सबसे पहले यह जानना बेहद जरूरी है कि रिटर्न की जांच क्या है। आय कर (आईटी) अधिनियम के तहत अगर आय कर अधिकारी (आईटीओ) को लगता है कि आपने रिटर्न में किसी आय को छिपाया है ।
या फिर अपने अपने रिटर्न फाइल में गलत ब्यौरा दिया है तो वह आपके आय कर निर्धारण को मंजूरी दिए जाने से पहले इस रिटर्न फाइल की समीक्षा कर सकता है।
आय कर अधिकारी आपके द्वारा रिटर्न फाइल किए गए वित्त वर्ष के अंत से 6 महीने के अंदर आपको एक नोटिस भेज सकता है।
करदाताओं को चार्टर्ड अकाउंटेंट या अन्य कर विशेषज्ञ को रखने की अनुमति है। यदि आप किसी अधिकृत रिप्रेंजेंटेटिव को नियुक्त करने का फैसला लेते हैं तो आपको पावर ऑफ अटॉर्नी हासिल करना अनिवार्य है।
समीक्षा आकलन के दौरान आईटीओ का मुख्य कार्य यह सुनिश्चित करना होता है कि रिटर्न में दिखाई गई आय का ब्यौरा सही है और क्या यह कर के दायरे में नहीं है।
रिटर्न में दिखाए गए खर्च की भी जांच की जाती है जिससे यह पता लगाया जा सके कि क्या वास्तव में यह खर्च किया गया था।
इसके लिए आईटीओ आपके सभी बैंकों के स्टेटमेंट मांग सकता है। इसमें आपके क्रेडिट कार्ड, दोस्तों को दिए गए या उनसे लिए गए ऋण आदि का भी ब्यौरा भी शामिल हो सकता है।
नए करदाताओं को कर निर्धारण के वक्त निम्नलिखित पहलुओं को ध्यान में रखना चाहिए:
यह सुनिश्चित करना होगा कि बैंक स्टेटमेंटपासबुक में दिखाए गए आय के सभी ब्यौरे आपके रिटर्न में दिखाए गए हैं या नहीं।
इन्हें रिटर्न फाइल में शामिल किया जाना चाहिए। संपत्ति और आय का रिकॉर्ड रखने के लिए हर साल एक बैलेंस शीट भी बनाई जानी चाहिए।
ज्यादातर लेनदेन व्यक्तिगत और घरेलू खर्च के लिए किया जाना चाहिए। एक आईटीओ अक्सर उस धन का एक अनुमान तैयार करता है जिसकी आपकी तरह किसी भी परिवार को घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए जरूरत पड़ती है।
यह परिवार के आकार, शहर के इलाके में रहन-सहन पर खर्च या अन्य मानकों पर आधारित होता है। इसके बाद वह आपके द्वारा किए गए लेन-देन से उसकी तुलना करता है।
यदि इसमें कोई कमी पाई जाती है तो यह समझा जाएगा कि रोजाना के खर्च के लिए काले धन का इस्तेमाल किया गया है और इसी के मुताबिक आपकी आय पर जुर्माना लगा दिया जाएगा।
यह सुनिश्चित करें कि आप क्रेडिट कार्ड पर वसूले जाने वाले खर्च का भुगतान किसी नियमित बैंक अकाउंट के जरिये करते तों।
आपके द्वारा किए जाने वाले सभी निवेशों का एक सही रिकॉर्ड रखा जाना चाहिए।
अगर आप एचआरए छूट का दावा करते हैं तो इसके लिए आपको किराया भुगतान का प्रूफ जुटाना होगा।
आईटीओ आय कर अधिनियम की नई धारा 14ए के तहत आय पर छूट के लिए किए गए खर्च के ब्यौरे को अस्वीकार कर सकता है। उदाहरण के लिए, यदि आपने लाभांश प्राप्ति वाले शेयरों में निवेश के लिए रकम उधार ली है तो उधार ली गई इस रकम पर ब्याज भुगतान को अन्य स्रोत से व्यावसायिक आय से नहीं जोड़ा जा सकता, क्योंकि लाभांश कर-मुक्त है।
इसलिए करदाता को ऐसी उधारी या कर-मुक्त रिटर्न के लिए किए जाने वाले ऐसे खर्च से बचना चाहिए। आय कर अधिकारी पेश किए गए ब्यौरों की जांच के लिए छानबीन आदेश और एक नोटिस ऑफ डिमांड जारी कर सकता है।
इसमें कोई संदेह नहीं है कि आय कर अधिकारी की यह जांच प्रक्रिया करदाता के लिए एक मुश्किल पैदा कर सकती है। इसकी एक प्रमुख वजह यह है कि आय कर विभाग का मुख्य ध्यान ज्यादा से ज्यादा कर जुटाए जाने पर होता है। लेकिन सही उपाय अपना कर और शुरू से ही सही रिकॉर्ड रख कर आप स्वयं ही इस जटिलता को काफी हद तक कम कर सकते हैं।