वित्त-बीमा

RBI ने NBFC को चेताया, उपभोक्ता ऋण में क्वालिटी सुधार की जरूरत

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘उपभोक्ता ऋण सेग्मेंट में कुछ चिंता के विषय हैं, जिनकी नजदीकी से निगरानी करने की जरूरत है।’

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अभिजित लेले   
Last Updated- June 27, 2024 | 10:44 PM IST

गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के उपभोक्ता ऋण की गुणवत्ता कुल मिलाकर सुधरी है, वहीं भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्तीय स्थायित्व रिपोर्ट में एनबीएफसी के उपभोक्ता ऋण पर दबाव के 3 बिंदुओं को लेकर चेताया है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘उपभोक्ता ऋण सेग्मेंट में कुछ चिंता के विषय हैं, जिनकी नजदीकी से निगरानी करने की जरूरत है।’

पहला, 50,000 रुपये से कम खुदरा ऋण वाले उधारकर्ताओं के बीच चूक का स्तर उच्च बना हुआ है। रिपोर्ट में खासकर एनबीएफसी-फिनटेक ऋणदाताओं की ओर इशारा किया गया है, जिनकी इस क्षेत्र में जारी ऋण और बकाया राशि में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी है। उनकी चूक दूसरे सबसे उच्च स्तर पर है और वे सिर्फ लघु वित्त बैंकों से नीचे हैं।

दूसरा, पुरानी चूक से जुड़ा मसला है, जो कि चूक का मापक है। व्यक्तिगत ऋण के मामले में यह 8.2 प्रतिशत है, जो तुलनात्मक रूप से उच्च स्तर है। रिपोर्ट में कहा गया है कि तीसरा पहलू यह है कि इस खंड में आधे से अधिक ऐसे लोग हैं, जिन पर ऋण लेते समय 3 ऋण पहले से चल रहे हैं और एक तिहाई से अधिक उधार लेने वालों ने पिछले छह महीनों में 3 से अधिक ऋण लिए हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ एनबीएफसी पर नजर रखने की जरूरत है, जो कम पूंजी के साथ तेजी से बढ़ रही हैं, क्योंकि उनसे व्यवस्था की स्थिरता को जोखिम है। रिजर्व बैंक द्वारा पिछले साल नवंबर में असुरक्षित ऋण पर अधिभार बढ़ाए जाने के बाद गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के कुल ऋण में इस तरह के ऋण की हिस्सेदारी तेजी से घटकर मार्च 2024 में 22.9 प्रतिशत रह गई है, जो मार्च 2023 में 32.2 प्रतिशत थी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2024 की दूसरी छमाही में एनबीएफसी द्वारा दिए जाने वाले कर्ज की रफ्तार धीमी हुई है। रिजर्व बैंक ने वित्तीय कंपनियों से कहा था कि वे आंतरिक सर्विलांस व्यवस्था मजबूत करें, जोखिम बनने की समस्या का समाधान करें और उचित सुरक्षा का प्रबंध करें।

एनबीएफसी द्वारा दी जा रही खुदरा उधारी की रफ्तार मार्च 2024 में घटकर 14.8 प्रतिशत रह गई है, जो मार्च 2023 में 16.6 प्रतिशत थी। जहां खुदरा ऋण में वृद्धि की रफ्तार कम हुई है, उद्योगों और सेवाओं को दिया जाने वाला कर्ज बढ़ा है। इसमें कहा गया है कि उद्योगों को दिए जाने वाले ऋण में वृद्धि, मुख्य रूप से सरकारी वित्त कंपनियों की ओर से हुई है।

First Published : June 27, 2024 | 10:44 PM IST