हरियाणा में 15वीं विधान सभा के लिए 5 अक्टूबर को चुनाव होंगे। मौजूदा विधान सभा के सत्र नवंबर 2019 से मार्च 2024 के बीच आयोजित किए गए हैं। पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च के विश्लेषण के अनुसार 14वीं विधान सभा में पूरे पांच साल में 72 बैठकें हुईं। इसे ऐसे भी कह सकते हैं कि विधान सभा में प्रति वर्ष औसतन 14.4 दिन कामकाज हुआ। इसके उलट, वर्ष 2017 से 2023 के बीच देश भर में विभिन्न राज्यों की विधान सभाओं में एक वर्ष में औसतन 23 दिन बैठकें हुईं।
17वीं लोक सभा (2019-2024) के दौरान 274 दिन अथवा प्रति वर्ष औसतन 54.4 दिन कामकाज हुआ। इस आंकड़े के मुताबिक पांच साल का कार्यकाल पूरा करने वाली सभी लोक सभाओं में यह सबसे खराब प्रदर्शन है। कोविड-19 महामारी के कारण वर्ष 2020-2021 में लोक सभा सत्र आयोजित नहीं हुए।
केरल की 14वीं विधान सभा देश में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाली विधान सभाओं में शामिल है। इसमें मई 2016 से मई 2021 के दौरान संपन्न कार्यकाल में 232 दिन अथवा प्रतिवर्ष औसतन 46.4 दिन कामकाज हुआ। लेकिन हरियाणा विधान सभा की 12वीं और 13वीं विधान सभाओं की कार्यवाही 14वीं विधान सभा के मुकाबले कम दिन चली। 13वीं हरियाणा विधान सभा (नवंबर 2014 से फरवरी 2019) के दौरान केवल 69 दिन अथवा एक साल में औसतन 14 दिन ही कामकाज हुआ और 12वीं विधान सभा (2009-14) के बीच के वल 54 दिन ही कामकाम कर सकी, जिसका वार्षिक कामकाज औसत केवल 11 दिन ही बैठता है।
हरियाणा विधान सभा की प्रक्रिया के नियम के अनुसार सदन एक दिन में कम से कम छह घंटे चलना चाहिए, लेकिन 14वीं विधान सभा के दौरान प्रतिदिन औसतन 4.8 घंटे ही कामकाज हुआ। इस दौरान 124 विधेयक पास किए गए। इनमें 98 प्रतिशत विधेयक एक ही सत्र में पास हुए। चार विधेयक चयन समितियों को भेजे गए।
यही नहीं, 14वीं विधान सभा के दौरान 20 ऑर्डिनेंस जारी किए गए जिनमें से सदन ने 13 को पारित कर दिया। पांच ऑर्डिनेंस इस साल अगस्त और 2 ऑर्डिनेंस 2020 में जारी किए गए। इस दौरान जो महत्त्वपूर्ण कानून विधान सभा ने पास किए, उनमें हरियाणा गैर कानूनी धर्म परिवर्तन अधिनियम और हरियाणा राज्य रोजगार अधिनियम भी शामिल हैं। इसके अलावा वार्षिक बजट पर चर्चा 9.5 घंटे अथवा औसतन 3 दिन चली। 14वीं विधान सभा में प्रत्येक विधायक ने 34 सवाल पूछे और सदन में विधायकों की उपस्थिति 91 प्रतिशत रही।