भारतीय शेयर बाजार के इतिहास में साल 2008 सबसे बुरा रहा है।
बंबई स्टॉक एक्सचेंज के संवेदी सूचकांक में 56 प्रतिशत की गिरावट आई और कुछ शेयरों की कीमत में तो जनवरी के उच्चतम स्तर से 75 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की जा चुकी है। वैश्विक स्तर पर देखें तो कई देश मंदी की चपेट में हैं और अपनी घरेलू विकास दर भी धीमी हुई है।
मांग कम होने से भारत के औद्योगिक उत्पादन में भारी कमी आई है और कई कंपनियां उत्पादन में कटौती, कर्मचारियों की छंटनी और क्षमता-विस्तार योजनाओं को टाल रही हैं।
कभी तेज गति से विकास करने वाले आईटी क्षेत्र की तस्वीर भी अभी धुंधली हो गई है क्योंकि इसके प्रमुख ग्राहक (अमेरिका और यूरोपीय बाजार) अभी मंदी के दौर से गुजर रहे हैं।
कपड़ा, रत्न एवं आभूषण, चमड़ा तथा वस्त्र उद्योग जैसे निर्यातोन्मुख क्षेत्र भी आर्थिक मंदी की तपिश मेंझुलस रहे हैं।हालांकि, मंदी का प्रभाव कंपनी की वित्तीय स्थिति पर छह महीने बाद ही स्पष्ट हो पाएगा लेकिन विश्लेषक वित्त वर्ष 2010 की आय के अनुमानों में पहले से ही कटौती करने लगे हैं।
सेंसेक्स में शामिल 30 कंपनियों की आय का अनुमान -10 प्रतिशत से 12 प्रतिशत के बीच है। संक्षेप में कहें तो साल 2009 की शुरुआत अनिश्चितताओं के साथ हो रही है।
इस परिस्थिति में स्मार्ट इन्वेस्टर ने साल 2009 के लिए विभिन्न विशेषज्ञों के विचार लिए कि निवेश नीति किस तरह की हो और कौन-कौन से क्षेत्र बेहतर होंगे।
आईडीबीआई फोर्टिस लाइफ इंश्योरेंस कंपनी के मुख्य निवेश अधिकारी अनीश श्रीवास्तव कहते हैं, ‘भारतीय बाजार वित्त वर्ष 2010 के अनुमानित आय के 12 गुना तक कारोबार कर सकता है।
जून 2009 तक 8,000 से 11,500 तक का दायरा बना रहेगा, इस समय तक बाजार अपने निचले स्तर से निकल चुका रहेगा। इस दायरे से ज्यादा गिरावट नहीं होनी चाहिए।’
अधिकांश विशेषज्ञों का मानना है कि आर्थिक और कॉर्पोरेट आंकड़ों में कैलेंडर वर्ष 2009 की दूसरी छमाही से सुधार होगा। इनमें नीतिगत उपायों की भूमिका महत्वपूर्ण होगी।
क्या करना चाहिए?
आर्थिक मंदी और बाजार में गिरावट के दौर तथा अगले कुछ तिमाहियों में अनिश्चितता के आसार को देखते हुए यह सलाह दी जाती है कि निवेश सुरक्षित तौर पर वैसी बड़ी कंपनियों में किया जाए जिनका ट्रैक रिकॉर्ड बेहतर हो।
इसके अतिरिक्त, जैसा कि पिंक रिसर्च के स्ट्रैटेजिस्ट संदीप शेनॉय कहते हैं- एकीकृत परिचालन, मजबूत बैलेंस शीट तथा कम कार्यशील पूंजी की जरूरत वाली कंपनियों को तरजीह दी जानी चाहिए।
इसके अलावा विशेषज्ञ ब्याज दर संवेदनशील क्षेत्रों को लेकर भी सकारात्मक हैं। श्रीवास्तव कहते हैं, ‘हमारा झुकाव ब्याज दर संवेदनशील क्षेत्रों जैसे बैंकिंग, ऑटो या चुनिंदा आधार पर रियल एस्टेट की तरफ बढ़ा है। लेकिन, जैसा कि बाजार के एक सीमित दायरे में रहने का उनमान है, वैसे में ट्रेडिंग की नीति मददगार साबित हो सकती है।’
एफएमसीजी और यूटिलिटी जैसे क्षेत्र भी तरजीही श्रेणी में शामिल हैं। इनके आकलनो में पहले ही प्रीमियम की कुछ राशि शामिल है। ऐसे अनिश्चितता के समय में ये कुछ स्थिरता उपलब्ध करा सकते हैं। इसके अतिरिक्त अनुमान लगाया जा रहा है कि कमोडिटीज के उपयोगकर्ताओं को जबरदस्त लाभ होगा।
