सिटीबैंक मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस रिटेल के साथ 50:50 का संयुक्त उद्यम स्थापित करेगी।
इसके तहत रिलायंस रिटेल सिटीबैंक के वित्तीय उत्पादों जैसे ऋण और क्रेडिट कार्डों का वितरण करेगी। ऐसा अनुमान है कि यह संयुक्त उद्यम गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी की तरह काम करेगी और इसके लिए 500 करोड़ रुपये का संयुक्त निवेश किया जाएगा।
सिटीबैंक के एक वरिष्ठ कार्यकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि दोनों पक्ष लगभग 250 करोड़ रुपये लगाएंगे। उन्होंने कहा, ‘रिलायंस रिटेल के माध्यम से हम सिटीबैंक के खुदरा बैंकिंग उत्पादों का वितरण पहले ही शुरू कर चुके हैं। इस व्यवसाय के विस्तार के लिए दोनों कंपनियां बराबर का योगदान करेंगी। इस साझेदारी में हम लगभग 620 लाख डॉलर का निवेश कर चुके हैं।’
हालांकि इस सौदे की औपचारिक घोषणा की जानी अभी बाकी है। सूत्रों ने बताया कि आरंभ में यह संयुक्त उद्यम रिलायंस रिटेल के बड़े ग्राहक आधार को लक्ष्य करेगा जिसकी संख्या लगभग 40 लाख है। वर्तमान में देश भर में रिलायंस रिटेल के 1000 से अधिक खुदरा आउटलेट्स हैं।
ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि प्रस्तावित संयुक्त उद्यम कई को-ब्रांडेड कार्ड लेकर आएगा। सिटीबैंक ने इससे पहले मारुति सुजुकी के साथ कार फाइनैंस के लिए संयुक्त उद्यम किया था, यद्यपि हाल के महीनों में इसकी गतिविधियों में मंदी देखने को मिली है।
रिलायंस अपने रिटेल परिचालन को मजबूत करने के प्रयासों के तहत प्रीमियम और लक्जरी ब्रांडों के साथ-साथ उपभोक्ता टिकाउ कारोबार को शामिल कर रहा है। उपभोक्ता फाइनैंस जिसमें ऋण और क्रेडिट कार्ड शामिल होंगे, वित्तीय सेवाओं के क्षेत्र में सबसे तेजी से बढ़ने वाली श्रेणियों में से एक है।
ऐसा आकलन है कि इस क्षेणी की विकास दर वार्षिक 30 प्रतिशत की होगी। आकलनों के मुताबिक भारत में क्रेडिट कार्ड के माध्यम से लगभग 50,000 करोड़ रुपये खर्च किए जाते हैं। भारत में क्रेडिट कार्ड की पहुंच लगभग एक प्रतिशत की है जबकि इसका वैश्विक औसत 4.6 प्रतिशत का है। पिछले कुछ तिमाहियों में क्रेडिट कार्ड कंपनियों को कुछ आपराधिक घटनाएं देखने को मिली हैं।
सिटीबैंक के दक्षिण एशिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी संजय नायर ने बिजनेस स्टैंडर्ड को दिए एक साक्षात्कार में कहा, ‘क्रेडिट कार्ड के मामले में जहां आपको वास्तव में औद्योगिक आंकड़े मिलते है, वहां इसका औसत लगभग 11 से 12 प्रतिशत का है। इसमें सिटी की भागीदारी लगभग आधी है। असुरक्षित ऋणों के मामले में भी हमारी दशा उद्योग से बेहतर है।’
क्या-क्या होगा संयुक्त उद्यम में
यह संयुक्त उद्यम गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी की तरह काम करेगी।
दोनों कंपनियां इसके लिए लगभग 250-250 करोड़ रुपये लगाएंगी।
अनुमान है कि यह संयुक्त उद्यम कई को-ब्रांडेड क्रेडिट कार्ड लेकर आएगा।