बाजार में अच्छी तेजी के बीच कई होल्डिंग कंपनियों (होल्डको) के शेयर इस साल तेजी से चढ़े हैं।
होल्डको एक ऐसी कंपनी होती है जो किसी तरह का व्यावसायिक परिचालन नहीं करती है, लेकिन अन्य कंपनियों, (खासकर समान समूह से संबंधित) में हिस्सेदारी रखती है।
बजाज ऑटो और बजाज फिनसर्व जैसी कंपनियों में हिस्सेदारी रखने वाली बजाज होल्डिंग्स ऐंड इन्वेस्टमेंट का शेयर इस साल 75 प्रतिशत चढ़ा है। इस बीच, आरपीजी समूह की कंपनियों आरपीएसजी वेंचर्स और एसटीईपी होल्डिंग में 2.4 गुना से ज्यादा की तेजी आई है।
18 प्रमुख होल्डिंग कंपनियों द्वारा औसत तेजी इस साल 40 प्रतिशत तक दर्ज की गई, जो सेंसेक्स की इस साल अब तक की 20.5 प्रतिशत तक की तेजी के मुकाबले करीब दोगुना है।
इस साल की तेजी के बावजूद, कई होल्डिंग कंपनियों के शेयर अपने निवेश वैल्यू के मुकाबले 60 और 80 प्रतिशत के बीच कारोबार किया है।
घरेलू ब्रोकरेज एचडीएफसी सिक्योरिटीज का मानना है कि होल्डिंग कंपनियों में निवेश पोर्टफोलियो में विविधता लाने का अच्छा तरीका है।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के विश्लेषकों अमित कुमार और वरुण लोचाब ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है, ‘होल्डिंग कंपनियों के शेयरों में निवेश भारत के प्रख्यात एवं तेजी से बढ़ रहे व्यावसायिक घरानों के शेयरों के बढ़ते निवेश के लिहाज से बेहद कुशल और महंगा हो सकता है। इससे लंबी अवधि के दौरान लगातार अच्छा प्रतिफल हासिल हो सकता है।’
इन दोनों ने निफ्टी के मुकाबले 18 होल्डिंग कंपनियों का दीर्घावधि प्रतिफल की तुलना की है। उनका कहना है कि 14 ने वित्त वर्ष 2016-वित्त वर्ष 2022 की पहली छमाही की दो समय अवधियों के दौरान निफ्टी के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया और 16 प्रतिशत (सीएजीआर) और वित्त वर्ष 2011-वित्त वर्ष 2022 की पहली छमाही (निफ्टी प्रतिफल: 11 प्रतिशत) के मुकाबले बेहतर है।
चूंकि कोई होल्डिंग कंपनी किसी व्यवसाय में परिचालन नहीं करती है, इसलिए ऐसे कौन से कारक हैं जिनकी वजह से उसकी शेयर कीमत को मजबूती मिलती है?
एचडीएफसी सिक्योरिटीज की रिपोर्ट में तीन प्रतिफल कारकों को चिह्नित किया गया है- निर्धारित निवेश पोर्टफोलियो की सराहना, बाजार चक्र के साथ गिरावट में कमी और घटनाक्रम आधारित वैल्यू अनलॉकिंग।
पहला कारक काफी स्पष्ट है। होल्डिंग कंपनी अक्सर निर्धारित कंपनियों के साथ कार्य करती है, जबकि होल्डको डिस्काउंट बनाए रखती है। एचडीएफसी सिक्योरिटीज के अनुसार, तेजी के बाजार चक्रों के दौरान दूसरा है दांव। उसका कहना है, ‘सकारात्मक बाजार चक्रों में, जब बिडकैप में तेजी आती है, तो होल्डको डिस्काउंट सीमित हो जाता है और शेयर प्रतिफल देते हैं।’ वहीं तीसरा कारक लाभांश कराधान या विलय एवं सूचीबद्घता समाप्त करने जैसे बदलावों से संबंधित है।
अमेरिका और ब्रिटेन जैसे कुछ वैश्विक बाजारों के मुकाबले भारत में होल्डको डिस्काउंट काफी अधिक है। अमेरिका और ब्रिटेन में यह महज 10-25 प्रतिशत के बीच है। एचडीएफसी सिक्योरिटीज को भारत में भी डिस्काउंट सीमित होने का अनुमान है।
इसमें कहा गया है, ‘आगामी समय में, भारतीय होल्डिंग कंपनियां तेजी से विकसित होंगी और बड़े निवेशक इनकी ओर आकर्षित होंगे जिससे कारोबार की मात्रा बढ़ेगी, और तरलता में इजाफा होगा एवं प्रवर्तक धारिता में कमी आएगी। वैश्विक कंपनियों के मुकाबले डिस्काउंट घटेगा।’ इसलिए, सवाल यह उठता है कि आप सही होल्डिंग कंपनी का चयन कैसे करेंगे? कुमार और लोचाब का कहना है कि जहां होल्डको शेयर का चयन के लिए आपको मौजूदा डिस्काउंट से तुलना करनी होगी और होल्डको निवेश पोर्टफोलियो का विश्लेषण भी करना होगा।
अपने विश्लेषणों के आधार पर, उनका मानना है कि 9 होल्डिंग कंपनियां मौजूदा समय में बेहद आकर्षक हैं।
उनका कहना है, ‘चयन दो मुख्य शर्तों पर आधारित है: निर्धारित निवेश और ऐतिहासिक ऊंची होल्डिंग कंपनी डिस्काउंट के मजबूत आधार। यदि निवेश संपूर्ण प्रतिफल के साथ दीर्घावधि के लिए किया जाए तो 9 शेयरों का पोर्टफोलियो बाजार के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन कर सकता है। जोखिमों में बेचमार्कों से संबंधित अल्पावधि कमजोर प्रदर्शन की लंबी शामिल है, लेकिन कुल मिलाकर समयावधि के अंत में यह प्रतिफल इसकी भरपाई करेगा।’
पिछले महीने, कोटक सिक्योरिटीज ने एक रिपोर्ट में कहा कि बड़े भारतीय घरानों को वैल्यू बढ़ाने के लिए विलय समाप्त करने पर जोर देना चाहिए।
ब्रोकरेज ने कहा था, ‘कई भारतीय व्यावसायिक घराने पैतृक कंपनियों या सहायक इकाइयों में अपने व्यक्तिगत व्यवसायों की उचित वैल्यू के मुकाबले बड़ी गिरावट पर कारोबार कर रहे हैं। पैतृक इकाइयों में मुख्य व्यवसायों का पीई या बाजार पूंजीकरण कंपनियों की उनकी सहायक इकाइयों में होल्डिंग की बाजार वैल्यू के समायोजन के बाद काफी कम नजर आ रहा है।’ वैश्विक तौर पर, होल्डिंग बाजार पूंजीकरण और सम ऑफ पाट्र्स (एसओटीपी) वैल्यू के बीच बढ़ते अंतर से शेयरधारक सक्रियता को बढ़ावा मिला है जिससे विलय समाप्ति का रुझान बढ़ा है।
कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के विश्लेषक संजीव प्रसाद का कहना है, ‘व्यावसायिक घरानों के प्रमुख शेयरधारक अपनी कंपनियों और/या अपने व्यवसायों के स्वामित्व ढांचे पर पुनर्विचार करना चाहेंगे।’
