भारत और अमेरिका के बीच शुल्क घटाने पर चर्चा तेजी से चल रही है, क्योंकि राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा जवाबी कर लगाने की योजना लागू करने को 1 महीने से भी कम बचा है। अगर दोनों देश किसी सहमति पर नहीं पहुंचते हैं तो कुछ सेक्टर प्रभावित हो सकते हैं।
हालांकि उद्योग के विशेषज्ञों ने कहा कि कपड़ा उद्योग पर कोई बड़ा असर पड़ने की संभावना नहीं है, क्योंकि शुल्क की वजह से दोनों देशों में किसी को अतिरिक्त लाभ नहीं मिल रहा है। शुक्रवार को ट्रंप ने कहा था कि भारत अपने ‘भारी-भरकम कर’ घटाने को सहमत हो गया है। यह ऐसे समय में हो रहा है, जब तमिलनाडु के तिरुपुर टेक्सटाइल केंद्र अमेरिका से ऑर्डर में तेजी आने की उम्मीद कर रहे हैं।
वित्त वर्ष 2024-25 में अप्रैल से दिसंबर के दौरान अमेरिका को भेजे गए रेडीमेड गॉर्मेंट्स (आरएमजी) से भारतीय उद्योग के राजस्व में 14 प्रतिशत वृद्धि हुई है। इस अवधि के दौरान भारत का कुल आरएमजी निर्यात 11.30 अरब डॉलर का था, जबकि 2023-24 के अप्रैल-दिसंबर के दौरान 10.13 अरब डॉलर का निर्यात किया गया था। 2024-25 में इस सेग्मेंट में हुए कुल निर्यात में से करीब 34 प्रतिशत या 3.79 अरब डॉलर अमेरिका से आया है, जो इसके पहले के वित्त वर्ष के 3.34 अरब डॉलर से ज्यादा है। ब्रिटेन दूसरा निर्यात केंद्र है, जहां 97.4 करोड़ डॉलर का परिधान निर्यात हुआ है, जो इसके पहले के वित्त वर्ष की तुलना में 9 प्रतिशत ज्यादा है।
टेक्सटाइल और क्लोदिंग पर शुल्क की स्थिति देखें तो अमेरिका से आयात पर भारत 10.4 प्रतिशत शुल्क लगाता है, जबकि अमेरिका में भारत से आयात पर अमेरिका में 9 प्रतिशत कर लगता है। टेक्सटाइल उत्पादक टीटी लिमिटेड के प्रबंध निदेशक (एमडी) संजय कुमार जैन ने कहा, ‘टेक्सटाइल व गारमेंट्स के मामले में हमें कोई अतिरिक्त लाभ नहीं मिलता है। बांग्लादेश में हुए संकट के बार हम निश्चित रूप से अमेरिकी बाजार में फायदे की स्तिति में हैं। हम बाजार के रूप में भी अमेरिका के लिए ज्यादा प्रतिस्पर्धी हैं।’
ट्रंप के शुल्क संबंधी कदमों को लेकर अनिश्चितता ऐसे समय में आई है जब तिरुपुर जैसे टेक्सटाइल केंद्र सफलता की कहानी बुन रहे हैं। तिरुपुर एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन (टीईए) के सूत्रों ने कहा कि अप्रैल और दिसंबर के बीच तिरुपुर से निर्यात बढ़कर 26,000 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है, जो पिछले पूरे वित्त वर्ष के दौरान 30,690 करोड़ रुपये था। अगर परंपरागत अनुमान के हिसाब से देखें तो 2024-25 में निर्यात बढ़कर 35,000 से 40,000 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। भारत के निटवीयर निर्यात में तिरुपुर की हिस्सेदारी 55 प्रतिशत है।
टीईए के अध्यक्ष केएम सुब्रमण्यन ने कहा, ‘हम उम्मीद करते हैं कि किसी संभावित संकट के समाधान के लिए दोनों सरकारें सकारात्मक कदम उठाएंगी। मैं उम्मीद करता हूं कि शुल्क संबंधी चिंता हमें प्रभावित नहीं करेगी। हमें इस साल अमेरिका के बाजार से ज्यादा ऑर्डर मिल रहे हैं।’
तिरुपुर से खरीदने वालों की सूची में प्राइमार्क, टेस्को, नेक्स्ट, मार्क्स ऐंड स्पेंसर, वार्नर ब्रदर्स, वॉलमार्ट और टॉमी हिलफिगर जैसी वैश्विक दिग्गज कंपनियां शामिल हैं। टारगेट और वूलवर्थ जैसे ऑस्ट्रेलियाई ब्रांडों के साथ-साथ डन्स जैसी यूरोपीय कंपनियों ने भी उल्लेखनीय ऑर्डर दिए हैं।