भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि मौद्रिक नीति की फरवरी की बैठक में रीपो दर में कटौती इसलिए की गई क्योंकि महंगाई के लक्ष्य के अनुरूप रहने की उम्मीद है और साथ ही इस तथ्य पर जोर दिया गया है कि मौद्रिक नीति भविष्य के अनुरूप है। आरबीआई ने चौथी तिमाही के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति के 4.2 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है और वित्त वर्ष 2025-26 के लिए यह 4.2 फीसदी है।
उन्होंने कहा कि अच्छी खरीफ फसल के आने, सर्दियों में सब्जियों के दाम कम होने और रबी की अच्छी फसल की उम्मीद से खाद्य महंगाई में काफी कमी दिखने की उम्मीद है। मल्होत्रा ने कहा, ‘खाद्य मुद्रास्फीति से जुड़ा नजरिया अब निर्णायक तौर पर सकारात्मक हो रहा है। इससे महंगाई को नियंत्रित करने और वित्त वर्ष 2025-26 तक लक्ष्य तक लाने में मदद मिलेगी।’
फरवरी में मौद्रिक समिति की बैठक का नेतृत्व मल्होत्रा ने किया था और इस बैठक में नीतिगत रीपो दर को 25 आधार अंक घटाकर 6.25 फीसदी कर दिया। यह पांच साल बाद पहली बार हुआ। मौद्रिक नीति में ढील दिए जाने के साथ-साथ, कृषि क्षेत्र में वृद्धि और केंद्रीय बजट में वृद्धि को बढ़ावा देने वाले उपायों के चलते मांग में तेजी आने के रुझानों पर टिप्पणी करते हुए मल्होत्रा ने वैश्विक वित्तीय बाजार और व्यापार नीति के मोर्चे पर बढ़ती अनिश्चितता को लेकर चेतावनी दी।
उन्होंने यह भी कहा कि विपरीत मौसमी घटनाओं के बढ़ते जोखिम के चलते महंगाई और वृद्धि पर खतरा बना रहेगा। उन्होंने कहा, ‘हमें इन चीजों पर नजर रखनी होगी।’आरबीआई के डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर राव ने यह चेतावनी भी दी कि मौजूदा माहौल अनिश्चितताओं से भरा है ऐसे में सतर्कता बरतने के साथ ही कदम उठाने में भी सक्रियता दिखानी होगी। हालांकि उन्होंने इस बात पर भी सहमति जताई कि मुद्रास्फीति को लेकर नजरिया अनुकूल हो रहा है।
उन्होंने कहा कि बैंकों के नकद आरक्षी अनुपात में कमी सहित नकदी से जुड़े कुछ उपाय करने के चलते अनुकूल तरीके से ब्याज दरों में कटौती का फायदा लोगों तक पहुंचाने में मदद मिली है। उन्होंने कहा, ‘मौद्रिक नीति से जुड़े उपायों के साथ-साथ बजट में घोषित राजकोषीय उपायों से मांग में तेजी आनी चाहिए। इसके अलावा सरकार ने राजकोषीय घाटे को कम करने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की दोबारा पुष्टि की है जिसके चलते मध्यम-अवधि में महंगाई की उम्मीदों को स्थिर रखने में मदद मिलनी चाहिए।’
एक अन्य आंतरिक सदस्य राजीव रंजन ने कहा कि अक्टूबर की मौद्रिक नीति में दिए गए बयान में एक छोटा सा बदलाव किया गया जिससे दरों में कटौती की संभावना के संकेत मिले। रंजन ने कहा कि एमपीसी द्वारा अपनाए गए कदमों के अनुरूप फरवरी 2025 में नीतिगत दर कटौती सबसे तार्किक और उपयुक्त कदम है क्योंकि महंगाई घटने को लेकर काफी आत्मविश्वास है।
उन्होंने कहा, ‘इस पूर्वानुमान के अनुरूप हमने बाजार में पर्याप्त नकदी डालकर बाजार को तैयार किया है ताकि लोगों तक यह पैसा पहुंचे।’ बाहरी सदस्य राम सिंह के मुताबिक कम बुनियादी मुद्रास्फीति दरों में कटौती के लिए पर्याप्त रास्ता तैयार करती हैं खासतौर पर तब जब खाद्य कीमतों की महंगाई में आगे और कमी आने की उम्मीद होती है।