मोतीलाल ओसवाल सिक्योरिटीज के शोध एवं नीति के वरिष्ठ उपाध्यक्ष मनीश मल्होत्रा कहते हैं, ‘अब खपत वाले क्षेत्र जैसे ऑटो (दोपहिया) को ज्यादा महत्व दिया जाएगा। अन्य तरजीही क्षेत्रों में एफएमसीजी और टेलीकॉम शामिल हैं।’
कमोडिटी उपयोगकर्ता उद्योग जैसे निर्माण, बुनियादी ढांचे पर खर्च में बढ़ोतरी से जिसमें तेजी आ सकती है, भी इस सूची में शामिल हैं। हालांकि, इन परियोजनाओं की फंडिंग से जुड़े कुछ मुद्दे अभी भी हैं।
साल 2009 में कमोडिटी (खास तौर से धातु), कैपिटल गुड्स (निवेश की मांग कम होने से मिलने वाले ऑर्डर में कमी आ रही है), रियल एस्टेट (संरचनात्मक समस्या), और आईटी पिछड़ने वाले क्षेत्र में शामिल रहेंगे। बाजार से प्राप्त होने वाले प्रतिफल का अनुमान दिसंबर 2009 तक कम से कम 10 से 12 प्रतिशत और अधिकतम 35 प्रतिशत तक का लगाया जा रहा है।
स्मार्ट इन्वेस्टर ने बीएसई-500 (कुल बाजार पूंजीकरण का 94 प्रतिशत) का अध्ययन किया और उनमें से निवेश योग्य कुछ कंपनियों को छांटा। जिन कंपनियों ने अधिक कर्ज लिया हुआ है या जिनकी वित्तीय स्थिति अच्छी नहीं है उन्हें छोड़ दिया गया।
यहां केवल वैसी कंपनियों का चयन किया गया है जिनके ट्रैक रिकॉर्ड, भविष्य में आय की संभावना, मजबूत नकदी प्रवाह और कर्ज जुटाने की क्षमता अच्छी है क्योंकि अनिश्चितता के समय में इनकी स्थिति अपेक्षाकृत अच्छी रहेगी।
अपोलो हॉस्पिटल्स
पिछले पांच वर्षों में अपोलो हॉस्पिटल की बिक्री में 21 प्रतिशत की वार्षिक दर से वृध्दि हुई है। इस कंपनी ने हेल्थकेयर सेवा व्यवसाय के अलावा फार्मेसी और जांच केंद्रों की शुरुआत की है और अब यह दवाओं के विनिर्माण और क्लिनिकल ट्रायल की पेशकश करने की योजना बना रही है।
कंपनी का ज्यादा ध्यान मेडिकल पर्यटन बाजार पर रहेगा (वर्तमान मेडिकल पर्यटन बाजार 2,000 करोड़ रुपये का है और साल 2012 तक इसके 55 प्रतिशत चक्रवृध्दि वार्षिक दर से बढ़ने का अनुमान है)।
कुल रोगियों में विदेशी रोगियों कर हिस्सेदारी 17 प्रतिशत की है जो मोटे तौर पर अपोलो के राजस्व में एक तिहाई का योगदान करते हैं। कंपनी का अनुमान है कि विदेशी रोगियों की प्रतिशतता बढ़ कर 25 प्रतिशत और कुल रोगियों की बढ़ कर 40 प्रतिशत हो जाएगी।
फार्मेसी, जिसकी भागीदारी राजस्व में 20 प्रतिशत की है, का कारोबार अपेक्षाकृत ज्यादा तेजी से बढ़ने का अनुमान है क्योंकि वर्तमान देश भर में इसके 750 आउटलेट्स हैं और चालू वित्त वर्ष के अंत तक इसकी संख्या बढ़ा कर 1,000 की जाने वाली है।
कंपनी का परिचालन मार्जिन 17 प्रतिशत के आसपास है। बेहतर चिकित्सा सेवा की भारी मांग होने से 40 हॉस्पिटल (10,000 बिस्तर) वाला अपोलो अपने वर्तमान 1,123 करोड़ रुपये के राजस्व में अगले दो वर्षों के दौरान लगभग 30 की बढ़ोतरी करने में सक्षम है।
कंपनी के शेयर का कारोबार 429 रुपये पर किया जा रहा है और अगले एक साल के दौरान इससे 19-20 प्रतिशत के प्रतिफल की आशा की जा सकती है।
भारती एयरटेल
