसे अन्य पड़ोसी देशों से इलाज के लिए भारत आने वाले लोगों की संख्या काफी कम है।
बिज़नेस स्टैंडर्ड के विश्लेषण में शामिल सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि भारत ने वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान श्रीलंका के लोगों को महज 1,432 चिकित्सा वीजा जारी किए जो एक साल पहले के मुकाबले 11.7 फीसदी कम है। इसी दौरान म्यांमार के नागरिकों को 3,019 चिकित्सा वीजा मिले जो एक साल पहले के मुकाबले 4 फीसदी अधिक है। पाकिस्तान के आंकड़े काफी कम हैं। वित्त वर्ष 2023-24 में केवल 76 पाकिस्तानियों को चिकित्सा वीजा जारी किए गए जबकि एक साल पहले यह आंकड़ा 106 था।
मैक्स हेल्थकेयर के वरिष्ठ निदेशक और मुख्य बिक्री एवं विपणन अधिकारी अनस अब्दुल वाजिद ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘राजनीतिक और सुरक्षा कारणों से हमें पाकिस्तान और अफगानिस्तान से मरीज नहीं मिल रहे हैं। भारत सरकार इन देशों के मरीजों को वीजा जारी नहीं करती है। हमने नेपाल से आने वाले मरीजों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की है। म्यांमार से आने वाले मरीजों की संख्या में भी लगातार वृद्धि हो रही है, मगर लंदन के फाइनैंशियल टाइम्स द्वारा अवैध किडनी प्रत्यारोपण के संबंध में की गई खोजबीन के बाद दूतावास एवं अधिकारी चिकित्सा वीजा जारी करने में काफी सतर्क हो गए हैं।’
वाजिद ने कहा कि बांग्लादेश से आने वाले मरीजों की संख्या में काफी वृद्धि दर्ज की गई है। उन्होंने कहा, ‘मरीज चेन्नई, बेंगलूरु, कोलकाता और दिल्ली जाते हैं। बांग्लादेश में भारतीय अस्पतालों की प्रतिष्ठा हमेशा से काफी अच्छी रही है। वहां के मरीज आम तौर पर प्रत्यारोपण, हृदयरोग, न्यूरो, ऑर्थो और कैंसर जैसी बीमारियों के उपचार के लिए यहां आते हैं। मैक्स हेल्थकेयर के प्रतिनिधि ढाका में मौजूद हैं जो हमारे अस्पतालों तक आने में मरीजों की मदद करते हैं।’
मगर आम चुनाव के दौरान बांग्लादेश से आने वाले मरीजों की संख्या में कुछ कमी आई है और सरकार ने भी कम वीजा जारी किए हैं। वाजिद ने कहा, ‘भारतीय दूतावास अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहा है, लेकिन चिकित्सा वीजा के लिए आवेदनों की बाढ़ आ जाती है। इसलिए मरीजों को भारत सरकार से चिकित्सा वीजा हासिल करने के लिए काफी इंतजार करना पड़ता है।’ पिछले वित्त वर्ष के दौरान मैक्स हेल्थकेयर के अंतरराष्ट्रीय कारोबार में एक साल पहले के मुकाबले 22 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई।
चिकित्सा के लिए बांग्लादेश से आने वाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है और उसे हवाई संपर्क बेहतर होने से भी गति मिली है। एयर इंडिया ने भारत और बांग्लादेश के बीच अपनी हवाई सेवाओं का विस्तार किया है। इस मार्ग पर विमानन कंपनी की साप्ताहिक उड़ानों की संख्या जून 2023 में महज 3 थी जो बढ़कर अब 14 हो चुकी है।
एयर इंडिया के एक अधिकारी ने बताया कि भारत-बांग्लादेश मार्ग पर मांग इतनी अधिक है कि अगर वाइडबॉडी विमानों को भी लगाया जाए जो वे पूरी क्षमता पर उड़ान भरेंगे। एयर इंडिया भारत-बांग्लादेश मार्ग पर फिलहाल नैरोबॉडी विमानों के साथ परिचालन करती है। वाइडबॉडी विमान में सीटों की संख्या काफी अधिक होती है।
भारत-बांग्लादेश मार्ग पर इंडिगो हर सप्ताह 35 और विस्तारा 11 उड़ानों का संचालन करती हैं। इन दोनों विमानन कंपनियों में से किसी ने भी इस बाबत जानकारी के लिए बिज़नेस स्टैंडर्ड द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब नहीं दिया। एविएशन एनालिटिक्स फर्म सिरियम के अनुसार, भारत और बांग्लादेश के बीच अब कुल मिलाकर 113 साप्ताहिक उड़ानों का संचालन होता है। इस प्रकार दोनों देशों के बीच हवाई यातायात में एक साल पहले के मुकाबले 10.8 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है।
