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आरबीआई ने आसान की ईसीबी की शर्तें

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 08, 2022 | 1:06 AM IST

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को विदेशों से उधार (ईसीबी यानी एक्सटर्नल कॉमर्शियल बारोइंग)लेने की शर्तों को आसान करते हुए कंपनियों को एंड यूजेज में रुपये में व्यय  के लिए विदेशों से 50 करोड़ डॉलर तक के उधार लाने की अनुमति दे दी है।


इन एंड यूजेज की सूची में औद्योगिक क्षेत्र में निवेश, संयुक्त उपक्रम या फिर 100 फीसदी स्वामित्व वाली सब्सिडरी में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, विनिवेश में पहले चरण में शेयरों का अधिग्रहण और ओपन ऑफर के साथ एनजीओ द्वारा स्व सहायता समूह को माइक्रो लेंडिंग शामिल है।

हालांकि रुपया फंड के पूंजी बाजार, रियल एस्टेट और इंटर कार्पोरेट लेंडिंग में में निवेश पर लगा प्रतिबंध जारी रहेगा। इसके साथ इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र की कंपनी पर रुपये में व्यय के लिए 10 करोड़ डॉलर से अधिक केलोन के लिए  औसतन सात साल के मैच्योरिटी पीरियड आवश्यकता भी जारी रहेगी।

आरबीआई ने यह कदम कंपनियों के लिए तरलता बढ़ाने के लिए किए जा रहे विभिन्न उपायों के तहत उठाया है जो उसने अमेरिका में सब प्राइम संकट के बाद शुरु किए थे। आसान करने के लिए अपनी कमर्शियल शर्तों में फेरबदल किया है।

एक और बड़ा बदलाव यह किया गया है कि अब विदेशों से उधार लाने वाले अपना विदेशी फंड उस समय तक पार्क करके रखना पड़ता था जब तक इसका भारत में वास्तविक परिनियोजन न हो जाए अब केंद्रीय बैंक ने उसे यह राशि अपने भारत के रुपये में खोले गए एकाउंट में क्रेडिट करने की अनुमति दे दी है।

इन कदमों से भारतीय बैंकिंग सिस्टम में तरलता बढ़ने के साथ रुपये को भी मजबूत बनाने में मदद मिलेगी जो इस समय अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अपने सबसे निचले स्तर पर जा चुका है। वैश्विक वित्त बाजार में आए संकट के कारण इस समय विदेशी बैंक सिस्टम कठिनाई का सामना कर रहा है।

इसके चलते भारतीय कंपनियां विदेशों में दिया गया उधार भारत लाना चाहती हैं। अपनी घोषणा में तीन से लेकर पांच साल की अवधि के लिए लोन के लिए इंट्रेस्ट सिलिंग एक फीसदी से बढ़ाकर दो फीसदी कर दी, सात साल के लिए यह इंट्रेस्ट सिलिंग 1.5 फीसदी से 5 फीसदी तक कर दी गई है।

यह निर्णय अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तरलता की तंग स्थिति के कारण लिया गया है। केंद्रीय बैंक ने यह भी कहा है कि सभी ऑल इन-कॉस्ट सिलिंग की भविष्य में समीक्षा की जाएगी। हालांकि यह अंतर्राष्ट्रीय बाजार की स्थिति पर निर्भर रहेगा।

First Published : October 23, 2008 | 9:25 PM IST