भारत के सबसे बड़े बैंकिंग, वित्तीय सेवा और बीमा (बीएफएसआई) कार्यक्रम ‘बिजनेस स्टैंडर्ड बीएफएसआई इनसाइट समिट’ में शीर्ष बैंकिंग अधिकारियों ने कहा कि साइबर सुरक्षा एक ‘चूहे-बिल्ली के खेल जैसी’ बन गई है जिसमें ग्राहक अनजाने में धोखेबाजों को अपनी पहचान बता देते हैं।
इसी से सबसे बड़ा जोखिम पैदा होता है। सिटी यूनियन बैंक के एन कामकोटि, जेऐंडके बैंक के बलदेव प्रकाश, सीएसबी बैंक के प्रलय मंडल और मशरिक बैंक इंडिया के तुषार विक्रम ने साइबर खतरों की बढ़ती जटिलता पर अपने विचार साझा किए और सुरक्षा तथा ग्राहकों के बीच जागरूकता बढ़ाने की जरूरत पर जोर दिया।
सिटी यूनियन बैंक के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी एन कामकोटि ने बताया कि कैसे साइबर सुरक्षा तकनीकी प्रगति के साथ-साथ विकसित हुई है, हाथ से लेजर पर काम करने से लेकर कोर बैंकिंग और अब डिजिटल लेजर तक।
जेऐंडके बैंक के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी बलदेव प्रकाश ने कहा कि साइबर सुरक्षा अब महज एक नियामकीय जरूरत के बजाय अस्तित्व से जुड़ी चुनौती बन गई है। साइबर हमले न सिर्फ वित्तीय सेहत को प्रभावित करते हैं बल्कि इनसे बैंक की साख भी खराब होती है।
उन्होंने कहा, ‘यदि किसी ग्राहक के साथ कभी धोखाधड़ी होती है तो उस पर दोष मढ़ने की बजाय हमें ग्राहक की मदद करनी चाहिए ताकि सिस्टम पर उसका भरोसा न टूटे।’ मशरिक बैंक इंडिया के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी तुषार विक्रम ने कहा, ‘हम सुरक्षा फर्मों को हमारे सिस्टम में सेंध लगाने का प्रयास करने का काम सौंपते हैं ताकि पता लगाया जा सके कि हमारी सुरक्षा प्रणाली मजबूत है या नहीं। ग्राहक का भरोसा जरूरी है और हमें इस दिशा में सुधार करने की जरूरत होगी।’
सीएसबी बैंक के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी प्रलय मंडल ने डिजिटलीकरण की व्यापक पैठ की वजह से साइबर हमलों के लिए खतरे के रूप में भारत के प्रोफाइल पर चर्चा की है। मंडल ने कहा कि वैश्विक स्तर पर भारत में धोखाधड़ी की कम दर के लिए कभी धोखेबाजों की ओर से ‘बड़े निवेश’ की कमी को जिम्मेदार माना जाता था। सभी बैंकिंग दिग्गजों ने साइबर हमलों से निपटने के लिए ग्राहक जागरूकता के महत्व पर जोर दिया।