उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सलाहकार अवनीश कुमार अवस्थी ने कहा है कि प्रदेश के विकास का मंत्र यह है कि हर व्यक्ति को रोजगार मिले और हर महिला को सुरक्षित वातावरण में काम करने का मौका मिले। उन्होंने कहा कि मुफ्त योजनाएं बांटने के बजाय बजट के जरिए ऐसे प्रोत्साहन दिए जाने चाहिए, जिससे उद्योगों को बढ़ावा मिल सके।
पर्यटन में बढ़ती लोकप्रियता
अवस्थी लखनऊ में आयोजित बिजनेस स्टैंडर्ड ‘समृद्धि’ राउंड टेबल के एक पैनल चर्चा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश अब पर्यटन के क्षेत्र में तिरुपति से आगे निकल रहा है। वाराणसी, अयोध्या, और मथुरा के कारण हर दिन उत्तर प्रदेश में दो लाख पर्यटक आ रहे हैं, जबकि जनवरी 2025 में होने वाले कुंभ मेले में करोड़ों लोगों के आने की उम्मीद है।
अवस्थी ने यह भी बताया कि राज्य 1.5 लाख करोड़ रुपये का पूंजी निर्माण कर रहा है और जल्द ही महाराष्ट्र को पीछे छोड़कर नंबर एक राज्य बन जाएगा। उन्होंने कहा कि 2016-17 में पर्यटन का बजट 200 करोड़ रुपये था, जो अब 10 गुना बढ़ गया है।
निवेश और आर्थिक विकास की आवश्यकता
मीडिया सलाहकार रहीस सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश के विकास के लिए निवेश जरूरी है और इसके लिए धारणा को बदलना होगा। उन्होंने कहा, “अगर शांति नहीं होगी तो आर्थिक मॉडल कैसे काम करेगा? पिछले सात साल में इस वातावरण में काफी बदलाव आया है।”
सिंह ने हाल ही में नोएडा में आयोजित अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में 56 प्रतिशत अधिक सौदे होने की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इसमें ‘एक जिला, एक उत्पाद’ (ODOP) को सबसे ज्यादा फायदा हुआ है।
प्रदूषण नियंत्रण और पर्यावरण संरक्षण
उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPPCB) के अध्यक्ष रविंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि उद्योगों को समझना चाहिए कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व्यवसाय में बाधा नहीं है। लेकिन साथ ही, यह जरूरी है कि पर्यावरण का ध्यान रखा जाए ताकि विकास के लाभ अगली पीढ़ियों को मिल सकें।
बुनियादी ढांचे का महत्व
भारतीय स्टेट बैंक के मुख्य जनरल मैनेजर शारद एस चंदक ने कहा कि विकास का विचार बुनियादी ढांचे के बिना नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा, “अगर सड़कें और परिवहन नहीं हैं, तो पर्यटक कैसे पहुंचेंगे?”
उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश का क्रेडिट-डिपॉजिट (CD) अनुपात 60 प्रतिशत को पार कर गया है, जो राज्य में पिछले कुछ वर्षों में हुए विकास का संकेत है। चंदक ने कहा कि न तो नेट ज़ीरो लक्ष्य उद्योगों के विकास में बाधा डाल रहा है और न ही औद्योगिक इकाइयां इस लक्ष्य को हासिल करने में रुकावट पैदा कर रही हैं।