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स्टेट बैंक के 50 लाख डॉलर फंसे

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 9:46 PM IST

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के 50 लाख डॉलर लीमन ब्रदर्स में फंसे हुए हैं। हालांकि इस देश की अग्रणी बैंक ने इस पूरी रकम की प्रोवीजनिंग कर रखी है। यह बात बैंक के चेयरमैन ओ. पी.भट्ट ने यहां बताई है।

भट्ट ने कहा कि बैंक को लीमन ब्रदर्स में फंसी राशि का 60-70 फीसदी  वापस मिलने की उम्मीद है। इससे पहले मीडिया रिपोर्ट में कहा गया था कि एसबीआई का लीमन ब्रदर्स में कुल 20 करोड़ रुपया फंस रहा  है। हालांकि यह राशि बैंक के प्रॉफिट की तुलना में बेहद नगण्य है।

अप्रैल-जून की तिमाही में बैंक का लाभांश 16.7 अरब रुपये था। ज्ञातव्य  है कि लीमन ब्रदर्स ने दिवालिया होने के लिए याचिका दायर कर दी है। इससे भारतीय बैंकों के इस कंपनी में फंसे हुए धन को लेकर चिंताए  जताई जा रहीं हैं।

स्टैट बैंक ऑफ सौराष्ट्र के विलय के बाद यहां पहली प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए भट्ट ने यह भी बताया कि एसबीआई  विदेशों में बैंक खरीदने पर भी विचार कर रहा है।

हालांकि उसके इसकी कोई जल्दी नहीं है। इस पद पर काबिज होने के दो साल पूरे कर चुके भट्ट ने विदेशी अधिग्रहण के प्लान को ठंडे बस्ते में डाल दिया था। आज उन्होंने कहा, बैंक इस दिशा में आगे बढ़ेगा।

लेकिन जल्द ही उस का कोई ऐसा प्लॉन नहीं है। हालांकि यह विचार उसके ध्यान में है। भट्ट ने कहा विदेशों में जहां व्यापार की संभावनाएं होंगी, वहां वे कं सोलिडेट करेंगे। उन्होंने कहा कि बैंक देश के साथ-साथ विदेशों में भी कारोबार बढ़ाएगी।

जिस तरह से भारत का विकास हो रहा है उससे  यहां पर प्रॉफिट बढ़ाने के अवसर भी बढ़े हैं। जरूरत घरेलू बाजार में मजबूत प्रयासों की है।

भट्ट ने कहा कि जारी वित्तीय वर्ष में एसबीआई  को 24-25 फीसदी क्रेडिट ग्रोथ की उम्मीद है। हालांकि बैंकों के लिए नॉन परफार्मिंग एसेट्स परेशानी का सबब हैं। ब्याज दरें बढ़ने से इनमें  और इजाफा होने की आशंका सता रही है।

भट्ट ने कहा कि उन्हें नहीं लगता की एनपीए नाटकिय ढंग से बढ़ जाएंगी, लेकिन इस पर सतर्क  निगाह रखने की दरकार है। बैंकों द्वारा बढ़ाई जा रहीं जमा दरों से जुड़े सवाल के जवाब में भट्ट ने कहा कि जमा दरें बढ़ाने के बाद भी तरलता  की स्थिति बेहद तंग है।

इन दरों पर भारतीय रिजर्व बैंक के रवैये पर उन्होंने कहा कि वे नहीं जानते कि वह इस बढ़ोतरी को किस ढंग से ले  रहा है पर यह सच है कि जमा दरें पिछले साल के मुकाबले काफी अधिक है।

लेकिन इसके साथ तरलता की स्थिति भी अच्छी नहीं है। एक  निश्चित अवधि के लिए क्रेडिट ग्रोथ जमा में हो रही वृध्दि की तुलना में अधिक है।

First Published : September 20, 2008 | 3:30 PM IST