facebookmetapixel
Yearender 2025: टैरिफ और वैश्विक दबाव के बीच भारत ने दिखाई ताकतक्रेडिट कार्ड यूजर्स के लिए जरूरी अपडेट! नए साल से होंगे कई बड़े बदलाव लागू, जानें डीटेल्सAadhaar यूजर्स के लिए सुरक्षा अपडेट! मिनटों में लगाएं बायोमेट्रिक लॉक और बचाएं पहचानFDI में नई छलांग की तैयारी, 2026 में टूट सकता है रिकॉर्ड!न्यू ईयर ईव पर ऑनलाइन फूड ऑर्डर पर संकट, डिलिवरी कर्मी हड़ताल परमहत्त्वपूर्ण खनिजों पर चीन का प्रभुत्व बना हुआ: WEF रिपोर्टCorona के बाद नया खतरा! Air Pollution से फेफड़े हो रहे बर्बाद, बढ़ रहा सांस का संकटअगले 2 साल में जीवन बीमा उद्योग की वृद्धि 8-11% रहने की संभावनाबैंकिंग सेक्टर में नकदी की कमी, ऋण और जमा में अंतर बढ़ापीएनबी ने दर्ज की 2,000 करोड़ की धोखाधड़ी, आरबीआई को दी जानकारी

बैंकों ने दिखाया कर्ज पर ठेंगा

Last Updated- December 07, 2022 | 11:41 PM IST

वाणिज्यिक बैंकों ने सरकारी तेल रिफाइनरी कंपनियों को ऋण देना बंद कर दिया है। उत्पादन मूल्य से भी कम दर पर पेट्रोलियम उत्पाद बेच पहले से ही कर्ज के बोझ तले दबी हैं।


कंपनियों ने बताया कि बैंकों द्वारा उन्हें ऋण न देने की एक वजह तरलता की कमी तो है ही साथ ही तेल कंपनियों की लेनदारी इतनी अधिक बढ़ गई है कि बैंक उन्हें ऋण देने से कतरा रहे हैं। वैश्विक वित्तीय बाजारों में जो भूचाल आया है उसका असर भारतीय बाजारों पर भी पड़ा है और देश में अल्पकालिक ऋणों के लिए ब्याज दरें बढ़कर 16 फीसदी तक पहुंच गई हैं।

इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) के एक अधिकारी ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया, ‘घरेलू बैंकों ने हमें ऋण देना बंद कर दिया है।’ उन्होंने कहा, ‘हम बाजार से डॉलर तभी खरीद सकते हैं, जब हमारे पास उसे खरीदने के लिए पैसा हो।’

देश की सबसे बड़ी तेल रिफाइनरी कंपनी आईओसी हर महीने कच्चा तेल खरीदने के लिए करीब 3 अरब डॉलर खर्च करती है। इस खरीद के लिए जितने डॉलर की जरूरत होती है, उसे कंपनी घरेलू और विदेशी बैंकों से पूरा करती है। साथ ही कंपनी के पास खुद का जितना पैसा होता है, उससे भी कंपनी बाजार से डॉलर खरीदती है।

पर विदेशी बाजारों में जो वित्त संकट पैदा हुआ है, उससे बैंकों में तरलता की कमी उत्पन्न हुई है और उन्होंने कंपनियों को ऋण देना कम कम कर दिया है। आईओसी और बीपीसीएल लिमिटेड के दो प्रमुख अधिकारियों ने बताया कि बैंकों ने पिछले महीने से ही तेल मार्केटिंग कंपनियों को डॉलर उधार देना बंद कर दिया था।

तेल कंपनियों को सब्सिडी दामों पर पेट्रोलियम उत्पाद बेचकर जो नुकसान होता है उसका कुछ हिस्सा सरकार भी उठाती है जिसके लिए वह तेल कंपनियों को बॉन्ड जारी करती है। आईओसी के अधिकारी ने बताया, ‘अगर हमें नए बॉन्ड्स जारी नहीं कि गए तो 31 अक्टूबर के बाद हम कच्चे तेल का आयात नहीं कर पाएंगे।’

First Published - October 10, 2008 | 1:37 AM IST

संबंधित पोस्ट