चिकित्सा पर्यटन को अधिक सुविधाजनक बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले शनिवार को घोषणा की कि यहां इलाज कराने के इच्छुक बांग्लादेशी नागरिकों के लिए भारत ई-मेडिकल वीजा जारी करेगा। यह घोषणा बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के साथ बैठक के बाद की गई।
पीडब्ल्यूसी इंडिया के प्रबंध निदेशक (स्वास्थ्य सेवा) प्रीत मतानी ने कहा, ‘भारत में चिकित्सा लागत कम होने और उच्च गुणवत्ता वाले जटिल उपचार उपलब्ध होने के कारण बांग्लादेश से मरीजों की आवक बढ़ रही है। उन्हें इस प्रकार की सेवाएं स्थानीय स्तर पर आसानी से उपलब्ध नहीं होती हैं। इसके अलावा सांस्कृतिक समानता एवं भाषाई सहूलियत होने के साथ-साथ चिकित्सा वीजा हासिल करने में सुगमता और हवाई एवं सड़क मार्गों के जरिये शानदार कनेक्टिविटी ने भी चिकित्सा के लिए भारत आने वाले बांग्लादेशियों की तादाद बढ़ाने में मदद की है।’
विभिन्न देशों से चिकित्सा पर्यटकों को आकर्षित करने के उपायों के बारे में पूछे जाने पर मतानी ने कहा कि भारत निःशुल्क चिकित्सा वीजा प्रदान करते हुए आवेदन प्रक्रिया में तेजी ला सकता है। उन्होंने सस्ती चिकित्सा यात्रा को बढ़ावा देने के लिए एक नोडल निकाय बनाने का सुझाव दिया। इसके अलावा उन्होंने बेहतर कनेक्टिवटी के लिए लक्षित देशों के साथ सीधी उड़ान सेवाएं बढ़ाने पर भी जोर दिया।
अस्पतालों का कहना है कि भारत के पूर्वी हिस्सों और बांग्लादेश के बीच सांस्कृतिक एवं भाषाई समानताएं भी रोगियों को आकर्षित करने में मदद करती हैं।
पारस हेल्थ के ग्रुप सीओओ डॉ. संती साजन ने कहा कि भौगोलिक निकटता (बांग्लादेश से कोलकाता तक सड़क मार्ग से यात्रा की जा सकती है) के साथ-साथ भाषाई एवं सांस्कृतिक समानताएं भी इस रुझान को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाती हैं।
उन्होंने कहा, ‘निजी चिकित्सा कंपनियों द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाएं भी इसे रफ्तार दे रही हैं। इसमें डॉक्टर से अपॉइंटमेंट लेने, ठहरने के दौरान चिकित्सा परामर्श आदि के अलावा व्यापक पैकेज की पेशकश भी शामिल हैं। पारस हेल्थ में भी बांग्लादेश एवं अन्य पड़ोसी देशों से आने वाले मरीजों की संख्या में वृद्धि दर्ज की गई है। यहां तक कि पश्चिमी देशों से भी विभिन्न रोगों के उपचार के लिए मरीजों की आवक बढ़ रही है। यह रुझान वैश्विक स्वास्थ्य सेवा केंद्र के रूप में भारत की उभरती भूमिका को रेखांकित करता है।’
वैश्विक महामारी कोविड के बाद बांग्लादेश से पश्चिम बंगाल आने वाले मरीजों की संख्या में जबरदस्त वृद्धि दर्ज की गई है।
कलकत्ता मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट के यूनिट प्रमुख सोमब्रत रॉय ने कहा, ‘वैश्विक महामारी के बाद बांग्लादेश से पश्चिम बंगाल में आने वाले मरीजों की संख्या में 10 फीसदी की वृद्धि हुई है। इसकी कई वजहें हैं जिनमें पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के बीच भौगोलिक निकटता, ट्रेन एवं बसों के जरिये सीधी कनेक्टिविटी और दोनों इलाकों के बीच साझा सांस्कृतिक, भाषाई और खानपान संबंधी प्रवृत्ति शामिल हैं।’
बहरहाल, बांग्लादेश के मरीज पहले इलाज के लिए अन्य दक्षिण एशियाई देशों का रुख करते थे। मगर कोविड-19 के दौरान प्रतिबंधों के कारण तमाम लोगों ने पश्चिम बंगाल का रुख किया था जो अब उनकी स्वास्थ्य सेवा जरूरतों के लिए पसंदीदा स्थान बन गया है।