भारत सरकार ने आरबीआई से कहा है कि सॉवरिन फंडों को वैकल्पिक निवेश फंडों (AIF) में निवेश से जुड़े नए सख्त नियमों से छूट दी जाए। एक फंड अधिकारी और दो सरकारी सूत्रों ने यह जानकारी दी है।
दिसंबर में आरबीआई ने बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों से एआईएफ निवेश (जिसके तहत सॉवरिन फंड भी आते हैं) के लिए प्रावधान बढ़ाने को कहा था बशर्ते कि उन परियोजनाओं के लिए ऋणदाता भी हैं जिनमें एआईएफ निवेश कर रहे हैं।
ऋणों की एवरग्रीनिंग (थोड़ा ऋण चुकाना और फिर ले लेना) रोकने के लिए कड़े किए गए नियमों में मार्च के अंत में आंशिक ढील दी गई थी। सरकार ने ‘सामाजिक-आर्थिक उद्देश्य’ का हवाला देते हुए आरबीआई को पत्र लिखकर सॉवरिन समर्थित फंडों के लिए विशेष छूट के लिए कहा है, जिनमें फंसी हुई रियल एस्टेट परियोजनाओं की मदद के लिए स्थापित फंड -स्पेशल विंडो फॉर अफॉर्डेबल ऐंड मिड-इनकम हाउसिंग भी शामिल है।
एक फंड के अधिकारी ने केंद्रीय बैंक के साथ सरकार की बातचीत की पुष्टि की है, लेकिन ज्यादा जानकारी नहीं दी। आरबीआई और वित्त मंत्रालय ने भी रॉयटर्स के ईमेल का तुरंत कोई जवाब नहीं दिया है।
रुकी हुई आवासीय परियोजनाओं के लिए ऋण मुहैया कराने के लिए 2019 में स्थापित एसडब्ल्यूएएमआईएच (स्वामी) का प्रबंधन एसबीआईकैप वेंचर्स करती है। एसबीआईकैप वेंचर्स सरकार के स्वामित्व वाले भारतीय स्टेट बैंक की पूर्ण स्वामित्व इकाई है।
एसबीआई भी इस फंड में एक बड़ा निवेशक है। बैंक ने 31 मार्च 2024 में समाप्त वर्ष में अपने एआईएफ निवेश के खिलाफ 1.2 अरब रुपये का प्रावधान किया। एसबीआईकैप वेंचर्स ने भी रॉयटर्स के ईमेल का तुरंत जवाब नहीं दिया है।
एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि ये नियम बैंकों को स्वामी में निवेश से सतर्क कर सकते हैं क्योंकि बैंकों का निवेश उन परियोजनाओं में होगा जिन्हें फंड बचाने की कोशिश कर रहा है।
उनका कहना है कि आरबीआई के नियमों से बैंकों के ऊंचे प्रावधान को बढ़ावा मिल सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार के सुझाव के आधार पर केंद्रीय बैंक ‘मामला-दर-मामला आधार’ पर सॉवरिन फंडों को छूट देने पर विचार कर सकता है।