भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने छोटे और मझोले उद्योगों (एसएमई) को 5 करोड़ रुपये तक कर्ज देने के के संबंध में नियमों में बदलाव का लक्ष्य रखा है। एसबीआई के चेयरमैन सीएस शेट्टी ने कहा कि एसएमई तक ऋण की पहुंच में सुधार के लिए बैंक कोलेटरल के आधार पर कर्ज की पात्रता के मूल्यांकन के बजाय उनकी नकदी की आवक के साथ ऋण गारंटी के आधार पर ऋण की क्षमता का आकलन करने की ओर कदम बढ़ा रहा है।
शेट्टी ने कहा कि इससे कर्ज लेने वालों को ऋणदाता के साथ बने रहने के लिए प्रेरित करने में भी मदद मिलेगी। सीआईआई के कार्यक्रम के दौरान शेट्टी ने कहा, ‘अगर आप कोलेटरल पर आधारित उधारी से नकदी की आवक पर आधारित उधारी की ओर जाना चाहते हैं, जो अब संभव है, तो नीति और कर्जदाताओं की सोच में बदलाव करना होगा।
जब तक सोच में बदलाव नहीं हो जाता है, इसके लिए ऋण गारंटी के समर्थन की थोड़ी जरूरत होगी।’ जीएसटी के कारण एमएसएमई के औपचारीकरण के साथ उन्हें ऋण देने को लेकर बैंकों का भरोसा बढ़ा है। शेट्टी ने कहा कि कारोबार बढ़ाने के लिए ऋण की जरूरत होती है, लेकिन एसएमई को बढ़ने के लिए प्रशासन और तकनीक में भी सुधार की जरूरत है।