टैक्स बचाने वाले फंडों का प्रदर्शन

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 09, 2022 | 4:46 PM IST

फ्रैंकलिन इंडिया टैक्सशील्ड


साल 2000 काफी उठापटक भरा साल रहा था और वह इस फंड का पहला साल था लेकिन रिटर्न के चार्ट में इसने अपनी पहचान बना ली।

इस श्रेणी के फंड 2000 में 23.74 फीसदी से गिरे जबकि इस फंड ने 2.11 का पॉजिटिव रिटर्न दर्ज किया। भारी कैश एलोकेशन ने ऐसे परिणाम दिए। 2001 और 2002 के मंदी भरे माहौल में यह फंड अपनी कैटेगरी की औसत गिरावट से कम ही गिरा।

साल 2008 में एक बार फिर यह फंड अपनी गिरावट को कम रखने में कामयाब रहा और तीसरी तिमाही में इसने 0.23 फीसदी का रिटर्न भी दिया जबकि इस दौरान इस श्रेणी का औसत -5.39 फीसदी रहा।

कैश एलोकेशन बहुत आक्रामक नहीं रहा था और इस तिमाही के दौरान इसका औसत 6 फीसदी रहा था जबकि लार्ज कैप एलोकेशन का औसत 76 फीसदी रहा था। इन दोनों ही से फंड को मदद तो मिली लेकिन असली फायदा उसके सेक्टर एलोकेशन से हुआ।

फंड ने फाइनेंशियल कंपनियों और कज्यूमर डयूरेबल्स में औसत से ज्यादा आवंटन किया जबकि एनर्जी में कम आवंटन रखा और यह मेटल शेयरों से पूरी तरह बाहर रहा। फंड मैनेजर अगर किसी सेक्टर पर भरोसा नहीं रखता तो प्रदर्शन करने वाले सेक्टरों के पीछे नहीं भागता है।

लेकिन इससे उसके रैली मिस करने का खतरा बना रहता है।  इस मामले में 2003 में बेसिक इंजीनियरिंग की रैली सही मिसाल है जब बीएसई के कैपिटल गुड्स इंडेक्स ने 167.81 फीसदी का रिटर्न दिया था। 2006 में भी कंस्ट्रक्शन शेयरों की रैली में भी ऐसा ही हुआ।

2007 में यह मेटल के साथ हुआ था जब बीएसई मेटल इंडेक्स ने 121.47 फीसदी का रिटर्न दिया था और फंड का इसमें बहुत मामूली एक्सपोजर था।

हालांकि इसका आधा पोर्टफोलियो टॉप टेन होल्डिंग से ही बना है, फंड मैनेजर कई शेयरों में छोटे छोटे एक्सपोजर लेता है, कई में तो यह एक्सपोजर एक फीसदी से भी कम होता है।

यह फंड हर गिरावट में अपने आपको संभाले रखने में कामयाब रहा है लेकिन यह इस श्रेणी का सबसे सही फंड नहीं है। तेजी के दौर में इसका प्रदर्शन मध्यम बना रहा है लेकिन लंबी अवधि में इसने अपनी श्रेणी के औसत से बेहतर प्रदर्शन किया है।

मैगनम टैक्सगेन

मैगनम टैक्सगेन पिछले साल सुस्त पड़ गया था लेकिन हमारा मानना है कि यह अब भी खरीदने योग्य स्कीम है। इस फंड के प्रदर्शन को दो चरणों में बांटा जा सकता है- 2003 से पहले का और उसके बाद का। 1996 से 2002 के बीच के सात साल में 1999 को छोड़कर इस फंड ने हर साल ही अपनी श्रेणी में अंडरपरफार्म किया।

1999 में इस फंड ने 330 फीसदी का रिटर्न दिया है जबकि कैटेगरी का औसत 209 फीसदी का था। 2003 के बाद यह तेजी से चमका और उस साल बेहतरीन प्रदर्शन के बाद 2006 तक यह अपनी कैटेगरी में सर्वोत्तम फंड बना रहा। 2007 में इसके प्रदर्शन में रुकावट आई जब यह श्रेणी के टॉप दो फंडों में भी नहीं था।

2008 में इसने अपने नुकसान को प्रबंधित किया, 55 फीसदी का नुकसान रहा जबकि श्रेणी का औसत 59 फीसदी का था। इसके फंड मैनेजर का झुकाव ग्रोथ फंडों की ओर ज्यादा रहता है लेकिन फंड ज्यादातर खरीदारी करके अवसरों को नजरअंदाज करते हुए उसे होल्ड करने की रणनीति पर ज्यादा भरोसा करता है।

