आईआईएफएल फाइनैंस लिमिटेड (IIFL Finance Limited) के गोल्ड लोन के को-लेंडिंग साझेदार बैंकों ने व्यवस्था की समीक्षा शुरू कर दी है। वे गोल्ड लोन बुक बढ़ाने के लिए सामान्य तरीकों सहित विभिन्न विकल्पों पर विचार कर रहे हैं। गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी के गोल्ड लोन कारोबार पर रोक लगाने के भारतीय रिजर्व बैंक के फैसले के बाद यह समीक्षा की जा रही है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने सोमवार को गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) आईआईएफएल फाइनैंस को नए गोल्ड लोन जारी करने और देने से प्रतिबंधित कर दिया था। रिजर्व बैंक ने पर्ववेक्षण संबंधी चिंताओं और ग्राहकों के हितों की रक्षा के लिए तत्काल प्रभाव से कंपनी के गोल्ड लोन पर रोक लगा दी थी।
आईआईएफएल के गोल्ड लोन के को-लेंडिंग साझेदारों में केनरा बैंक, डीसीबी बैंक और डीबीएस बैंक शामिल हैं। गोल्ड लोन के कारोबार में आईआईएफएल फाइनैंस देश के दो शीर्ष एनबीएफसी में शामिल है, जिसका गोल्ड लोन पोर्टफोलियो 24,692 करोड़ रुपये का है। यह वित्त वर्ष 24 की तीसरी तिमाही के अंत तक कंपनी के कुल 77,444 करोड़ रुपये लोन का 32 प्रतिशत है।
दिसंबर 2023 तक के आंकड़ों के मुताबिक कंपनी के प्रबंधन के तहत संपत्ति (एयूएम) वाले गोल्ड लोन बिजनेस में 24.3 प्रतिशत हिस्सेदारी को-लेंडिंग की है। सार्वजनिक क्षेत्र के केनरा बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस व्यवस्था में गोल्ड लोन के मामले में वर्तमान बकाया शून्य है। समझौते की समीक्षा की प्रक्रिया चल रही है।
एक और कर्जदाता डीसीबी बैंक ने कहा कि आईआईएफएल फाइनैंस के साथ उसकी गोल्ड लोन को-लेंडिंग व्यवस्था अगस्त 2021 से चल रही है। अब तक पोर्टफोलियो का प्रदर्शन संतोषजनक रहा है। डीसीबी बैंक ने बीएसई को दी गई सूचना में कहा है, ‘को-लेंडिंग पोर्टफोलियो को लेकर आश्वस्त होने के लिए हमारी एक उचित प्रणाली है।’
बिजनेस स्टैंडर्ड द्वारा मांगी गई जानकारी पर प्रतिक्रिया देते हुए डीसीबी बैंक ने कहा कि आईआईएफएल फाइनैंस पर रिजर्व बैंक की कार्रवाई का निकट अवधि में मात्रात्मक असर पड़ेगा, जो इस बात पर निर्भर होगी कि कारोबार फिर से शुरू करने में कितना वक्त लगता है। सौभाग्य से बैंक ने कुछ को-लेंडिंग समझौते किए हुए हैं।
आईआईएफएल फाइनैंस ने 5 मार्च 2024 को निवेशकों के साथ बातचीत में कंपनी के गोल्ड लोन को लेकर रिजर्व बैंक द्वारा उठाए गए मसलों पर स्थिति साफ की थी। घरेलू ब्रोकरेज मोतीलाल ओसवाल ने एक रिसर्च नोट में कहा कि आईआईएफएल को ग्राहकों और को-लेंडिंग पार्टनर्स के साथ मिलकर काम करना होगा, जिससे उसके गोल्ड लोन ब्रांड को होने वाले किसी नुकसान को रोका जा सके और पिछले कई साल से बना विश्वास बना रह सके।
एक और साझेदार, सिंगापुर के डीबीएस बैंक की इकाई डीबीएस बैंक इंडिया ने कहा कि उसके आईआईएफएल के साथ गोल्ड लोन के लिए को-लेंडिंग संबंध हैं। बहरहाल हाल के नियामक प्रतिबंधों के बाद को-लेंडिंग व्यवस्था के तहत कोई नया कारोबार नहीं हो पाएगा।
डीबीएस बैंक इंडिया के प्रवक्ता ने कहा, ‘प्राथमिक रूप से हमारा ध्यान अपने ऑर्गेनिक गोल्ड लोन पर रहता है। यह ग्राहकों को उधारी देने के कारोबार की बुनियाद है। हम अपने कारोबार के इस हिस्से में वृद्धि जारी रखेंगे।’