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ईंधन पर शुल्क कटौती से राज्यों की हिस्सेदारी पर असर नहीं : सीतारमण

Last Updated- December 11, 2022 | 6:47 PM IST

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विपक्ष के इन आरोपों को खारिज कर दिया है कि वाहन ईंधन पर उत्पाद शुल्क कटौती से केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी प्रभावित होगी। सीतारमण ने रविवार को कहा कि पेट्रोल में आठ रुपये और डीजल में छह रुपये की कटौती इन ईंधनों पर लगाए जाने वाले सड़क एवं अवसंरचना उपकर में की गई है जिसके संग्रह को राज्यों के साथ कभी साझा नहीं किया जाता। ऐसे में विपक्ष का यह आरोप सही नहीं है।
पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम और अन्य विपक्षी नेताओं ने कहा था कि सरकार ने शनिवार शाम को उत्पाद शुल्क में कटौती की जो घोषणा की है उससे केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी कम हो जाएगी। हालांकि, बाद में रविवार को चिदंबरम ने अपना बयान वापस लेते हुए कहा है कि करों में कटौती का भार अकेले केंद्र सरकार ही वहन करेगी।
सीतारमण ने ट्विटर पर लिखा कि वह पेट्रोल और डीजल पर लगाए जाने वाले करों के बारे में उपयोगी जानकारी साझा कर रही हैं, जो सभी के लिए लाभदायक होगी। उन्होंने कहा, मूल उत्पाद शुल्क (बीईडी), विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क (एसएईडी), सड़क एवं अवसंरचना उपकर (आरआईसी) और कृषि एवं अवसंरचना विकास कर (एआईडीसी) को मिलाकर पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क होता है। मूल उत्पाद शुल्क राज्यों के साथ साझा किया जाता है जबकि एसएईडी, आरआईसी और एआईडीसी को साझा नहीं किया जाता।
वित्त मंत्री ने कहा कि पेट्रोल पर आठ रुपए प्रति लीटर और डीजल पर छह रुपए प्रति लीटर की उत्पाद शुल्क कटौती पूरी तरह से आरआईसी में की गई है। नवंबर, 2021 में जब पेट्रोल पर पांच रुपए प्रति लीटर और डीजल पर 10 रुपए प्रति लीटर घटाए गए थे तब भी कटौती आरआईसी में ही की गई थी।  केंद्र-राज्य कर साझेदारी की व्यवस्था के तहत केद्र जो कर संग्रह करता है उनमें से 41 प्रतिशत राज्यों के पास जाता है। हालांकि, इनमें उपकर के जरिए लेवी के रूप में जुटाया गया कर शामिल नहीं होता। पेट्रोल और डीजल पर लगाया जाने वाला ज्यादातर कर उपकर होता है।        

First Published - May 23, 2022 | 12:37 AM IST

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