चुनाव के नतीजे आने के बाद से टेस्ला (Elon Musk की कंपनी) ने भारत सरकार से इलेक्ट्रिक कारों के निर्माण को बढ़ावा देने वाली हाल ही में लॉन्च की गई योजना में शामिल होने के बारे में कोई बातचीत नहीं की है। ये जानकारी औद्योगिक निवेश के लिए नोडल मंत्रालय ने दी है।
उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) के सचिव राजेश कुमार सिंह ने गुरुवार को कहा, “चुनाव के बाद टेस्ला का एक ट्वीट ही आखिरी चीज थी जो हमें मिली।”
सिंह ने पत्रकारों को बताया, “इलेक्ट्रिक गाड़ियों के लिए बनी नीति को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया भारी उद्योग मंत्रालय (MHI) द्वारा की जा रही है। उनके पास एक से ज्यादा पूछताछ (inquiry) आई हैं। यह एक सामान्य नीति है।”
पिछले महीने, एलोन मस्क ने कहा था कि वह भारत में अपनी कंपनियों के काम करने की उम्मीद कर रहे हैं। उन्होंने ट्वीट किया था, “दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक चुनाव में आपकी जीत पर बधाई @narendramodi! भारत में मेरी कंपनियों के बढ़िया काम करने की उम्मीद है।”
अप्रैल में, अमेरिका की इलेक्ट्रिक कार कंपनी टेस्ला के एलोन मस्क ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करने की योजना को रद्द कर दिया था। उन्होंने इसके पीछे “टेस्ला पर काम का बहुत अधिक दबाव” का हवाला दिया था। उन्होंने कहा था कि उनकी भारत यात्रा इस साल के अंत तक हो सकती है।
मीटिंग जरूरी नहीं: MHI
भारी उद्योग मंत्रालय (MHI) के अधिकारियों ने बताया है कि इस योजना में शामिल होने के इच्छुक उद्योगों को मंत्रालय के साथ मुलाकात करने की आवश्यकता नहीं है। दिशा-निर्देश जारी होने के बाद आवेदन ऑनलाइन जमा करने होंगे।
एक MHI अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “नीति दिशानिर्देश 120 दिन या उससे अधिक समय देने का प्रावधान रखते हैं ताकि दिशानिर्देश पब्लिश किए जा सकें और आवेदन प्रक्रिया शुरू हो सके। कुछ ही हफ्तों में दिशानिर्देश जारी कर दिए जाएंगे।”
दिशानिर्देश जारी करने के बाद मंत्रालय आवेदन स्वीकार करना शुरू कर देगा। अधिकारियों ने बताया कि मंत्रालय को उम्मीद नहीं है कि इससे पहले कोई भी इच्छुक आवेदक सरकार के समक्ष कोई प्रेजेंटेशन देगा। दूसरे अधिकारी ने स्पष्ट किया, “केवल टेस्ला ही नहीं, हम किसी भी ऑरिजिनल उपकरण निर्माता (OEM) को मीटिंग के लिए नहीं बुला रहे हैं। टेस्ला ने बातचीत के पहले दौर में अपने प्रतिनिधि को भेजा था, और अब तक हो चुके परामर्श के दो दौरों में एक दर्जन से अधिक अन्य कंपनियों ने भी हिस्सा लिया।”
भारत सरकार ने आयात रियायतों के माध्यम से इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) निर्माण में निवेश को बढ़ावा देने के लिए अपनी प्रमुख योजना के लिए हितधारकों के साथ कई दौर की बातचीत की है। पिछले महीने हुए हितधारक परामर्श में विनफास्ट, मर्सिडीज-बेंज, बीएमडब्ल्यू, किआ, फॉक्सवैगन, टोयोटा, हुंडई और रेनॉल्ट-निसान जैसी प्रमुख वैश्विक कंपनियां शामिल थीं।
भारतीय कार कंपनियां जैसे टाटा मोटर्स, मारुति सुजुकी और महिंद्रा एंड महिंद्रा पहली मीटिंग में मौजूद थीं। टेस्ला का प्रतिनिधित्व उनके सलाहकार, द एशिया ग्रुप इंडिया ने किया था। इस बैठक में टेस्ला और दूसरी विदेशी कार कंपनियों ने नई नीति के बारे में कुछ सवाल पूछे, जैसे कि निवेश के नियम क्या हैं और भारत में कितना सामान बनाना होगा। सरकार ने बताया कि निवेश की परिभाषा वही होगी जो PLI योजना में है।
सितंबर 2021 में जारी की गई PLI ऑटो गाइडलाइन के अनुसार, निवेश की परिभाषा काफी व्यापक है। इसमें कारखाना, मशीनें और उपकरण खरीदने पर किया गया खर्च तो शामिल है ही, साथ ही इनसे जुड़ी सुविधाओं पर किया गया खर्च भी निवेश माना जाता है। इतना ही नहीं, पैकेजिंग, माल ढुलाई, बीमा, और इन सभी चीजों को लगाने और चालू करने पर किया गया खर्च भी निवेश के रूप में गिना जाता है।
इस तरह, सरकार ने स्पष्ट किया है कि कार कंपनियों द्वारा उत्पादन से जुड़े हर पहलू पर किया गया खर्च निवेश के दायरे में आएगा। सरकार ने बताया कि इमारत बनाने का खर्च भी 10 प्रतिशत तक निवेश माना जाएगा, लेकिन तकनीक आयात करने पर दी जाने वाली रॉयल्टी निवेश नहीं मानी जाएगी।
नई इलेक्ट्रिक वाहन नीति
मार्च में घोषित नई इलेक्ट्रिक वाहन नीति के तहत, जो कंपनियां कम से कम 4,150 करोड़ रुपये का निवेश करने और तीन साल में कारखाना लगाने का वादा करेंगी, उन्हें आयात कर में छूट मिलेगी। इन कंपनियों को शुरुआती तीन साल में 25 प्रतिशत और पांच साल में 50 प्रतिशत घरेलू मूल्य वृद्धि करनी होगी।
नई नीति के तहत, 35,000 डॉलर या उससे अधिक मूल्य की गाड़ियों पर आयात शुल्क मौजूदा 70 या 100 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत कर दिया जाएगा। यह छूट सरकार की मंजूरी मिलने के पांच साल तक लागू रहेगी। लेकिन इस छूट के लिए कंपनियों को तीन साल में 500 मिलियन डॉलर का निवेश करना होगा।