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इस्तेमाल पर लगानी होगी लगाम

Last Updated- December 08, 2022 | 12:44 AM IST

वेतन में वृध्दि के साथ बैंक और क्रेडिट कार्ड कंपनियां अपनी क्रेडिट सीमा को बढ़ा सकती हैं। उधारी की उपलब्धता खासतौर पर क्रेडिट कार्ड, ऐसी स्थिति में डाल सकती है, जहां ज्यादातर लोग कार्ड का इस्तेमाल शुरू कर देते हैं।


हालांकि, हम इस बात को हमेशा भूल जाते हैं, कि क्रेडिट कार्ड की सीमा का मतलब यह नहीं है कि हमें उतना खर्च करना ही करना है। साथ ही उधारी पर इस नजरिये से देखना भी गलत है कि हमारे पास कुछ पैसे इस्तेमाल के लिए उपलब्ध हैं। आपको कुछ समय बाद इन पैसों को चुकाना होगा और वह भी भारी ब्याज के साथ। पुनर्भुगतान में देरी आप पर भारी बोझ डालती है।

ज्यादातर बैंक बकाया राशि पर 30 प्रतिशत के आस-पास ब्याज लेते हैं, जबकि कुछ सालाना 45 प्रतिशत तक ब्याज लेते हैं। दूसरे शब्दों में एक लाख रुपये के बकाये पर आपको 30 हजार से 45 हजार रुपये के बीच सिर्फ ब्याज ही देना होगा।

इसमें हैरत की बात नहीं कि वित्तीय योजनाकार आपको कार्ड लेने से पहले सलाह देंगे कि आप खुद अपने खर्चों पर नजर रखें। क्रेडिट की सीमाएं जो आपको पेश की जा रही हैं उनके प्रति सतर्क रहें। उदाहरण के लिए हो सकता है कि आपको 1 लाख रुपये की क्रेडिट सीमा मिल रही हो। आपको खुद से यह अहम सवाल पूछाना चाहिए कि क्या वाकई मुझे इसकी जरूरत है?

हालांकि अधिक से अधिक राशि की उपलब्धता एक अच्छा संकेत है, लेकिन इस बात की जरूरत नहीं है कि इसका इस्तेमाल कर लिया जाए, क्योंकि आपको इस वक्त यह उपलब्ध है। इसी तरह आपको उस लेनदारी पर भी लगातार नजर बनाए रखनी चाहिए, जिसका इस्तेमाल भी आप करने वाले हैं, ताकि संभावित देनदारी एक निश्चित आंकड़े से अधिक न हो जाए।

इस तरह से यह जरूरी है कि हर व्यक्ति एक रकम तय कर ले, जिसे वह अपने क्रेडिट कार्ड पर इस्तेमाल करने के लिए सक्षम है। आपकी कुल उधारी, जिसमें दूसरे कर्जे भी शामिल हैं, आपकी आय के 30 से 35 प्रतिशत हिस्से से अधिक नहीं होने चाहिए।  इससे यह बात सुनिश्चित हो जाती है कि आपके वित्त पर बहुत अधिक दबाव नहीं है और भुगतान पर भी कुछ नियंत्रण है।

पूरा कर्ज जिसकी आपको जरूरत है, आपकी आय के अलावा आपके खर्च करने की आदतों पर निर्भर है। अगर आप ‘नकद-पसंद’ व्यक्ति हैं तो आपके ज्यादातर खर्चे नकद में होते हैं और आपको बहुत कम क्रेडिट सीमा की जरूरत है।

दूसरी तरफ अगर आपको अपने पास कुछ अतिरिक्त पैसा आकस्मिक खर्चों जैसा अस्पताल आदि के लिए रखना चाहते हैं तो कुछ अधिक सीमा आपके लिए जरूरी है।अगर आपको कार्ड का अधिक से अधिक इस्तेमाल करने की आदत है तो आपके सभी खर्चे कार्ड से ही पूरे होते हैं, इसलिए आपको आपको ऐसी सीमा की जरूरत है जो काफी अधिक हो।

लेकिन जैसी भी स्थिति हो, यह जरूरी है कि हर व्यक्ति सावधानी से अपनी स्थितियों से विचार करे और फिर क्रेडिट कार्ड के लिए न्यूनतम राशि की सीमा तय करे, जिसकी उसे जरूरत है। लेकिन एक बार जब आपको सीमा मिल जाती है, तो क्रेडिट कार्ड को चुनने से लेकर उसे इस्तेमाल करने तक यह सुनिश्चित करें कि आप उधारी के शिंकजे में फंस न रहे हों।

साथ ही अगर आपके पास कई कार्ड हों तो, आपको पूरी स्थिति पर नजर रखने की जरूरत है न कि किसी एक खास कार्ड पर, क्योंकि आमतौर पर हमारी यह आदत रहती है कि हम किसी एक कार्ड की सीमा को देखते हुए कहते हैं, ‘ओह, मैंने दूसरे कार्ड पर खर्चा नहीं किया, जो जिस पर पहले ही खर्चा कर चुका हूं या मैं कोई एक कार्ड ठीक तरीके से इस्तेमाल कर रहा हूं।’

जैसे अलग-अलग कार्डों में आपके कुल क्रेडिट की सीमा दी जाती है, ऐसो ही कुल खर्च भी सभी कार्डों में बराबर बंटा होना चाहिए। और अक्सर ऐसा होता है कि कोई व्यक्ति अपनी सुविधा के लिए जब इस्तेमाल की बात होती है तो कोई एक कार्ड अलग कर लेता है।

बेशक अंतिम और अहम बात कि पुनर्भुगतान की अंतिम तिथि से जितना पहले हो सके उतनी पहले और लगातार भुगतान से कम ब्याज लगता है और आपके पैसे पर कम से कम दबाव बना रहता है। साथ ही लंबे समय में आपकी परेशानियां भी कम हो जाती हें।

नियंत्रित खर्च कार्ड पर निश्चित खर्च को सुनिश्चित करता है, जिससे जिंदगी काफी आसान हो जाती है।

First Published - October 19, 2008 | 10:31 PM IST

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