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Guillain-Barre Syndrome: महाराष्ट्र में तेजी से पैर पसार रहा है GBS, अब तक चार की मौत, महंगा इलाज लोगों को कर रहा है परेशान

स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, राज्य में दुर्लभ तंत्रिका रोग के संदिग्ध मामलों की संख्या बढ़कर 130 हो गई है।

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सुशील मिश्र   
Last Updated- January 31, 2025 | 8:18 PM IST

महाराष्ट्र में गुलियन बेरी सिंड्रोम (GBS) का कहर बढ़ता ही जा रहा है । राज्य में शुक्रवार को GBS से दो और लोगों मौत हो गई। इस वायरस ने महाराष्ट्र में अब तक चार लोगों की जान ले चुका है। यह वायरस राज्य में तेजी पैर पसार रहा है जिससे लोगों में कोरोना जैसी महामारी आने का डर सताने लगा है। पिंपरी-चिंचवड में सबसे ज़्यादा मामले सामने आए हैं। जबकि सबसे ज्यादा मौत पुणे में हुई हैं।

शुक्रवार को महाराष्ट्र के पिंपरी चिंचवाड़ में गुलियन बेरी सिंड्रोम ने एक मरीज की जान ले ली है । वहीं, पुणे में भी एक मरीज की इसी वायरस से मौत हुई है। पिंपरी वाले मृतक की उम्र 36 साल थी। मरीज एक कैब सेवा प्रदाता कंपनी में चालक के रूप में काम करता था और उसे 21 जनवरी को पिंपरी चिंचवड़ स्थित यशवंतराव चव्हाण मेमोरियल अस्पताल (वाईसीएमएच) में भर्ती कराया गया था। पिंपरी चिंचवड़ नगर निगम ने एक विज्ञप्ति में कहा कि वाईसीएमएच की एक विशेषज्ञ समिति ने जांच की। जांच में मौत का कारण निमोनिया की वजह से श्वसन प्रणाली को गंभीर नुकसान बताया गया है, जिससे व्यक्ति को सांस लेने में अत्यंत कठिनाई हुई। 22 जनवरी को किए गए तंत्रिका चालन परीक्षण (एनसीटी) में मरीज के GBS से पीड़ित होने का भी पता चला था। समिति ने कहा कि जांच में मौत का तात्कालिक कारण एक्यूट रेस्पीरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम (एआरडीएस) बताया गया है।  

स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, राज्य में दुर्लभ तंत्रिका रोग के संदिग्ध मामलों की संख्या बढ़कर 130 हो गई है।  शुक्रवार को पुणे में एक व्यक्ति की मौत हुई जबकि एक दिन पहले एक दिन पहले गुरुवार को भी पुणे में ही GBS वायरस ने एक महिला को शिकार बनाया था। वायरस से पहली मौत एक पुरुष की थी। पुणे में अब तक तीन की लोगों की मौत हो चुकी है । राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने 24 जनवरी को एक रैपिड रिस्पांस टीम (आरआरटी) बनाई थी। यह टीम GBS के बढ़ते मामलों की जांच कर रही है। शुरुआत में 24 संदिग्ध मामले पाए गए थे। आरआरटी और पीएमसी के स्वास्थ्य विभाग प्रभावित इलाकों में निगरानी कर रहे हैं। कुल 7,215 घरों का सर्वेक्षण किया गया है। इनमें पुणे महानगर पालिका सीमा में 1,943 घर, चिंचवड महानगर पालिका सीमा में 1,750 घर और ग्रामीण इलाकों में 3,522 घर शामिल हैं।

डॉक्टरों के अनुसार बैक्टीरिया और वायरस के संक्रमण से जबीएस हो सकता है। यह संक्रमण मरीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमज़ोर कर देता है। GBS बच्चों और युवाओं दोनों में होता है। लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि यह महामारी नहीं फैलाएगा। ज़्यादातर लोग इलाज से पूरी तरह ठीक हो जाते हैं। GBS एक ऑटोइम्यून बीमारी है। इसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली नसों पर हमला करती है। इससे नसों में सूजन आ जाती है और मांसपेशियों तक संकेत नहीं पहुंच पाते। इससे कमज़ोरी और लकवा हो सकता है। इनमें बैक्टीरिया या वायरस का संक्रमण, सर्जरी, टीकाकरण आदि शामिल हैं। GBS का इलाज दवाओं और थेरेपी से किया जाता है। इसमें इम्यूनोग्लोबुलिन थेरेपी और प्लाज़्मा एक्सचेंज शामिल हैं।

राज्य में ज्यादातर मामले पुणे और आस-पास के इलाकों से हैं। नए मामले सहित, संक्रमण के सभी मामले संभवत: दूषित जल स्रोतों से जुड़े हैं। माना जाता है कि दूषित भोजन और पानी में पाया जाने वाला बैक्टीरिया कैम्पिलोबैक्टर जेजूनी इस प्रकोप का कारण है।

महंगा इलाज लोगों को कर रहा बेचैन

डॉक्टरों के मुताबिक मरीजों को आमतौर पर इम्युनोग्लोबुलिन इंजेक्शन के कोर्स करना होता है। निजी अस्पताल में इसके एक इंजेक्शन की कीमत 20 हजार रुपए है। कई मरीजों में 10-15 इंजेक्शन लगाने पड़ रहे हैं। इस बीमारी का खर्च स्वास्थ्य बीमा कंपनियां भी देने को तैयार नहीं हैं। जिससे मरीज और उसके परिजन और परेशान हो रहे हैं। हालांकि महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एवं वित्त मंत्री अजीत पवार ने जीबीसी मरीजों के मुफ्त इलाज की घोषणा की। उन्होंने कहा कि पिंपरी-चिंचवड के लोगों का इलाज बीसीएम अस्पताल में होगा, जबकि पुणे नगर निगम क्षेत्र के मरीजों का इलाज कमला नेहरू अस्पताल में होगा। ग्रामीण क्षेत्रों की जनता के लिए पुणे के ससून अस्पताल में फ्री इलाज मिलेगा।

First Published : January 31, 2025 | 8:15 PM IST