मई के अंतिम दिन बैंकिंग प्रणाली में नकदी अधिशेष 1.75 लाख करोड़ रुपये के पार हो गया। सरकार के अधिक धन खर्च करने से इस अधिशेष को बढ़ने में मदद मिली। यह जानकारी भारतीय रिजर्व बैंक के नवीनतम आंकड़ों से मिली।
बुधवार को बैंकिंग प्रणाली में नकदी अधिशेष करीब 1.76 लाख करोड़ रुपये था। हालांकि मंगलवार को अधिशेष 1.35 लाख करोड़ रुपये थे। बीते कुछ दिनों से अधिशेष 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक था।
आईडीएससी फर्स्ट बैंक के इंडिया इकॉनमिस्ट गौरा सेनगुप्ता ने कहा, ’31 मई को नगदी में इजाफा होने का कारण सरकारी खर्च बढ़ना है। महीने के अंत में सरकरी खर्च बढ़ने का आमतौर पर रुझान रहता है। महीने के अंत में ही वेतन आदि का भुगतान होता है।’ नकदी का अधिशेष बढ़ने का एक कारण केंद्रीय बैंक का मई के पहले पखवाड़े में विदेशी विनिमय बाजार में हस्तक्षेप करना भी हो सकता है।
हाल के हफ्तों में आरबीआई विदेशी मुद्रा की खरीदारी कर रहा है जिसे रुपये की तरलता पर असर पड़ा। यह विदेशी मुद्रा का भंडार बढ़ने से भी उजागर हुआ। विदेशी मुद्रा भंडार दो सप्ताह बढ़ा और इसके बाद 19 मई को समाप्त हुए हफ्ते में कम हुआ।
केंद्रीय बैंक के 2000 रुपये नोट वापस लेने के फैसले के कारण नकदी पर कुछ असर पड़ने की उम्मीद है। इस सप्ताह के शुरू में भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन दिनेश खारा ने कहा कि नोट वापस लेने की प्रक्रिया के बाद 17,000 करोड़ रुपये मूल्य के ये नोट जमा करवाए गए है और उनके स्थान पर राशि ली गई है।