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बीमा कंपनियों के लिए निवेश के विकल्प बढे

Last Updated- December 07, 2022 | 6:43 PM IST

दो साल के लंबे इंतजार के बाद बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण(आईआरडीए) ने निवेश संबंधी नए दिशा निर्देश जारी किए हैं जिसके तहत बीमा कंपनियों द्वारा बैंकों के डेट इंस्ट्रूमेंट में फंड जमा कराने में और अधिक लचीलापन आ सकेगा।


इसके अलावा इनिशियल पब्लिक ऑफर यानी आईपीओ में पूंजी निवेश करना और अधिक आसान हो जाएगा। इसके साथ ही आईआरडीए ने यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (यूलिप्स)के लिए समूह और किसी एक कंपनी के निवेश संबंधी नियमों में भी बदलाव किए हैं। इससे पहले यूलिप्स के लिए इस तरह के नियम नहीं थे।

अब किसी भी कंपनियों के समूह द्वारा यूलिप्स में अधिकतम निवेश की सीमा 25 प्रतिशत तय की गई है जबकि इक्विटी और डेट इंस्ट्रूमेंट प्रत्येक में कोई भी कंपनी 10 प्रतिशत से ज्यादा का निवेश नहीं कर सकती है। हालांकि फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश की सीमा को इस 25 प्रतिशत के दायरे से बाहर रखा गया है। इसके अलावा इस परिवर्तित दिशा-निर्देशों के अनुसार निवेश किए जानेवाले कॉर्पस का 5 प्रतिशत हिस्सा अचल संपत्ति में निवेश किया जा सकता है।

बीमाकर्ता के पोर्टफोलियो में यूलिप्स हाल के दिनों में सबसे ज्यादा बेचे जाने वाले उत्पाद के रूप में उभरकर सामने आया है और हाल के कुछ महीनों में ये कंपनियां सबसे बड़ी घरेलू अर्हता प्राप्त निवेश करनेवाली कंपनियों में शामिल हो गई हैं। बीमा कंपनियों के प्रीमीयम में कहीं भी यूलिप्स का योगदान 75 प्रतिशत से 90 प्रतिशत के बीच होता है।

यूलिप्स द्वारा जुटाए गए फंडों में से लगभग 90 प्रतिशत हिस्से का शेयर बाजार में निवेश होता है। बीमा कंपनियों के लिए यह सुनिश्चित करने के लिए कि वह सही जगह ही निवेश करे, आईआरडीए ने यह स्पष्ट किया है कि सरकार और अन्य प्रमाणित सेक्योरिटीज के अलावा कम से कम 75 प्रतिशत डेट इन्वेसमेंट को एएए या उसके समतुल्य की रेटिंग दी जानी चाहिए।

First Published - August 26, 2008 | 12:54 AM IST

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