भारी उतार चढ़ाव वाले मौजूदा दौर में क्या ग्रोथ के मुकाबले डिविडेंड विकल्प बेहतर नहीं है?
ग्रोथ विकल्प में निवेश करके अधिक नुकसान झेलने की बजाय , कम से कम कुछ मुनाफा हासिल करने में भलाई है क्योकि ग्रोथ मे प्राप्त आय का फंड में पुनर्निवेश किया जाता है।
इस प्रकार डिविडेंड में कुछ फायदा तो है बजाय किसी लाभ या नुकसान के जो हाथ में आया ही न हो।
नागा
हमारा मानना है कि लंबी अवधि में संपत्ति इकट्ठा करने के लिए इक्विटी एक बेहतर विकल्प है। इसमें निवेश का पूरा इस्तेमाल होता है और मुनाफा भी खासा होता है जबकि डिविडेंड में ऐसा नहीं हो पाता। ग्रोथ विकल्प के मामले में लाभ हाथ में नहीं आता है और यह कुल संपत्ति परिमूल्य (एनएवी) की शक्ल में दिखाई देता है।
यद्यपि इक्विटी से प्राप्त सामयिक डिविडेंड अधिकांश निवेशकों को यह मनोवैज्ञानिक आत्मसंतुष्टि दे सकता है कि उनका निवेश सही दिशा में है और बेहतर परिणाम दे रहा है, लेकिन यह आय को पुनर्निवेश करने की प्रक्रिया से रोकता है। लिहाजा यह दीर्घावधि में संपत्ति बनाने में सहायक नहीं होता है।
यदि आपका उद्देश्य निवेश से मियादी रिटर्न पाना है तो इक्विटी आपकी लिए बेहतर नहीं हो सता।
किसी निवेशक के लिए अधिक नुकसान से बचने के लिए डिविडेंड पेआउट सही विकल्प नहीं हो सकता है। अस्थिर समय का सामना करने के दौर में, हम पोर्टफोलियो का समय समय पर रीबैंलेंस करने यानी पुनर्संतुलित करने की सलाह देते हैं।
यहां आप अपनी आय को किसी उद्देश्य के साथ चुन सकते हैं। यह खासकर मुनाफेवाले निवेशों से आय प्राप्त करने के प्रयासों से किया जाता है और इसका डेट फंडों में निवेश किया जाता है। यह आपके उस लाभ को सुरक्षित करने में मदद करता है।
निवेश के लिहाज से जो घाटा पहुंचा रहे हैं, इसके लिए हम सलाह देते हैं कि इनमें आप निचले स्तरों पर पैसा लगाकर और अपना निवेश बढ़ाएं।
यह न सिर्फ उचित संपत्ति विनियोजन की देखरेख का ख्याल रखता है, बल्कि अधिक मुनाफा हासिल करने या अधिक निवेश करने के चयन की भी आजादी देता है।
क्या कोई ऐसा भी इंडेक्स फंड है, जो इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ईएलएलएस) की भांति कर रियायतों की भी सुविधा प्रदान करता है?
यदि नहीं, तो क्या ऐसा कोई ईएलएलएस है जो काफी कम टर्नओवर रखता है और निफ्टी से प्रभावित होता है?
मैं इंडेक्स में निवेश का फायदा उठाना चाहता हूं और साथ-साथ ईएलएलएस सुविधाओं का भी लाभ उठाना चाहता हूं।
एम. आनंद
वर्तमान में इसप्रकार का मात्र एक फंड है जो इंडेक्स आधारित ईएलएलएस है – फ्रैंकलिन इंडिया इंडेक्स टैक्स फंड। यह एस ऐंड पी सीएनएक्स निफ्टी सूचकांक (निफ्टी) को ट्रैक करता है लेकिन इस फंड में अब नई खरीददारी नहीं हो रही है। 17 अगस्त, 2004 से इस फंड के यूनिटों की बिक्री बंद कर दी गई है।
डाइवर्सिफाइड इक्विटी स्कीम जैसे अन्य ईएलएलएस अस्तित्व में हैं, लेकिन ये सूचकांक में निवेश की सुविधाएं प्रदान नहीं कर सकते हैं। मसलन, वर्तमान में अब तक कोई ऐसा म्युच्युअल फंड नहीं है जो कर रियायतों की सुविधा के साथ सूचकांक निवेश की सुविधा भी देता हो।
रिलायंस रेग्यूलर सेविंग्स इक्विटी, आईडीएफसी प्रीमियर इक्विटी और सुंदरम सेलेक्ट फोकस में मैंने करीब 3 लाख रुपये का निवेश किया हुआ है।
जब ये फंड अपने उच्चतम स्तर पर प्रदर्शन कर रहे हैं तो तब मैंने निवेश किया हुआ था, लेकिन अब ये पिरामिड के निचले स्तर पर आ चुके हैं।
ऐसे में फंडों के प्रदर्शन को एनालाइज किया और पाया कि पाया कि अधिकांश फंडों के प्रदर्शनों में गिरावट आयी है। ऐसी परिस्थितियों में कोई किस प्रकार फंड का चयन करे क्योकि पिछले प्रदशनों में काफी उतार चढांव होने से तय कर पाना मुश्किल है?
