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रिजर्व बैंक को धीरे धीरे मिलेगी ताकत

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 15, 2022 | 5:34 AM IST

केंद्र सरकार सहकारी बैंकों पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) का नियंत्रण बढ़ाने के लिए उसे और शक्ति प्रदान करने वाले हाल में घोषित अध्यादेश को चरणबद्ध तरीके से अधिसूचित करेगी।
वित्त मंत्रालय की ओर से मंगलवार को जारी अधिसूचना के मुताबिक फिलहाल के लिए, नए अध्?यादेश को 29 जून से प्रभावी कर दिया गया है जिसके दायरे में बहुराज्यीय सहकारी बैंक आएंगे। सरकार के शीर्ष अधिकारी ने पहचान जाहिर नहीं करने के अनुरोध के साथ कहा कि हालांकि, बड़ी संख्या में केवल एक राज्य में परिचालन करने वाले या राज्य सहकारी बैंकों को आगे की तारीख से नए कानून के दायरे में लाया जाएगा।
अधिकारी ने कहा, ‘राज्य सहकारी बैंकों के लिए हम आगे की तारीख से नए कानून की अधिसूचना जारी करेंगे जिस पर निर्णय लिया जा रहा है। लेकिन विभिन्न राज्यों में पंजीकृत सहकारी बैंक तुरंत प्रभाव से नए कानून के दायरे में आ जाएंगे।’
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बैंकिंग नियमन (संशोधन) अध्यादेश, 2020 को 26 जून को मंजूरी दी थी। इसके तहत सहकारी बैंकों को पुनर्गठित करने के लिए रिजर्व बैंक को पहले से अधिक शक्ति प्रदान की गई है। इसके तहत रिजर्व बैंक के पास इन बैंकों के प्रबंधन में हस्तक्षेप करने और जमाकर्ताओं पर बिना प्रतिबंध संघर्षरत ऋणदाता बैंकों के उद्धार की योजना तैयार करने की शक्ति होगी। 
फिलहाल, सहकारी समितियों के निगमीकरण, विनियमन और उसे समाप्त करने के लिए राज्य का कानून प्रभावी होता है और राज्य सरकार अधिनियम द्वारा सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार की नियुक्ति की जाती है जो कि इन बैंकों के नियामक प्राधिकरण के तौर पर कार्य करता है। लेकिन विभिन्न राज्यों में परिचालन करने वाले सहकारी बैंकों को बहुराज्यीय सहकारी समिति अधिनियम, 2002 द्वारा प्रशासित किया जाता है जो कि केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में है। बैंकिंग संबंधी कुछ कार्य रिजर्व बैंक के अंतर्गत आते हैं जिसका उन पर मामूली नियमन होता है। अत: तुरंत प्रभाव से बहुराज्यीय सहकारी बैंकों को वाणिज्यिक बैंकों की तरह कठोर नियमन नियमों का पालन करना होगा, वहीं राज्य सहकारी बैंकों को पूर्ण नियमन के दायरे में लाने में थोड़ा वक्त लगेगा। 
नए अध्यादेश से रिजर्व बैंक को बहुराज्यीय सहकारी बैंकों के अलावा राज्य सरकार में पंजीकृत सहकारी बैंकों के प्रबंधन का नियंत्रण भी अपने हाथों में लेने की शक्ति दी गई है। हालांकि सरकार की ओर से किए गए संशोधन प्राथमिक कृषि ऋण समिति (पैक्स) या उन सहकारी समितियों पर लागू नहीं होते हैं जिनका प्राथमिक लक्ष्य और मुख्य कारोबार कृषि विकास के लिए दीर्घावधि वित्त मुहैया कराना है।
एक अन्य सरकारी अधिकारी के मुताबिक कुछ राज्य सरकारों ने राज्य के दायरे में आने वाले सहकारी बैंकों का और अधिक नियंत्रण रिजर्व बैंक को देने के केंद्र सरकार के कदम का विरोध किया है। योजना आयोग के पूर्व सलाहकार केडी जकारिया की ओर से तैयार किए गए एक प्रारूप को रिजर्व बैंक की वेबसाइट पर अपलोड किया गया है।
इसमें कहा गया है, ‘संविधान के तहत बैंकिंग केंद्रीय सूची का विषय है और सहकारी का परिचालन राज्य के भीतर होने के कारण यह राज्य का विषय है जिससे टकराव की स्थिति में सहकारी समितियों को शासित करने वाले कानूनों पर बैंकिंग कानूनों को वरीयता दी जाती है जो कि विवादास्पद मुद्दा है।’ 

First Published : July 1, 2020 | 12:14 AM IST