वित्त-बीमा

IndusInd Bank में सीमित तेजी के आसार

विश्लेषकों का मानना है कि निवेशक फंसे कर्ज की राह सुधरने का इंतजार कर सकते हैं जिससे अल्पावधि तेजी सीमित रह सकती है।

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निकिता वशिष्ठ   
Last Updated- January 22, 2024 | 10:25 PM IST

काफी हद तक स्थिर दिसंबर तिमाही नतीजों के बावजूद निवेशकों ने इंडसइंड बैंक (आईआईबी) के शेयर में मुनाफावसूली की, क्योंकि फंसे कर्ज में वृद्धि हुई है। विश्लेषकों का मानना है कि निवेशक फंसे कर्ज की राह सुधरने का इंतजार कर सकते हैं जिससे अल्पावधि तेजी सीमित रह सकती है।

बैंक का शेयर शुक्रवार को दिन के कारोबार में बीएसई पर 3.9 प्रतिशत गिरकर 1,550 रुपये पर आ गया था और आखिर में 3.2 प्रतिशत की गिरावट के साथ बंद हुआ था। तुलनात्मक तौर पर सेंसेक्स 0.70 प्रतिशत चढ़कर बंद हुआ था और बैंकेक्स में 0.06 प्रतिशत तेजी आई थी। वहीं शनिवार को भी करीब 1.5 प्रतिशत की गिरावट का शिकार हुआ।

वित्त वर्ष 2024 की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही के दौरान इंडसइंड के फंसे कर्ज तिमाही आधार पर 20.5 प्रतिशत बढ़कर 1,770 करोड़ रुपये पर पहुंच गए, जिन्हें खासकर कॉरपोरेट बहीखाते और वाहन वित्त संबंधित एनपीए बढ़ने से बढ़ावा मिला।

सेगमेंट के हिसाब से बात की जाए तो पता चलता है कि कॉरपोरेट सेगमेंट में फंसे कर्ज 312 करोड़ रुपये (140 करोड़ रुपये एक बड़े खाते से संबंधित), उपभोक्ता श्रेणी में 1,450 करोड़ रुपये रहे। इसके अलावा, इंडसइंड बैंक ने तीसरी तिमाही में आकस्मिक प्रावधान बफर में लगातार कमी की।

जहां बैंक का सकल और शुद्ध गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (जीएनपीए/एनएनपीए) अनुपात कुल ऋणों के 1.9 प्रतिशत/0.6 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रहे, लेकिन एचडीएफसी सिक्योरिटीज के विश्लेषकों का मानना है कि बैंक को अपनी वृद्धि की रफ्तार बनाए रखने में देनदारी संबंधित चुनौतियों का सामना करना पड़ा।

कुल ऋण तिमाही आधार पर 3.7 प्रतिशत, सालाना आधार पर 20 प्रतिशत बढ़े और इन्हें खासकर कंज्यूमर फाइनैंस सेगमेंट (तिमाही आधार पर 4.7 प्रतिशत तक की वृद्धि) से मदद मिली। यूटिलिटी वाहन /क्रेडिट कार्ड सेगमेंटों ने तिमाही आधार पर 11.4 प्रतिशत/8.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की और माइक्रोफाइनैंस व्यवसाय तिमाही आधार पर 4.1 प्रतिशत बढ़ा।

दूसरी तरफ, जमाएं सालाना आधार पर 13.4 प्रतिशत (तिमाही आधार पर 2.6 प्रतिशत तक) बढ़ीं, वहीं कासा अनुपात तिमाही आधार बैं पर 92 आधार अंक नरम पड़कर 38.5 प्रतिशत और तरलता कवरेज अनुपात (एलसीआर) के तौर पर रिटेल जमाओं का मिश्रण मामूली बढ़कर 45 प्रतिशत पर पहुंच गया।

एचडीएफसी सिक्योरिटीज का कहना है, ‘कासा में गिरावट से सस्ती जमाओं पर दबाव का संकेत मिलता है। ऋण लागत ऊंचे सकल एनपीए की वजह से ऊपर बनी रही। हमें मध्यावधि लागत अनुपात ऊंचा बने रहने का अनुमान है, क्योंकि बैंक ने डिजिटल पहलों, क्षमता निर्माण और वितरण में अपना निवेश बढ़ाया है।’ इस वजह से ब्रोकरेज फर्म ने इस शेयर पर ‘घटाएं’ रेटिंग दी है और वित्त वर्ष 2024 तथा वित्त वर्ष 2024 के आय अनुमान 3 प्रतिशत तक घटा दिए हैं।

First Published : January 22, 2024 | 10:25 PM IST