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… ताकि धीरे-धीरे संभाला जा सके दर्द-ए-दर

Last Updated- December 07, 2022 | 2:46 PM IST

पिछले सप्ताह भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर वाई वी रेड्डी ने ब्याज दरों को फिर से बढ़ाकर सबको हैरत में डाल दिया।


देश के शीर्ष बैंक आरबीआई ने रेपो दर को 0.50 प्रतिशत और नकद सुरक्षित अनुपात (सीआरआर) 0.25 प्रतिशत बढ़ा दिया। कुछ ही दिनों के भीतर बैंकों ने भी अपनी दरें शीर्ष बैंक को देखते हुए बढ़ा दीं।

पंजाब नैशनल बैंक (पीएनबी) ने अपनी होम लोन दरों में 1 प्रतिशत की बढ़ोतरी की। इसके तुरंत बाद एचडीएफसी और आईसीआईसीआई बैंक ने अपनी-अपनी दरें 0.75 प्रतिशत बढ़ाईं, जो अगस्त से प्रभावी होंगी। पिछले कुछ वर्षों में भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से वृध्दि कर रही है। सकल घरेलू उत्पाद में 8 से 9 प्रतिशत की तेज विकास दर वेतनों में जबरदस्त इजाफे का दावा करती है। साथ ही आमदनी में वृध्दि सामान और सेवाओं के लिए मांग में इजाफे के रूप में तब्दील हो रही है। 

आज कोई भी बिल्डर की ओर से बनाए गए एक बेडरूम वाले अपार्टमेंट के बारे में नहीं सोचता। अब वह कम से कम 2 बेडरूम वाले फ्लैट पर ध्यान दे रहा है। इसका मतलब यह है कि जैसे-जैसे आय बढ़ रही है, वैसे-वैसे कीमतें और अपार्टमेंट का औसत आकार भी बढ़ रहा है। और इस वृध्दि का मतलब यह है कि ईएमआई (समान मासिक किश्तों) के साथ देख-रेख खर्च किसी भी बजट की घंटी बजा सकते हैं। आज उपभोक्ता को एक फायदा हो रहा है, जो एक दशक पहले नहीं था, वह यह कि सरकार घर की खरीद को बढ़ावा देने के लिए कर लाभों को बढ़ा रही है। इससे कर्ज का बोझ काफी अहम तरीके से कम हो रहा है।

किसी भी घर के खरीदार को आज 1.5 लाख रुपये सालाना ब्याज के पुनर्भुगतान पर कर्ज में कर में छूट मिल रही है। साथ ही मूल राशि के भुगतान पर सालाना धारा 20 सी के तहत 1 लाख रुपये छूट मिल रही है। कुल मिलाकर यह लाभ 2.5 लाख रुपये का है, जिस पर दावा किया जा सकता है। इससे कर देनदारी भी कम हो रही है। हालांकि जब ब्याज दरें तेजी से बढ़नी शुरू होती हैं, उपभोक्ताओं को अपने बजट को काबू में रखने के लिए अन्य विकल्प भी तलाशने चाहिए, जिससे उन पर वित्तीय रूप से अधिक बोझ न पड़े। यहां कुछ ऐसे ही उपाय दिए जा रहे हैं, जिससे बढ़ती ब्याज दरों के दौर से उभरने में मदद मिलेगी।

अपने हर कर्ज की समीक्षा करें और हर कर्ज की परिशोधन सूची पर एक नजर डालें। आप ध्यान दें कि आपको हर महीने कितने रुपये बतौर ब्याज के देने हैं। कार ऋण आवासीय ऋण की तरह नहीं होता। इसमें अधिकतर ब्याज दरें फिक्स्ड होती हैं (कुछ बैंक जैसे कि आईसीआईसीआई बैंक ने हाल ही में कार ऋण पर भी फ्लोटिंग दरें पेश की हैं) और इसलिए मौजूदा कार ऋण बढ़ती ब्याज दरों से प्रभावित नहीं होते।

