बीएस बातचीत
यूक्रेन पर रूस के हमले की वजह से बाजार अपनी ताजा ऊंचाई से काफी नीचे आए हैं। मोबियस कैपिटल पार्टनर्स के संस्थापक मार्क मोबियस ने पुनीत वाधवा को दिए साक्षात्कार में बताया कि मौजूदा हालात में 10-15 प्रतिशत नकदी बनाए रखना और निचले स्तरों पर निवेश के अवसरों का इंतजार करना अच्छी रणनीति होगी। पेश हैं उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश:
ताजा भूराजनीतिक हालात और वैश्विक वित्तीय बाजारों पर उसके प्रभाव को लेकर आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
यह लंबे समय तक चलने वाला भूराजनीतिक टकराव होगा, यूक्रेन में गोरिल्ला युद्घ जैसा। ऐसा नहीं लग रहा है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन और यूक्रेन आसानी से पीछे हट जाएंगे। अंतरराष्ट्र्रीय समुदाय, खासकर यूरोपीय देश यूक्रेन के समर्थन में हैं। इस वजह से अन्य देशों के शेयर बाजार अधिक आकर्षक होंगे। यूरोप से बाहर के बाजार, जैसे अमेरिका, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, चीन और ताइवान अच्छा प्रदर्शन करेंगे, क्योंकि उन्हें सुरक्षित बाजार समझा जाएगा।
भारत के बारे में आपका क्या नजरिया है?
भारतीय बाजार भी अच्छा प्रदर्शन करेंगे, क्योंकि वे कुछ हद तक इस संकट से अलग हैं। सिर्फ समस्या दुनिया में ऊंची ब्याज दरों को लेकर है। लेकिन यह सिर्फ अस्थायी समस्या है। जब हम इतिहास पर नजर डालें तो पता चलता है कि ब्याज दरों का शेयर बाजारों पर बहुत ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा है। हालांकि उनका निर्धारित आय बाजार पर प्रभाव पड़ता है।
लेकिन भारतीय बाजारों को अपनी स्वयं की समस्याओं से जूझना पड़ रहा है?
हां, उनमें अल्पावधि में अस्थिरता देखी जा सकती है, लेकिन दीर्घावधि में स्थिति अच्छी रहेगी। इसकी वजह यह है कि यहां बड़ी तादाद में मजबूत और लाभकारी कंपनियां हैं। सरकार भी अर्थव्यवस्था के आधुनिकीकरण की दिशा में काम कर रही है। इसलिए सभी मौजूदा प्रौद्योगिकी अब भारत को एक आकर्षक स्थान बनाएगी।
क्या वैश्विक केंद्रीय बैंक हालात पूरी तरह नियंत्रित नहीं हो जाने तक पूंजी मुद्रण पर ध्यान बनाए रखेंगे?
केंद्रीय बैंकों ने ब्याज दरें घटाने की अपनी गलती महसूस की है और उन्हें कम स्तर पर बनाए रखा है। वे अब बदलााव पर जोर देंगे। मौजूदा संकट उन्हें दर वद्घि की दिशा में धीमी गति से बढऩे के लिए बाध्य करेगा।
अगले एक साल में भारतीय बाजारों से आप कितने प्रतिफल की उम्मीद कर सकते हैं?
इस साल (2022) का प्रतिफल पिछले साल जैसा नहीं रहेगा। भारतीय बाजारों से प्रतिफल इसए साल 5-10 प्रतिशत के दायरे में रह सकता है और काफी हद तक यह वृहद/भूराजनीतिक हालात पर निर्भर करेगा।
क्या आप बढ़ती मुद्रास्फीति के परिदृश्य में, आय वृद्घि की उम्मीदें धूमिल पड़ते देख सकते हैं?
हां, यह सही है। लेकिन आपको यह याद रखना चाहिए कि पिछले वर्ष का आधार बड़ा था और कुछ कंपनियों में काफी उत्साह था। हालांकि बार प्रदर्शन अलग अलग रहेगा। यदि भारतीय अर्थव्यवस्था 6-7 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी, तो आप कई कंपनियों के लिए आय में 5-10 प्रतिशत की वृद्घि की उम्मीद कर सकते हैं।
पिछले कुछ महीनों में आपकी निवेश रणनीति कैसी रही है?
हमने कहीं भी निवेश नहीं किया। यदि शेयर कीमतें और नीचे आती हैं, तो हमने भारत और दुनियाभर में निवेश के लिए नकदी बचाकर रखी है।
आप कौन से सेक्टर या शेयरों को खरीदने की संभावना देख रहे हैं?
हम टेक्नोलॉजी, मेडिकल टेस्टिंग, औद्योगिक, और गृह निर्माण कंपनियों को पसंद कर रहे हैं।
विदेशी निवेशकों ने अक्टूबर से भारतीय बाजारों में बिकवाली की है। मुख्य संकेतक क्या है जिससे आप भारतीय इक्विटी में फिर से पूंजी लगाना शुरू करने पर विचार करेंगे?
मुख्य संकेतक मौद्रिक बाजार की चाल होगी। आपको यह देखने की जरूरत होगी कि डॉलर और अन्य मुद्राओं के मुकाबले भारतीय रुपये का प्रदर्शन कैसा रहेगा। यदि यह लगातार मौजूदा स्तरों के आसपास रहता है तो चिंता की बात नहीं है।
आप मानते हैं कि एलआईसी आईपीओ के लिए निवेशकों में अच्छी दिलचस्पी है?
दुनियाभर में कई बड़े निवेशक इंडेक्स निवेशक हैं और व्यक्तिगत शेयर नहीं खरीद रहे हैं। वे ईटीएफ भी खरीद रहे हैं। जब एलआईसी का शेयर इंडेक्स में शामिल हो, ये निवेशक एलआईसी खरीदने के लिए बाध्य होंगे, जो इंडेक्स का बड़ा हिस्सा होगा।
छोटे निवेशक पिछले कुछ महीनों के दौरान भारत में खरीदारी के लिए आगे हुए हैं। आप उनके लिए क्या सलाह देंगे?
मौजूदा हालात में 10-15 प्रतिशत नकदी पास में रखना और अवसरों का इंतजार करना उचित होगा। यूक्रेन संकट की वजह से इक्विटी बाजारों में और गिरावट आ सकती है।