कोलकाता स्थित सार्वजनिक क्षेत्र का बैंक यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया (यूबीआई) पूंजी पुनर्निर्माण योजना को इस वित्तीय वर्ष केअंत तक शुरू करने के बारे में विचार कर रहा है।
बैंक की आईपीओ लाने की योजना भी है लेकिन इससे पहले वह पूंजी पुनर्निर्माण योजना की शुरुआत कर देना चाहता है। बैंक के नवनियुक्त अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक एस सी गुप्ता ने कहा कि गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों में बढोतरी बैंकिंग उद्योग के लिए चिंता का विषय है।
नम्रता आचार्य से साक्षात्कार में उन्होंने इस विषय केअतिरिक्त विभिन्न मुद्दों पर बात की। प्रस्तुत है बातचीत के प्रमुख अंश:
मौजूदा वित्तीय संकट को देखते हुए बैंकिंग उद्योग के लिए किस तरह आसार नजर आ रहे हैं?
अर्थव्यवस्था पर मंदी के असर केबावजूद बैंकिंग उद्योग ने बेहतर प्रदर्शन किया है। लेकिन मार्क-टू-मार्केट प्रावधानों केकारण बैंकों के मुनाफे में कमी आई है।
हालांकि आनेवाले समय में हालात बदलने वाले हैं और मेरा मानना है कि भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा रियल एस्टेट को दिए जा रहे कर्ज के प्रावधानों में कुछ ढ़ील देने से बैंक इस क्षेत्र को और अधिक कर्ज मुहैया करा पाएंगे।
क्या गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों में बढाेतरी बैंकिंग जगत के लिए चिंता का विषय है?
निश्चित तौर पर गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों में बढ़ोतरी बैंक के लिए चिंता का विषय है। इसमें और अधिक बढ़ोतरी होने की आशंका जाहिर की जा रही है। आर्थिक मंदी का असर उद्योग-जगत पर पड़ेगा जिससे वे छोटे और मध्यम आकार के उद्योगों को पूंजी मुहैया नहीं करा पाएंगे।
इन तमाम बातों को देखते हुए ऐसा लगता है कि छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों के कारोबार को बेहतर तरीके से नियंत्रित करन की जरूरत है। हम खातों की खासकर छोटे और मध्यम आकार की इकाईओं के लिए खातों की पुनर्निर्माण संबंधी नई नीतियों के साथ आ रहें हैं।
इस कदम से ऐसे खातों को कुछ और आर्थिक मदद देकर पटरी पर लाया जाएगा जो बेहतर प्रदर्शन कर रहें हैं, साथ ही जिनका पिछला रिकॉर्ड बहुत अच्छा रहा है।
गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों के प्रबंधन के लिए आप किस तरह के कदम उठा रहे हैं?
इसकेलिए हम ग्रामीण इलाकों में ऋण वसूली शिविर लगा रहे हैं और साथ ही वित्तीय परिसंपत्ति का प्रतिभूतिकरण और पुनर्निर्माण के अलावा सिक्योरिटी इनफोर्समेंट इंटरेस्ट (एसएआरएफएईएसआई) एक्ट का भी इस्तेमाल कर रहे हैं।
हम कुछ परिसंपत्तियों को बेचने के विकल्पों पर भी विचार कर रहे हैं। हम 200-300 करोड रुपये के पोर्टफोलियो का निर्माण करेंगे। फिलहाल हम खातों का मूल्यांकन और समूहन कर रहे हैं।
आनेवाले महीनों में आपकी फंड जुटाने की भी कोई योजना है?
हमलोगों ने बोर्ड की बैठक में फंड जुटाने और पूंजी पुनिर्निर्माण योजनाओं सहित विभिन्न विकल्पों पर चर्चा की है।
पहले हमारी आईपीओ लाने की योजना थी लेकिन बाजार की बुरी हालत देखकर हमने इसे टाल दिया था। हालांकि इस पर हम अब कोई फैसला करेंगे।
इस समय हमारी कुल चुकता पूंजी 1,532 करोड़ रुपये है। अब हमें इस बारे में फैसला करना है कि 300-400 करोड़ रुपये वाले इक्विटी लाया जाए या नहीं।
इसके अलावा हमे शेष राशि के बारे में भी कोई फैसला लेना है जैसे कि इसे सरकार को वापस कर दिया जाए और अगर हां तो फिर किस दर पर।
हमलोग इस बारे सलाहकारों के साथ बातचीत करेंगे। इस साल हम पूंजी पुनर्निर्माण करने के बारे में फैसला करेंगे।
बाजार में नकदी की कमी को पूरा करने के कदम से बैंक को कितना फायदा मिला है?
जहां तक नकदी की बात है तो हम इसे लेकर निश्चिंत हैं। फिलहाल हमारे पास पर्याप्त फंड उपलब्ध है और हमें मौजूदा समय में कोई आवश्यकता नहीं है।
इसकी वजह यह है कि हमारे पास इसके कई स्रोत उपलब्ध हैं। हमारे पास पर्याप्त जमाएं हैं। हमने नकदी समायोजन नीति (एलएएफ) के साथ ही आरबीआई के रेपो रेट में की गई कमी का भी इस्तेमाल नहीं किया है।
अगर कॉल रेट को नकदी के किसी संकेत केरूप में देखा जाए तो इससे पहले यह 21-22 फीसदी के स्तर पर पहुंच चुका है। हालांकि यह अभी स्थिर है।