निवेश बाजार का ब्रांड लीडर डाक बचत पिछले 3-4 वर्षों से निवेश के लिहाज से पिछड़ता जा रहा है।
हमारे देश में शुरू से ही आम निवेशकों के लिए बचत का सर्व सुलभ और बढ़िया जगह डाकघर ही रहा है। लेकिन आज यही डाकघर अपने निवेशकों की बाट जोह रहा है। और जो निवेशक डाकघर का रुख कर रहे हैं, वे भी निवेश के लिए नहीं, बल्कि पैसा निकालने के लिए पहुंच रहे हैं।
अखिल भारतीय ‘इन्वेस्टमेंट इंडिया इनकम सेविंग्स सर्वे 2007’ में यह बात सामने आई है कि राष्ट्रीय बचत योजनाओं पर अभी भी आम लोगों का विश्वास है। सर्वे में बताया गया है कि निवेशकों का एक बड़ा वर्ग अब भी अपनी निवेश धनराशि का एक अहम हिस्सा राष्ट्रीय बचत योजनाओं में निवेश कर रहा है। निवेशकों के इस विश्वास को बनाए रखने के लिए जरूरी है कि आज के बाजार के अनुसार निवेशकों को योजनाएं मुहैया कराई जाएं।
आकर्षक रिटर्न, अंतरराष्ट्रीय स्तर की सेवाएं और अतिरिक्त अन्य लाभ भी निवेशकों की योजनाओं का निर्धारण करने में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। अल्प बचत, राष्ट्रीय बचत और डाक बचत को नये जमाने के नये उत्पादों की तरह शुरू करना चाहिए। 1,2,3 वर्षीय डाकघर आवर्ती जमा खाता और 1 वर्ष से कम की विभिन्न अवधियों की सावधि जमाखाता योजनाएं शुरू करना, आयकर में लाभ वाले इक्विटी लिंक्ड बचत योजनाएं शुरू करने से जोखिम लेने वाले निवेशकों का रुझान इस ओर बढ़ाया जा सकता है।
इसके अलावा दीर्घकालीन योजनाओं तथा राष्ट्रीय बचत पत्र (एनएससी) और 5 वर्षीय सावधि जमाखाता में डाकघर और राष्ट्रीयकृत बैंकों से ऋण सुविधा का प्रावधान करना कारगर रहेगा। वर्तमान योजनाओं एवं भविष्य में शुरू की जाने वाली योजनाओं में अन्य आकर्षक लाभ जोड़ने से निवेशक अल्प बचत से खुद-ब-खुद जुडेंगे। वरिष्ठ नागरिकों की ओर से बचत बैंक और सावधि जमा योजनाओं में निवेश करने पर सामान्य खाता धारकों से अधिक ब्याज देने का प्रावधान, बीमा लाभ प्रदान करना लाभदायक होगा और इससे अधिक निवेशकों को डाक बचत की ओर आकर्षित किया जा सकता है।
लेखक इलाहाबाद के अपर जिला बचत अधिकारी हैं।