वैसी अर्थव्यवस्था, जिसके विकास की रफ्तार धीमी पड़ रही है, में टेलीकॉम क्षेत्र अपने ग्राहक आधार में साल दर साल 50 प्रतिशत और महीना दर महीना आधार पर 3 प्रतिशत की वृध्दि कर रहा है। वर्तमान में टेलीकॉम ग्राहकों की संख्या 3,310 लाख है।
भारती टेलीकॉम बाजार की अग्रणी कंपनी है। इसकी बाजार हिस्सेदारी 25 प्रतिशत की है और प्रत्येक महीने यह लगभग 27 लाख ग्राहक जोड़ ने में कामयाब रही है। वायरलेस कारोबार में घटते मार्जिन के कारण भारती के राजस्व विकास में समस्या आ रही है।
भारत की कुल जनसंख्या का 77 प्रतिशत भारती के नेटवर्क के दायरे में है इसलिए मार्जिन में स्थिरता या हल्की सी गिरावट आने का अनुमान है। लेकिन ब्रॉडबैंडइंटरनेट सेवाओं में तेजी आने से इसकी भरपाई हो सकती है।
थ्रीजी लाइसेंस शुल्क में निवेश (पूरे भारत के लाइसेंस के लिए 2,020 करोड़ रुपये) के साथ ही कंपनी का विशुध्द कर्जा लगभग 2,010 करोड़ रुपये का है लेकिन नकदी प्रवाह (वित्त वर्ष 2009 की दूसरी तिमाही में 3,365 करोड़ रुपये का लाभ) ठीक-ठाक होने से यह सुनिश्चित होता है कि कंपनी सुगमता से अपने थ्रीजी नेटवर्क का विस्तार करेगी।
686 रुपये पर कंपनी के शेयर का कारोबार वित्त वर्ष 2010 की अनुमानित 56 रुपये प्रति शेयर की आय के 12.25 गुना पर किया जा रहा है।
इससे एक साल की अवधि में लगभग 22 प्रतिशत के प्रतिफल की आशा की जा सकती है। वैसे निवेशक जो ज्यादा आक्रामक रुख अख्तियार करना चाहते हैं उन्हें रिलायंस कम्युनिकेशंस पर विचार करना चाहिए।
एचडीएफसी
बढ़ता शहरीकरण, खर्च योग्य आय में बढ़ोतरी आदि से यह सुनिश्चित होता है कि हाउसिंग की मांग में तेजी बनी रहेगी। घर के लिए कर्ज उपलब्ध कराने के क्षेत्र में हाउसिंग डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया बाजार में सबसे आगे है। खुदरा श्रेणी में 90 प्रतिशत से अधिक व्यक्तिगत कर्ज लेने वाले वेतनभोगी वर्ग के हैं जहां डीफॉल्ट की दर बहुत कम है।
एचडीएफसी के प्रबंध निदेशक और उपाध्यक्ष केकी मिस्त्री कहते हैं, ‘हमने हमेशा ऋण की गुणवत्ता पर ज्यादा ध्यान दिया है बाजार हिस्सेदारी पर नहीं। यह सुनिश्चित किया है कि ऋण प्रस्ताव की मूल्यांकन प्रणाली और ऋण वापस लेने की प्रक्रिया इस उद्देश्य प्रप्ति के अनुकूल हैं।’
कंपनी की सकल आय और शुध्द लाभ में पिछले पांच वर्षों में 27 प्रतिशत की सालाना चक्रवृध्दि दर से वृध्दि हुई है जो इसके सुसंगत ट्रैक रिकॉर्ड को प्रदर्शित करता है।
अपने सहयोगी एचडीएफसी बैंक के वितरण नेटवर्क के जरिए दूसरे और तीसरे दर्जे के शहरों में ऋण उपलब्ध कराने के कारण इन क्षेत्रों में एचडीएफसी बेहतर कारोबार करेगा।
एचडीएफसी बैंक के अलावा अन्य सहयोगी कंपनियों जैसे एचडीएफसी स्टैंडर्ड लाइफ और एचडीएफसी म्युचुअल फंड में भी विकास की भारी संभावनाएं हैं।
एचडीएफसी के शेयर का कोराबार वित्त वर्ष 2010 के प्राइस टु बुक वैल्यु के 2.7 गुना पर किया जा रहा है। कुल मिला कर एचडीएफसी का सभी कारोबारी चक्रों में आय अर्जित करने के बेहतर ट्रैक रिकॉर्ड और कम विकसित मॉर्टगेज बाजार से यह सुनिश्चित होता है कि आने वाले वर्षों में इससे बढ़िया प्रतिफल प्राप्त होगा।
हीरो होंडा
