रिजर्व बैंक द्वारा दरों को लेकर कोई बदलाव नहीं किए जाने को विवेकपूर्ण कदम करार दिया, वहीं पुनर्गठन और स्वर्ण पर उधारी में वृद्घि जैसे उपायों का स्वागत किया।
एसबीआई के चेयरमैन एवं इंडियन बैंक्स एसोसिएशन के भी अध्यक्ष रजनीश कुमार ने कहा कि वृद्घि पर परिदृश्य ‘नकारात्मक बना हुआ है’ और उनका मानना है कि आरबीआई ने अर्थव्यवस्था पर दबाव के संदर्भ में कोई कदम उठाने से परहेज किया है, वहीं मुद्रास्फीति की राह ‘अनिश्चित’ है।
दरों में दो बार बड़ी कटौती के बाद आरबीआई ने इस बार कोई बदलाव नहीं किया है, क्योंकि मुद्रास्फीति जुलाई के लिए लक्षित दायरे की ऊपरी सीमा को पार कर गई और वास्तविक ब्याज दरें (मुद्रास्फीति और उधारी दरों के बीच अंतर) नकारात्मक हो गई हैं।
कुमार द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है, ‘नीतिगत दर को यथावत बनाए रखने का निर्णय मौजूदा हालात में उचित है, क्योंकि आर्थिक वृद्घि, मुद्रास्पुीति और बाहरी मांग की राह अनिश्चित बनी हुई है।’
उन्होंने कहा, ‘आरबीआई ने उन स्टैंडर्ड खातों के लिए पुनर्गठन सुविधा के तौर पर कुछ राहत प्रदान की है, जो ऋण पुनर्गठन में समस्या से जूझ रहे हैं। हम इसका स्वागत करते हैं कि कोविड-19 संबंधित दबाव के लिए नए समाधान ढांचे के दायरे में जरूरी सुरक्षात्मक उपायों के साथ बड़े कॉरपोरेट, एसएमई और व्यक्तिगत ऋणों को लाया गया है।’
बैंक ऑफ इंडिया के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी ए के दास ने कहा कि आरबीआई पॉलिसी में कई सकारात्मक कदम उठाए गए हैं जिनसे वित्तीय स्थायित्व में मदद मिलगी जिसमें एनबीएफसी और एचएफसी को उधारी, एमएसएमई पुनर्गठन की समय-सीमा में विस्तार, और प्राथमिक क्षेत्र की उधारी के लिए प्रोत्साहन योजना आदि के लिए राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) और नैशनल हाउसिंग बैंक (एनएचबी) के लिए 10,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त पूंजी शामिल है।
इंडियन बैंक की प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी पदमजा चुंदूरू ने मौद्रिक नीति समिति के निर्णय को व्यावहारिक करार दिया है, क्योंकि उसने सामयिक रुख बरकरार रखा है।निजी क्षेत्र के ऋणदाता कोटक महिंद्रा बैंक में समूह अध्यक्ष शांति इकांबरम ने कहा कि इस तरह की मौद्रिक नीति अपेक्षित थी और एमएसएमई क्षेत्र के लिए पुनर्गठन योजना स्वागत योग्य है, क्योंकि इससे कोविड-17 महामारी से प्रभावित इस क्षेत्र को अतिरिक्त राहत मिलेगी।
गैर-बैंक ऋणदाता श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनैंस के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी उमेश रावंकर ने मोरेटोरियम समाप्त किए जाने और उसके बजाय खास मामलों के आधार पर पुनर्गठन की पहल का स्वागत किया है।
बैंक जैसा व्यवहार चाहें गोल्ड लोन फर्में
मुथूट व मणप्पुरम जैसी गोल्ड लोन कंपनियां चाहती हैं कि भारतीय रिजर्व बैंक उनके साथ बैंकों जैसा व्यवहार करे और जमानत की वैल्यू के 90 फीसदी तक कर्ज देने की अनुमति दे।
आरबीआई ने स्वर्ण आभूषण की वैल्यू के अनुपात में कर्ज की सीमा (एलटीवी) 75 फीसदी से बढ़ाकर 90 फीसदी कर दी है, जो गैर-कृषि मकसद के लिए है। एनबीएफसी के लिए यह सीमा एलटीवी का 75 फीसदी बना हुआ है। आरबीआई ने कहा कि आम परिवारों, उद्यमों और छोटे कारोबारियों पर कोविड-19 महामारी के आर्थिक असर को कम करने की खातिर बैंकों के लिए यह सीमा बढ़ाई गई है। गोल्ड लोन कंपनियों के संगठन ने कहा कि व्यवहार में अंतर से ग्राहकों की प्राथमिकता के लिहाज से वे नुकसान में रहेंगी और कम लोग उनकी तरफ आएंगे। गोल्ड लोन कंपनियों के लॉबी समूह ने आरबीआई की घोषणा के तुरंत बाद आपात बैठक बुलाई। बीएस