भारतीय रुपये में मंगलवार को 29 पैसे गिरावट आई और यह अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 83.04 रुपये पर बंद हुआ। यह तीन सप्ताह का निचला स्तर है। डीलरों ने कहा कि चीनी युआन के कमजोर होने और अमेरिकी ट्रेजरी के प्रतिफल में बढ़ोतरी का इस पर असर पड़ा है। सोमवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 82.75 पर बंद हुआ था।
कोटक सिक्टोरिटीज लिमिटेड में करेंसी डेरिवेटिव्स ऐंड इंटरेस्ट रेट डेरिवेटिव्स के वीपी अनिंद्य बनर्जी ने कहा, ‘ अमेरिकी डॉलर सूचकांक के मजबूत होने और चीन की मुद्रा कमजोर होने के कारण अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया 29 पैसे घटकर 83.04 पर बंद हुआ।
अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल में तेजी और चीन में कर्ज को लेकर दबाव की नई खबर की वजह से ऐसा हुआ है। हम उम्मीद करते हैं कि रुपया 82.60 से 83.25 की सीमा में रहेगा।’
चाइनीज काईक्सिन सर्विस पीएमआई अगस्त में गिरकर 51.8 पर रहा है, जबकि बाजार को 53.60 पर रहने की उम्मीद थी। इसकी वजह से एशियाई मुद्रा में गिरावट आई है। इसके साथ ही 10 साल के अमेरिकी ट्रेजरी नोट का प्रतिफल 4.21 प्रतिशत बढ़ा है और बाजार को उम्मीद है कि यह दीर्घावधि के हिसाब से बढ़ा हुआ रहेगा क्योंकि हाल के आंकड़ों से संकेत मिलते हैं कि महंगाई घट रही है।
तेल कंपनियों ने डॉलर की खरीदारी की है क्योंकि ब्रेंट क्रूड भी बढ़कर 88.70 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया है और इसका बोझ भी भारतीय मुद्रा पर पड़ा है। डीलरों का अनुमान था कि भारतीय रिजर्व बैंक 82.85 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर विदेशी मुद्रा बाजार में डॉलर की बिक्री कर हस्तक्षेप करेगा, लेकिन रिजर्व बैंक ने रुपये को कमजोर होने दिया।
फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स एलएलपी में ट्रेजरी प्रमुख और कार्यकारी निदेशक अनिल कुमार भंसाली ने कहा, ‘डॉलर के मुकाबले रुपया 82.80 से 83.20 के बीच बने रहने की संभावना है क्योंकि रिजर्व बैंक इसका बचाव करने के साथ ट्रेडर्स को आर्बिटरेज पोजीशन पर चेतावनी दे सकता है। ऐसे में हमें रिजर्व बैंक के कदमों पर नजर रखने की जरूरत है।’