देश की सबसे बड़ी दोपहिया वाहन निर्माता कंपनी हीरो होंडा पर मंदी का उतना असर नहीं हुआ है जितना की बराबरी की अन्य कंपनियों पर। इस साल अब तक इसकी बिक्री में 13 प्रतिशत की दर से बढ़ोतरी हुई है जो दोपहिया श्रेणी के विकास का दोगुना है।
इससे कंपनी को मोटर साइकिल (62 प्रतिशत) और स्कूटर (14 प्रतिशत) की बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने में मदद मिली है। ग्रामीण क्षेत्र पर अधिक ध्यान देकर कंपनी अपने बराबरी की कंपनियों (बजाज ऑटो, टीवीएस मोटर्स) से बेहतर प्रदर्शन करने में सक्षम हुई है। कंपनी की कुल बिक्री में 55 फीसदी हिस्सेदारी ग्रामीण बिक्री का है।
दूसरी बात यह है कि कुल बिक्री का 90 प्रतिशत नकद में होता है। कंपनी का 100सीसी की श्रेणी पर अधिक ध्यान देना जारी रखेगी। अगले साल में कंपनी छह नए मॉडल लॉन्च करने का लक्ष्य कर रही है। कंपनी के शेयर की कीमत 813 रुपये है और यह अगले 12 महीनों में 15 से 18 प्रतिशत तक का प्रतिफल दे सकता है।
आरआईएल
तेल एवं गैस क्षेत्र की एकीकृत कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) शुद्ध मुनाफे के लिहाज से भारत की निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी कंपनी है।
खोज एवं उत्पादन (ई ऐंड पी), रिफाइनिंग, मार्केटिंग और पेट्रोकेमिकल के क्षेत्र में काम करने वाली आरआईएल को पिछले कुछ समय में वैश्विक मंदी की वजह से ग्रॉस रिफाइनिंग मार्जिन (जीआरएम) पर दबाव का सामना करना पड़ रहा है।
हालांकि इसकी 70.4 फीसदी के स्वामित्व वाली सहयोगी कंपनी रिलायंस पेट्रोलियम (आरपेट) का कामकाज शुरू होने से इसके बेंचमार्क जीआरएम में कुछ सुधार आने की उम्मीद है।
आरपेट की रिफाइनिंग क्षमता 5.8 लाख बैरल तेल प्रति दिन (बीओपीडी) है और इसके साथ ही रिफाइनिंग बिजनेस में आरआईएल की समेकित क्षमता 12.4 लाख बीओपीडी हो जाएगी।
आरआईएल के मुनाफे में रिफाइनिंग कारोबार की भागीदारी 56 फीसदी की है। इसके केजी-डी6 ब्लॉक से गैस उत्पादन शुरू हो जाने से आरआईएल के समेकित लाभ में भारी इजाफा होगा।
हालांकि वित्त वर्ष 2009 की दूसरी तिमाही के लिए ई ऐंड पी से ईबीआईटी योगदान तकरीबन 12 फीसदी रहेगा, लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि यह आंकड़ा वित्त वर्ष 2011 तक बढ़ कर 50-60 फीसदी पर पहुंच जाएगा।
बहरहाल, नए तेल एवं गैस ब्लॉकों से उत्पादन और क्षमता में इजाफा होने से अगले दो वर्षों में आरआईएल के मुनाफे में इजाफा होने की संभावना है। इसका शेयर वित्त वर्ष 2010 की अनुमानित आमदनी के 8.7 गुना पर कारोबार कर रहा है।
एसबीआई
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) की तुलना अक्सर इसके बड़े आकार के लिए की जाती रही है। यह बैंक अपने कारोबार विस्तार के लिए आक्रामक रुख अख्तियार कर रहा है। बिजनेस वॉल्यूम के संदर्भ में एसबीआई की बाजार भागीदारी 2007 में अपने निम्न स्तर से काफी अधिक बनी हुई है।
इसके मजबूत ऋण पोर्टफोलियो, सख्त जोखिम प्रबंधन उपायों से इसे मौजूदा आर्थिक मंदी से निपटने में मदद मिलेगी। ग्रामीण और अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों में एसबीआई की उपस्थिति निजी क्षेत्र के मुकाबले मजबूत बनी हुई है। इसके विस्तृत शाखा नेटवर्क और वितरण नेटवर्क की बदौलत ग्रामीण इलाकों में इसका विकास जारी रहेगा।