मिसाल के लिए शुरुआती सालों में एसीसी और आईपीसीएल से एंट्री और एक्जिट लोड या फिर कुछ आईपीओ में उसका दखल। लेकिन हाल ही में फंड ने अपने आप को ज्यादा परंपरागत तरीकेमें ढाल लिया है। इसका ताजा उदाहरण है 2006 से कैश और डेट में आवंटन को बढ़ाना।

उस साल मिड और स्मॉल कैप में आवंटन जहां घटने लगा, 2007 के मध्य से उसने लार्ज कैप में अपना झुकाव बढ़ा दिया। साथ ही फंड ने अपना पोर्टफोलियो भी विस्तृत कर दिया। 2001 में जहां औसतन 18 शेयर थे जो 2005 में धीरे धीरे बढ़कर 26 हो गए थे।

लेकिन 2006 के बाद से यह सही मायने में बदला जब उसका औसत बढ़कर 51 शेयरों का हो गया और यह 2007 में 77 शेयरों का हुआ और तब से यह उसी स्तर पर बना हुआ है। इन बदलावों ने 2007 में फंड के प्रदर्शन पर असर डाला।

पहली तिमाही में कैश और डेट में 25 फीसदी के औसत एलोकेशन ने गिरावट रोकने में मदद की। लेकिन जब बाजार बढ़ा तो पूरे साल हाई एलोकेशन, जिसमें लार्ज कैप की ओर झुकाव था, इसके खिलाफ गया।

हालांकि यह परंपरागत झुकाव उन निवेशकों को अपील कर सकता है जो ऐसे खराब बाजार में टैक्स सेविंग के रास्ते तलाश रहे हैं।

सुंदरम बीएनपी परिबा टैक्ससेवर

इस फंड की अडैप्टेबिलिटी गजब की है यानी यह हालात के मुताबिक खुद को ढाल लेता है। हालांकि ऐसा समय भी रहा है जब इसने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया और औसत रिटर्न दिए, लेकिन इसकी एप्रोच ने लंबी अवधि में इसका रिकार्ड अच्छा रखा है।

अच्छी बात यह भी है कि अक्सर ही इसने गिरावट को थामे रखने की क्षमता भी दर्शाई है। इस फंड की खासियत ही रही है हर तरीके से लचीलापन ।

लिहाजा इसमें कोई खास बात नहीं अगर यह फंड एक समय पक्का मिडकैप फंड लगे और फिर समय के साथ ही बदल कर लार्ज कैप फंड लगने लगे।

इसमें भी कोई आश्चर्य नहीं था कि मार्च 2007 में इस फंड का लार्ज कैप एलोकेशन 48 फीसदी था जो जून 2007 तक बढ़कर 70 फीसदी तक पहुंच गया और साल के अंत तक यह कम होकर 54.75 फीसदी पर आ गया। अपने परिसंपत्ति आवंटन में भी यह सतर्क है। 2008 में तो इसका कैश और डेट का आवंटन बढ़कर 36 फीसदी हो गया था।

अगर फंड मैनेजर को अवसर दिखता है तो वह उसे तुरंत ही कैपिटलाइज कर लेते हैं चाहे वह शेयर हो या फिर कोई सेक्टर। जैसे साल 2007 में इसका मेटल एलोकेशन अगस्त में 8.86 फीसदी था जो दो महीनों में ही बढ़कर 20.87 फीसदी हो गया। इसके पांच महीने बाद यह घटकर 4 फीसदी रह गया।

इसी तरह फाइनेंशियल सर्विसेज में दिसंबर 2007 में इसका एलोकेशन बढ़कर 21 फीसदी हो गया था लेकिन फंड मैनेजर ने जून 2008 में इसे घटाकर 4.93 फीसदी कर दिया और उसके चार महीने बाद यह फिर 21.91 फीसदी पर था। ऐसा ही इसने शेयरों में किया है और ये इसके पोर्टफोलियो में अवसर देख कर शामिल किए गए हैं।

लेकिन किसी भी एक शेयर में इसका एक्सपोजर कभी पांच फीसदी से ज्यादा नहीं रहा। दरअसल अच्छी तरह से प्रबंधित इस फंड का शार्प रेशियो टैक्स प्लानिंग फंडों मे सबसे ज्यादा है यानी हर यूनिट के जोखिम पर इसका रिटर्न सबसे ज्यादा है।

First Published : January 4, 2009 | 9:04 PM IST