यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) ट्रांजैक्शन ने मई में वैल्यू के मामले में 14.3 ट्रिलियन रुपये और वॉल्यूम के मामले में 9.41 बिलियन का नया उच्च स्तर हासिल किया। यह अप्रैल की तुलना में वैल्यू में 2 प्रतिशत (14.07 ट्रिलियन रुपये) और वॉल्यूम में 6 प्रतिशत (8.89 बिलियन) की बढ़ोतरी है।
नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) के आंकड़ों के मुताबिक, मई के आखिरी दस दिनों में करीब 3.96 लाख करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ। पिछले वित्तीय वर्ष (2022-23) में मई की तुलना में लेनदेन की मात्रा में 58 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई, जबकि वैल्यू में 37 प्रतिशत की वृद्धि हुई। य
ह वृद्धि ऐसे समय में हुई है जब सरकार विभिन्न क्षेत्रों में टैक्स कलेक्शन को डिजिटल भुगतान के तहत लाने पर जोर दे रही है। मार्च 2023 में, संख्या 14.1 ट्रिलियन रुपये की वैल्यू के साथ 8.68 बिलियन थी।
तत्काल भुगतान सेवा (IMPS) लेनदेन अप्रैल में 5.21 ट्रिलियन रुपये की तुलना में लगभग 1 प्रतिशत की मामूली वृद्धि के साथ 5.26 ट्रिलियन रुपये हो गया। इसी अवधि के दौरान, IMPS का वॉल्यूम भी मई में मामूली रूप से बढ़कर 50 करोड़ हो गया, जबकि अप्रैल में यह 49.6 करोड़ था। मार्च 2023 में यह 49.7 करोड़ और 5.46 लाख करोड़ रुपये थी। मई 2022 की तुलना में मई के आंकड़ों में IMPS पर मात्रा के लिहाज से 3 प्रतिशत और मूल्य के लिहाज से 16 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई।
मई में FASTag लेनदेन में वॉल्यूम के हिसाब से 10 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई, अप्रैल में यह 30.5 करोड़ से मई में 33.5 करोड़ पहुंच गई। मूल्य के लिहाज से यह अप्रैल में 5,149 रुपये की तुलना में मई में 6 प्रतिशत बढ़कर 5,437 करोड़ रुपये हो गया। इस सेगमेंट में भी अप्रैल 2022 की तुलना में 17 प्रतिशत वॉल्यूम ग्रोथ और 24 प्रतिशत वैल्यू ग्रोथ देखी गई। मार्च 2023 में, ये संख्या 5,067 करोड़ रुपये के मूल्य के साथ 306.3 मिलियन लेनदेन थी।
आधार सक्षम भुगतान प्रणाली (AePS) मई में 2.35 प्रतिशत घटकर 99.6 मिलियन रह गई, जबकि अप्रैल में यह 10.2 करोड़ थी। मूल्य के संदर्भ में, यह मई 2023 में 28,037 करोड़ रुपये पर थी, जो अप्रैल में 29,649 करोड़ रुपये से 5.4 प्रतिशत कम था।
चालू महीने के आंकड़े 30,541 करोड़ रुपये के मूल्य के साथ मार्च 2023 के 109.7 करोड़ लेनदेन की संख्या से बहुत कम हैं। साल-दर-साल आधार पर भी AePS संख्या में मात्रा के लिहाज से 9 फीसदी और मूल्य के लिहाज से 8 फीसदी की कमी आई है।