अगर आप पहले ही अपने कार ऋण के लिए 3 से 3.5 साल या ऋण अवधि का अधिक हिस्सा अदा कर चुके हैं, तो आपको आगे हिसाब-किताब लगाने की कोई जरूरत नहीं हैं। आप अपना बचा हुआ ब्याज जांचें और यह इतना होगा कि आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है। ऐसी स्थिति में ऋण के साथ आगे बढ़ें। ऐसा ही होम लोन के साथ भी होता है। अगर आपने 15 वर्ष के लिए ऋण लिया है और आप उसकी अवधि में से 10 से 12 वर्ष तक का समय पूरा कर चुके हैं, तब ब्याज दरों में हुए इजाफे का आपकी मासिक किश्तों पर बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ने वाला।

अब कर्ज लेकर कार खरीदना बेहतर विकल्प नहीं रहा। ऑटो ऋण लेने से पहले आप अपनी सभी परिस्थितियों पर नजर दौड़ाएं। अगर आप फिर भी ऋण लेना चाहते हैं तब आप यह देखें कि क्या आपका कोई ऐसा निवेश है, जिससे आपको बेहतर रिटर्न नहीं मिल रहा। आप इनमें से कुछ को नकदी में तब्दील करें। अगर आपको कार ऋण पर ही लेनी है, तब इस बात का ध्यान रखें कि आप कार डीलर से पहले सस्ते में सौदा कर लें। हो सकता है कि आपको एक अच्छा सौदा मिल जाए, क्योंकि अभी कारों की बिक्री में भी मंदी चल रही है (जैसा कि ऑटों कंपनियों के बिक्री आंकड़ों से पता चलता है)।

किसी भी अन्य ऋण को लेने से पहले अपने निजी ऋणों और क्रेडिट कार्ड की देनदारियों का भुगतान कर दें। और एक बार आपको जब अपने सभी ऋणों के परिशोधन का समय पता चल जाए, तब आप अभी अपने होम लोन के लगभग 25 प्रतिशत या फिर उसके कुछ हिस्से का समय से पहले भुगतान कर सकते हैं ताकि उस अवधि में इजाफे की संभावनाओं को कम किया जा सके। हमेशा ध्यान रखें कि बढ़ती दरों का असर या तो आपकी ईएमआई या फिर उसकी अवधि पर पड़ता है।

हालांकि ईएमआई का असर आपको तुरंत नजर आ जाएगा, लेकिन अवधि में इजाफे का असर आपको बाद में दिखाई देगा। वैकल्पिक तौर पर किसी को भी अपनी निवेश योजनाओं से सुनिश्चित हो जाना चाहिए कि अगले कुछ वर्षों में वे ऋणों की ब्याज दरों का आसानी से भुगतान कर देगा। अगर आप अपने पैसे को सावधि जमा में लगाने के बारे में विचार कर रहे हैं, तो इससे आप अपने ऋण को आसानी से चुका पाएंगे।

अगर आपकी योजना नया घर खरीदने की है तो आप सावधानीपूर्वक अपनी वित्तीय स्थिति का अच्छी तरह से जायजा ले लें। यह सिर्फ ब्याज दर के बारे में नहीं है, बल्कि घर की कीमतों से भी जुड़ा हुआ है। नए घर के लिए अधिक ब्याज दरें और अधिक कीमत चुकाने में कोई समझदारी नहीं है। आज की स्थितियों को देखकर कहा जा सकता है कि घर खरीदने की बजाए किराए पर मकान लेना बेहतर सोच है।

किराए और ईएमआई के बीच में कीमत का अंतर काफी बढ़ा होने की उम्मीद है। कीमतों के कम होने तक के लिए इंतजार से आपको बाद में काफी कम कीमत चुकानी होगी (मांग में कमी के चलते परिसंपत्ति की कीमतें पहले से ही दबाव में हैं)। अगर आपको घर खरीदना बहुत जरूरी है, तो इस बात का ध्यान रखें कि उसकी कीमत पर आप मोल-भाव कर सकें और घर को अधिक दाम में न खरीदें। साथ में एक ऐसे बैंक की तलाश करें जो आपको कम ब्याज दरों पर ऋण मुहैया करा सके और जो अन्य बैंकों की तरह बढ़ती दरों पर तेजी से दरों को न बढ़ाता हो। यह सब मिलकर आपकी मुश्किल दौर में मदद करेंगे।

First Published - August 4, 2008 | 12:46 AM IST

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