एसबीआई ने अपनी सहयोगी कंपनियों के जरिये जीवन बीमा, संपत्ति प्रबंधन जैसे वित्तीय सेवा व्यवसायों में दिलचस्पी दिखाई है। विश्लेषक इन व्यवसायों की कीमत 220 रुपये प्रति शेयर मान रहे हैं।
एसबीआई का शेयर वित्त वर्ष 2010 की अपनी स्टैंडएलोन बुक वैल्यू के 1.3 गुना पर कारोबार कर रहा है और अगले एक साल में 20-25 फीसदी का रिटर्न दे सकता है।
सन फार्मास्युटिकल
सन फार्मास्युटिकल लाइफस्टाइल और मधुमेह एवं स्नायविक मनोरोग जैसी असाध्य चिकित्सा श्रेणियों में तेजी से अपना कारोबार बढ़ा रही है। पिछले चार वर्षों के दौरान बिक्री में सालाना 36 फीसदी का विकास दर्ज कर चुकी इस कंपनी का टै्रक रिकॉर्ड अच्छा रहा है।
कंपनी ने इस अवधि में शुद्ध मुनाफे में 47 फीसदी तक का इजाफा दर्ज किया है। जहां घरेलू निर्माण क्षेत्र 11 फीसदी की दर से बढ़ रहा है, वहीं सन फार्मा 2009 की पहली छमाही के लिए अपने घरेलू कारोबार को 19 फीसदी तक बढ़ाने में सफल रही है।
मौजूदा वित्त वर्ष के लिए अंतरराष्ट्रीय सेगमेंट में इसका अमेरिकी कारोबार तकरीबन 25 फीसदी की दर से बढ़ने की संभावना है। कंपनी 96 एएनडीए की मंजूरी का इंतजार कर रही है। इसने यूएस एफडीए के समक्ष आवेदन किया है और 30 और आवेदन करने की योजना बनाई है।
शीर्ष 8 वैश्विक बाजारों में मंदी के रुझान के कारण वित्त वर्ष 2010 में इसकी जेनरिक बिक्री में मामूली गिरावट आ सकती है। इसका शेयर 1057 रुपये पर कारोबार कर रहा है और अगले एक साल में यह लगभग 25 फीसदी का रिटर्न दे सकता है।
टाटा पावर
टाटा पावर वित्त वर्ष 2013 तक अपनी विद्युत उत्पादन क्षमता 2,474 मेगावाट से बढ़ा कर लगभग 12,861 मेगावाट करेगी। लेकिन अपनी इन योजनाओं के वित्त पोषण के लिए कंपनी को चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
इसकी प्रमुख कंपनी ने हाल ही में इसे आवंटित किए गए वारंट (1340 करोड़ रुपये) के कन्वर्जन के खिलाफ फैसला किया था।टाटा पावर के पास मौजूदा समय में 5660 मेगावाट की विद्युत परियोजनाएं हैं जिनमें 4000 मेगावाट की मुंदड़ा यूएमपीपी भी शामिल है।
अनुमानों के मुताबिक कंपनी को वित्त वर्ष 2010-11 के दौरान मुंदड़ा समेत अपनी परियोजनाओं के लिए 3500-4,000 करोड़ रुपये के बीच पूंजी जुटाने की जरूरत होगी।
कंपनी का शेयर वित्त वर्ष 2010 की अनुमानित बुक वैल्यू के 1.3 गुना के आकर्षक मूल्यांकन पर कारोबार कर रहा है। विश्लेषकों ने इसके लिए टाटा कम्युनिकेशन, टाटा टेली (महाराष्ट्र), टाटा टेली और इंडोनेशियाई कोयला खदानों जैसे विभिन्न निवेश की वैल्यू के आधार पर 850 रुपये प्रति शेयर की कीमत निर्धारित की है।
केआर चोकसी शेयर्स ऐंड सिक्योरिटीज के विश्लेषक मोहित कंसल कहते हैं, ‘स्टैंडएलोन आधार पर मूल्यांकन आकर्षक हो सकता है, लेकिन यदि हम लगभग 300-350 रुपये प्रति शेयर की दर पर इंडोनेशियाई कोयला खदानों में इसकी हिस्सेदारी के मूल्य को अलग कर दें तो यह शेयर ज्यादा आकर्षक होगा।’
इसका शेयर वित्त वर्ष 2010 की अनुमानित बुक वैल्यू के लगभग 2.3 गुना के प्रीमियम मूल्यांकन पर कारोबार कर रहा है।