चुनाव

Chhattisgarh Assembly Polls 2023 : कांग्रेस का कल्याणकारी योजनाओं पर जोर, भाजपा को सत्ता में वापसी की उम्मीद

प्रधानमंत्री ने भाजपा के सत्ता में आने पर भर्ती परीक्षा आयोजित करने वाले राज्य लोक सेवा आयोग (पीएससी) में कथित घोटाले की जांच कराने का भी वादा किया है।

Published by
भाषा   
Last Updated- October 09, 2023 | 3:23 PM IST

छत्तीसगढ़ सरकार की कल्याणकारी योजनाओं और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की लोकप्रियता के दम पर सत्ताधारी दल कांग्रेस को उम्मीद है कि प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव में उसे फिर से जीत मिलेगी। वहीं भाजपा फिर से सत्ता हासिल करने के लिए प्रयास कर रही है। छत्तीसगढ़ में आमतौर पर भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस सबसे प्रमुख राजनीतिक दल माने जाते हैं।

राज्य में कुछ अन्य राजनीतिक दल भी हैं लेकिन उनका प्रभाव कुछ क्षेत्रों तक ही सीमित है। इस चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) भाजपा और कांग्रेस के गढ़ को भेदने की कोशिश कर रही है। छत्तीसगढ़ में 2018 के 90 सदस्यीय विधानसभा के चुनावों के बाद “कमजोर” विपक्ष तेजी से कांग्रेस के लिए एक गंभीर चुनौती के रूप में उभर रहा है। राज्य में एक वर्ष पहले तक कांग्रेस अपनी लोकलुभावन योजनाओं और ‘छत्तीसगढ़ियावाद’ के दम पर आराम से एक बार फिर सरकार बनाने की स्थिति में दिख रही थी।

पिछले कुछ महीनों में हालांकि परिदृश्य बदलता दिख रहा है। राज्य में भाजपा कथित घोटालों, तुष्टिकरण की राजनीति और ‘धर्मांतरण’ को लेकर बघेल सरकार के खिलाफ लगातार हमला कर रही है। भाजपा अब चुनावी रणनीति के तहत सरकार को भ्रष्टाचार और कुशासन के मुद्दों पर घेरने की कोशिश कर रही है। भाजपा अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता पर भरोसा कर रही है। वहीं पार्टी के स्टार प्रचारक राज्य में अपनी यात्राओं के दौरान कई मुद्दों, विशेषकर भ्रष्टाचार को लेकर कांग्रेस सरकार पर खुलकर हमले कर रहे हैं।

यह भी पढ़ें : Rajasthan Elections: ‘सत्ता विरोधी’ लहर से लेकर कानून व्यवस्था तक राजस्थान चुनाव में ‘इन’ मुद्दों का रहेगा बोलबाला

कुछ महीने पहले तक भाजपा की राज्य इकाई जो गुटबाजी से ग्रस्त दिखाई दे रही थी पिछले कुछ महीनों में आक्रामक हो गई है। राज्य में चुनाव के करीब आते ही भाजपा के रणनीतिकार अमित शाह ने यहां कई बैठकें की है तथा प्रधानमंत्री मोदी की रैलियों में अच्छी भीड़ ने पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाया है। पिछले तीन महीनों में अपनी चार रैलियों के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कोयला, शराब, गोबर खरीद और जिला खनिज फाउंडेशन (डीएमएफ) फंड के उपयोग सहित हर क्षेत्र और सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार तथा कथित घोटालों को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा है।

प्रधानमंत्री ने भाजपा के सत्ता में आने पर भर्ती परीक्षा आयोजित करने वाले राज्य लोक सेवा आयोग (पीएससी) में कथित घोटाले की जांच कराने का भी वादा किया है। राज्य में हो रहे इस विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आप भी पैठ बनाने की कोशिश कर रही है। आप को 2018 के विधानसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं मिली थी। वहीं आदिवासी समुदायों की संस्था ‘सर्व आदिवासी समाज’ के चुनाव मैदान में आने से इस बार का चुनाव दिलचस्प हो सकता है।

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि इससे ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में सत्ताधारी दल को नुकसान हो सकता है। राज्य में आदिवासियों के हितों के लिए काम करने वाली गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (जीजीपी) भी चुनाव मैदान में है। राज्य की आबादी में लगभग 32 प्रतिशत हिस्सेदारी जनजातीय समुदाय की है। राज्य में चुनाव कार्यक्रम की घोषणा से पहले ही कांग्रेस, भाजपा और आप के शीर्ष नेताओं ने रैलियों को संबोधित करने और अपनी चुनावी रणनीतियों के लिए राज्य का लगातार दौरा किया है।

छत्तीसगढ़ में वर्ष 2018 के चुनाव कांग्रेस ने भारी जीत दर्ज करके भाजपा के 15 साल लंबे शासन को समाप्त कर दिया था। पिछले चुनाव में कांग्रेस ने विधानसभा की कुल 90 सीटों में से 68 सीटें जीती थीं, जबकि भाजपा 15 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही।

पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी द्वारा स्थापित जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) को पांच सीटें मिली थीं और उसकी सहयोगी बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने दो सीटों पर जीत हासिल की थी। कांग्रेस को 2018 में 43.04 प्रतिशत मत मिले थे, जो भाजपा (32.97 प्रतिशत) से लगभग 10 प्रतिशत अधिक था। सत्ताधारी दल ने 2018 के बाद पांच विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनावों में जीत के साथ राज्य में अपनी पकड़ और मजबूत कर ली है। वर्तमान में कांग्रेस के विधायकों की संख्या 71 है।

यह भी पढ़ें : Telangana Elections 2023 : तेलंगाना में सभी 119 विधानसभा सीटों के लिए 30 नवंबर को मतदान

वहीं भाजपा के पास 13, जेसीसी(जे) के पास तीन और बसपा के पास दो सीटें हैं। एक सीट रिक्त है। ओबीसी और ग्रामीण मतदाताओं पर अच्छी पकड़ रखने वाले मुख्यमंत्री बघेल की लोकप्रियता तथा किसानों, आदिवासियों और गरीबों पर केंद्रित सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के दम पर कांग्रेस 2023 में 75 सीटें जीतने का लक्ष्य लेकर चल रही है।

राज्य में महीनों तक बघेल के साथ कथित मनमुटाव में रहे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता टीएस सिंहदेव को जून में उपमुख्यमंत्री नियुक्त करने और जुलाई में छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे मोहन मरकाम को मंत्रिमंडल में शामिल करने के कांग्रेस के कदम को चुनाव से पहले अंदरूनी कलह को कम करने के प्रयासों के रूप में देखा गया।

राज्य में किसानों, भूमिहीन मजदूरों, बेरोजगार युवाओं और पशु मालिकों के लिए छत्तीसगढ़ सरकार की योजनाओं को कांग्रेस द्वारा बड़े वर्ग के मतदाताओं को साधने का प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। वहीं भाजपा के राष्ट्रवाद के मुकाबले बघेल ने क्षेत्रीय गौरव को बढ़ावा देने की कोशिश भी यहां चर्चा का विषय है। कांग्रेस अक्सर भाजपा पर रमन सिंह के नेतृत्व में अपने 15 साल के शासन के दौरान ‘छत्तीसगढ़िया लोगों’ की उपेक्षा करने का आरोप लगाती रही है। इधर भाजपा खोई हुई सत्ता को फिर से हासिल करने के लिए राज्य में कथित भ्रष्टाचार, धर्मांतरण और शराब पर प्रतिबंध सहित अन्य अधूरे चुनावी वादों को लेकर सत्ताधारी दल को घेर रही है।

यह भी पढ़ें : Elections Date 2023 : 5 राज्यों में इस तारीख से शुरू होंगे मतदान, मुख्य चुनाव आयुक्त ने की घोषणा

भाजपा ने कांग्रेस सरकार पर तुष्टीकरण की राजनीति करने का आरोप लगाते हुए दावा किया है कि यह ‘भूपेश-अकबर-ढेबर’ (राज्य के वन मंत्री मोहम्मद अकबर और रायपुर के महापौर ऐजाज ढेबर के संदर्भ में) की सरकार है। विपक्षी दल ने यह भी आरोप लगाया है कि आदिवासी बहुल इलाकों में धर्मांतरण हो रहा है तथा दावा किया कि सरकार उन पर अंकुश लगाने में विफल रही है। राज्य में भाजपा ने अब तक 21 विधानसभा सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है, जबकि सत्ताधारी दल कांग्रेस ने अभी तक अपने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है। दोनों प्रमुख दलों ने कहा है कि वे सामूहिक नेतृत्व के आधार पर चुनाव लड़ेंगे, न कि किसी एक राजनेता के चेहरे पर।

विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ में कांग्रेस की सहयोगी आप ने भी अब तक 22 उम्मीदवारों की घोषणा की है, जिससे संकेत मिलता है कि गठबंधन राज्य में काम नहीं करेगा। केजरीवाल के नेतृत्व वाली पार्टी क्षेत्रीय संगठन जेसीसी (जे) के वोट हासिल करके सेंध लगाने की कोशिश कर रही है, जिसे 2020 में इसके संस्थापक अजीत जोगी की मृत्यु के बाद लगभग हाशिये पर पहुंच गया है। जोगी के संगठन को पिछले चुनावों में 7.6 प्रतिशत मत मिले थे और उन्होंने पांच सीटें जीती थीं, जो राज्य में किसी क्षेत्रीय पार्टी द्वारा अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन था।

इसके गठबंधन सहयोगी बसपा को 2018 चुनावों में 4.27 प्रतिशत वोट और दो सीटें मिलीं। इस बार मायावती के नेतृत्व वाली बसपा ने गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से हाथ मिलाया है, जिसका कुछ क्षेत्रों में प्रभाव है। सर्व आदिवासी समाज (एसएएस) ने ‘हमर राज’ नाम से एक राजनीतिक संगठन बनाया है और घोषणा की है कि वह 50 सीटों पर उम्मीदवार उतारेगा, जिसमें अनुसूचित जनजाति (एसटी) समुदायों के लिए आरक्षित सभी 29 सीटें शामिल होंगे। आप और एसएएस दोनों कांग्रेस के ग्रामीण तथा आदिवासी मतदाता वाले क्षेत्रों में सेंध लगा सकते हैं।

First Published : October 9, 2023 | 3:23 PM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)