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बैंक नहीं चाहते आईपीओ लिस्टिंग का समय घटे

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 05, 2022 | 9:25 PM IST

सेबी के चेयरमैन सीबी भावे के आईपीओ की लिस्टिंग का समय घटाने के प्रस्ताव पर मेगा इश्यू लाने वाली कंपनियों और उनके बैंकरों को पसीना छूट रहा है।


भावे ने प्रस्ताव में कहा था कि आईपीओ के  खुलने और लिस्ट होने के बीच का समय तीन हफ्ते से घटाकर एक हफ्ते कर दिया जाना चाहिए। इस प्रस्ताव से बैंकों को जरूर निराशा हुई है जो आईपीओ की एप्लिकेशन मनी का पैसा एलॉटमेंट तक रखने के लिए एस्क्रो एकाउंट खोलते हैं।


अगर तीन हफ्ते का समय कम कर दिया गया तो इससे बैंकों को ब्याज का खासा नुकसान होगा। कंपनियों को भी ज्यादा समय मिलने से फायदा रहता है और अब वे भी चिंतित हैं। बैंक आमतौर पर बड़े इश्यू की एप्लिकेशन मनी का पैसा अपने पास रखने के लिए एस्क्रो एकाउंट खोलते हैं और  इस पैसे का इस्तेमाल कॉल मनी मार्केट में करते है, जहां उन्हे दो हफ्ते में ही इस पैसे पर 7-8 फीसदी का ब्याज मिल जाता है।


कंपनीज ऐक्ट के मुताबिक एस्क्रो एकाउंट के पैसे पर कोई भी ब्याज कंपनियों को देना जरूरी नहीं होता। हालांकि इंवेस्टमेंट बैंकों का कहना है कि अब ये प्रैक्टिस सी बन गई है कि बैंक ब्याज की इस कमाई से आईपीओ का खर्च घटा लेते हैं और बाकी का पैसा कंपनियों को सौंप देते हैं। आईपीओ के पैसे से ब्याज की ये अतिरिक्त कमाई कंपनियों को भी अपने आईपीओ के दाम कम रखने के लिए प्रेरित भी करती है।


हालांकि इस सब से कई अनियमितताएं भी शुरू हो गई हैं। कई बैंकर रिफंड भेजने में जानबूझकर देरी करने लगे हैं ताकि उस पैसे का ज्यादा से ज्यादा समय तक इस्तेमाल किया जा सके। स्थानीय बैंक रिटेल ग्राहकों का पैसा जुटाते हैं जिन्हे एकमुश्त ही आईपीओ का पूरा पैसा देना होता है लेकिन विदेशी बैंक संस्थागत निवेशकों और क्वालिफाइड बायर्स को शेयर बेचते हैं जिन्हे शेयर का पूरा पैसा नहीं देना होता बल्कि एप्लिकेशन के साथ केवल दस फीसदी रकम ही देनी होती है।


इससे स्थानीय यानी घरेलू बैंकों को ज्यादा फायदा मिलता है और ब्रोकरों की भी कमीशन के जरिए ज्यादा कमाई होती है। सूत्रों का भरोसा किया जाए तो रिलायंस पावर के आईपीओ के लिए बने एस्क्रो खाते में आए पैसे से बैंकों ने दो हफ्ते में ही करीब 60-140 लाख डॉलर तक का ब्याज कमाया। इस आईपीओ से कुल 180 अरब डॉलर जुटाए गए थे।


और यह पैसा स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक, एबीएन एमरो, एचएसबीसी, आईसीआईसीआई, कोटक महिन्द्रा, एक्सिस और एचडीएफसी बैंकों के पास दो हफ्ते तक रहा। हांगकांग के एक इंटरनेशनल फाइनेंस रिव्यू के मुताबिक आठ बुक  रनर, दो को-बुक रनर और सात एस्क्रो बैंकों ने इश्यू के दौरान अनिल अंबानी से आईपीओ फीस के बारे में बात करने की हिम्मत ही नहीं की। रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि अनिल अंबानी ने उन सभी सात बैंकों से वह पैसा लौटाने को कहा है।

First Published : April 15, 2008 | 1:29 AM IST