देश की दूसरी सबसे बड़ी सरकारी बैंक केनरा बैंक का शुध्द लाभ जून 2008 को खत्म हुई तिमाही में 49 फीसदी गिरकर 122.68 करोड़ रुपये हो गया है।
हालांकि इस तिमाही में बैंक की कुल आय 9 फीसदी बढ़कर 4000 करोड़ रुपये से अधिक हो गई। अप्रैल-जून 2007 में उसका मुनाफा 240.55 करोड़ रुपये था। मुनाफे में हुई इस भारी कमी की प्रमुख वजह प्रतिभूतियों की वैल्यू में आई भारी कमी रही।
बैंक की ओर से बंबई शेयर बाजार (बीएसई) को दी गई जानकारी के अनुसार उसकी आय 2007 की पहली तिमाही की आय 3,760 करोड़ रुपये की तुलना में 9.01 फीसदी बढ़कर 4,099 करोड़ रुपये हो गई। बैंक की शुध्द ब्याज आय (एनआईआई) जून को खत्म हुई तिमाही में 14 फीसदी बढ़कर 1,019 करोड़ रुपये हो गई। बैंक की ब्याज आय तो 10.36 फीसदी बढ़कर 3,730 करोड़ रुपये हो गई, लेकिन ब्याज लागत इस दौरान 9.06 फीसदी बढ़कर 2,711.35 करोड़ रुपये हो गई।
बैंक के अनुसार उसकी प्रोविजन और कांटिंजेंसी 79 फीसदी बढ़कर 540.09 करोड़ रुपये हो गई। केनरा ने बढ़े खर्च के बाद भी जारी वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में अपने ऑपरेटिंग प्रॉफिट को 15 फीसदी बढ़ाकर 704 करोड़ रुपये करने में सफलता अर्जित की। प्रोविजन में हुई इस वृध्दि का प्रमुख कारण कारोबारी पोर्टफोलियो में सरकारी प्रतिभूतियों को बाजार दर बाजार हुआ नुकसान है। बैंक की नॉन परफार्मिंग एसेट (एनपीए) 0.85 फीसदी की रहीं, जबकि उसका कैपिटल एडिक्वेसी रेशियो (सीएआर) जून 2008 के अंत तक 12.66 फीसदी था।
इससे पहले वित्तीय वर्ष 08 की चौंथी तिमाही में एनपीए 0.84 फीसदी और सीएआर 13.24 फीसदी था। इसी वित्तीय वर्ष तिसरी और दूसरी तिमाही में एनपीए क्रमश: 0.89 फीसदी और 0.99 फीसदी था, जबकि सीएआर 13.66 फीसदी और 13.89 फीसदी रहा। प्रोविजनिंग के लिए 401 करोड़ रुपये की राशि निकालने के बाद केनरा का सेल पोर्टफोलियो 18,000 करोड़ रुपये का हो जाता है। बैंक के हाल ही में नियुक्त किए गए चेयरमैन और प्रबंध निदेशक (सीएमडी) एसी महाजन ने बताया कि उनकी बैंक ने एडवांस और डिपाजिट में 25 फीसदी का विकास लक्ष्य निर्धारित किया है।