नीरव दधानिया
यहां यही सीख देना चाहेंगे कि प्रदर्शन का पीछा मत कीजिए। प्रर्दशन का पीछा करने से निवेश असरकारक नहीं बन सकेगा। निवेश करने के लिहाज से समझदारी यह है कि बेहतर तरीके से रिसर्च कर पोर्टफोलियो तैयार करें जो आपके उद्देश्य में कामयाबी हासिल करने में मददगार साबित हो सके।
साथ यह अधिक महत्वपूर्ण है निवेश हमेशा दीर्घावधि के लिए होता है। इक्विटी के प्रतिफल अर्जित करने की क्षमता के नजरिये से देखा जाय तो यह दीर्घावधि के लिए उपयुक्त है। हालांकि, बेहतर प्रतिफल अर्जित करने की संभावनाओं के साथ इक्विटी भी सर्वाधिक अस्थिर संपत्ति श्रेणी में शुमार हो जाता है।
मसलन, अल्पावधि में इक्विटी फंडों का प्रदर्शन आपके निवेश करने के निर्णय को प्रभावित कर नही सकेगा और अनुशासित रवैया भी बना रहेगा।
फलस्वरुप, हालिया प्रर्दशनों से परेशान न हों। सोच-विचार के साथ फंड का चयन करना भी मायने रखता है, यह हमेशा बेहतर होता है कि किसी अच्छे स्थापित फंडों में निवेश किया जाए।
यहां समझाने की कोशिश यही है कि दीर्घावधि के लिए निवेश करें। फंड में निवेश करने से पहले इस बात की तसदीक कर लें कि कौन-से फंड लंबे समय से बेहतर एवं स्थिर प्रदर्शन करते आ रहे हैं।
फ्रैंकलिन इंडिया ब्लू चिप फंड (डिविडेंड) ने 15 जनवरी, 2009 को 30 फीसदी के लाभांश की घोषणा की है।
यदि मैं इसी फंड में 14 जनवरी, 2009 को निवेश करता हूं तो क्या मुझे भी 30 फीसदी का लाभांश प्राप्त होगा?
यदि निवेश की गई राशि 2 लाख रुपये थी तो बतौर लाभांश मुझे कितनी राशि प्राप्त होगी?
शरद रोकड़े
लाभांश का भुगतान उन यूनिट धारकों को किया जाता है जिन्होंने रिकार्ड तारीख तक काम-काज बंद होने के समय से पूर्व फंडों के यूनिटों का ग्रहण किया हो। रिकार्ड तारीख और लाभांश घोषित तारीख के बीच फर्क होता है।
फ्रैंकलिन इंडिया ब्लूचिप फंड के डिविडेंड विकल्प ने 30 फीसदी के लाभांश की घोषणा 15 जनवरी, 2009 (जो कि लाभांश घोषित तारीख है)को की और 21 जनवरी, 2009 को रिकार्ड तारीख के रुप में निश्चित किया है। मसलन जिन लोगों के नाम रिकार्ड तारीख को यूनिट हैं उन्हे इसका फायदा मिलेगा।
गौरतलब है कि आपने फंड में रिकार्ड तारीख के पहले प्रवेश किया है और आप समझ रहे थे कि आपने फंड में निवेश रिकार्ड तारीख के दिन किया है, जो 21 जनवरी है, आप लाभांश प्राप्त करने के हकदार हैं।
डिविडेंड प्राय: फंडों के यूनिटों की फेस वैल्यू यानी अंकित मूल्य के प्रतिशत के आधार पर होता है। 10 रुपये प्रति यूनिट की फेस वैल्यू पर 30 फीसदी लाभांश के तौर पर प्रति यूनिट पर 3 रुपये का लाभांश प्राप्त होगा।
मान लिया जाय कि 14 जनवरी, 2009 को आपने 2 लाख रुपये का निवेश बिना किसी एंट्री लोड के किया है, एनएवी के अनुसार आपके खाते में उस दिन 24.85 रुपये की दर से कुल 8048 यूनिट आए हैं। अब 3 रुपये प्रति यूनिट की दर से 30 फीसदी के लाभांश पर आपको 24,144 रुपये बतौर लाभांश मिलेंगे।
मेरे पास कुछ ईएलएलएस फंड हैं। क्या मैं इन्हें तीन वर्षों के लॉक-इन अवधि के दौरान पैसा वापस ले सकता हूं?
क्या मैं उल्लेखित ईएलएलएस फंडों को अन्य फंडों जैसे डेट फंडों में तब्दील कर सकता हूं?
यदि मैंने ईएलएलएस फंडों को लॉक-इन अवधि में वापस कर दिया, तो मुझे बतौर कर कितनी राशि चुकानी पडेग़ी?
माथिवनन देवदौस आर
ईएलएलएस फंड उनके अनिवार्य तीन वर्षों की लॉक-इन अवधि में न तो वापस किए जा सकते हैं न ही तब्दील किए जा सकते हैं।
उनको समयावधि के बाद डेट फंडों में तब्दील किया जा सकता है। परिणामस्वरुप तीन वर्षों के पहले वे वापस नहीं किए जा सकते हैं, इसलिए इनसे बाहर निकलने के बाद कर चुकाने की नौबत नहीं आती है।