अर्थव्यवस्था

Retail Inflation: जुलाई में खुदरा महंगाई घटकर 1.55% पर आई, 8 साल में सबसे कम

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा आज जारी आंकड़ों के अनुसार आखिरी बार इससे कम खुदरा मुद्रास्फीति जून 2017 में दर्ज की गई थी। उस महीने आंकड़ा 1.46 फीसदी रहा था।

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शिवा राजौरा   
Last Updated- August 12, 2025 | 10:45 PM IST

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति दर जुलाई में घटकर 1.55 फीसदी रह गई , जो करीब आठ साल में इसका सबसे कम आंकड़ा है। जून में इसका आंकड़ा 2.1 फीसदी था। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा आज जारी आंकड़ों के अनुसार आखिरी बार इससे कम खुदरा मुद्रास्फीति जून 2017 में दर्ज की गई थी। उस महीने आंकड़ा 1.46 फीसदी रहा था।

महंगाई में नरमी का बड़ा कारण खाद्य पदार्थों के दाम में आई कमी है। आंकड़ों से पता चलता है कि स​ब्जियों के दाम में 20.7 फीसदी कमी आई है, जो सितंबर 2021 के बाद सबसे ज्यादा गिरावट है। इसी तरह दालों के दाम 13.76 फीसदी कम हुए हैं। मसाले और मांस का खुदरा मुद्रास्फीति में 7.5 फीसदी भार होता है। जुलाई में मसालों के दाम 3.07 फीसदी और मांस के दाम 0.61 फीसदी कम हुए हैं। इसके अलावा अनाज (3.03 फीसदी), अंडे (2.26 फीसदी), दूध (2.74 फीसदी) और चीनी (3.5 फीसदी) सहित कई वस्तुओं के दाम में इजाफे की दर जुलाई में धीमी रही।

केयरएज रेटिंग्स की मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा का कहना है कि कृषि गतिविधियों में तेजी और पिछले साल महंगाई के आंकड़े अधिक रहने के कारण खाद्य मुद्रास्फीति काबू में रहने की संभावना है। मॉनसून की अच्छी प्रगति, जलाशयों का पर्याप्त जलस्तर और खरीफ की अच्छी बोआई कृषि उत्पादन और खाद्य कीमतों की स्थिरता के लिए अच्छा संकेत हैं।

उन्होंने कहा, ‘वैश्विक जिसों के दाम मोटे तौर पर स्थिर रहने की उम्मीद है मगर मौजूदा भू-राजनीतिक तनावों के बीच इनमें उछाल की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। रूसी कच्चे तेल पर अमेरिकी प्रतिबंधों की चिंता भारत और चीन जैसे प्रमुख आयातकों की आपूर्ति श्रृंखला बिगाड़ सकती है। हालांकि ओपेक के पास अतिरिक्त क्षमता है मगर तेल का वैश्विक ग​णित बदल सकता है और इस पर लगातार नजर रखने की जरूरत है।’

अलबत्ता खाद्य तेल की मुद्रास्फीति जुलाई में भी दो अंक में बढ़ी। इसमें दो अंकों में वृद्धि का यह लगातार नवां महीना है। इस बीच मुख्य मुद्रास्फीति भी जुलाई में घटकर 4.1 फीसदी रह गई। इसमें खाद्य और ऊर्जा को शामिल नही किया जाता क्योंकि उनके दाम तेजी से घटते-बढ़ते रहते हैं।

खुदरा मुद्रास्फीति की इस तरह की नरमी से लगता है कि भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति आगामी समीक्षा बैठक में भी रीपो दर यथावत रख सकती है। इंडिया रेटिंग्स के एसोसिएट निदेशक पारस जसराय का कहना है कि मुद्रास्फीति में नरमी रहने से उपभोग मांग में टिकाऊ इजाफा हो सकता है। मगर मौद्रिक नीति का आगे का रुख इस बात पर निर्भर करेगा कि अगले कुछ महीनों में मुद्रास्फीति की चाल कैसी रहती है।

उन्होंने कहा, ‘हमें लगता है कि रीपो में अब भी कटौती की गुंजाइश है और यह 50 आधार अंक तक घट सकती है। मगर ऐसा तभी होगा, जब शुल्क युद्ध का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव बहुत प्रतिकूल हो जाए।’

पिछले सप्ताह रिजर्व बैंक ने सर्वसम्मति से नीतिगत रीपो दर को 5.5 फीसदी पर अपरिवर्तित रखने तथा तटस्थ मौद्रिक रुख बनाए रखने का निर्णय लिया था। केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त बर्ष के लिए मुद्रास्फीति अनुमान को 60 आधार अंक घटकार 3.1 फीसदी कर दिया था। किंतु अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में इसके 4.9 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है।

सिन्हा ने कहा, ‘हमारा अनुमान है कि वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में आधार का असर कम होने पर मुद्रास्फीति बढ़ेगी। इसलिए जब तक आर्थिक वृद्धि में बहुत गिरावट नहीं आती तब तक दरों में और कटौती होने की उम्मीद हमें नहीं है।’

रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2026 के लिए सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर का अपना अनुमान 6.5 फीसदी ही बनाए रखा है। मगर वित्त वर्ष 2027 की पहली तिमाही में 6.6 फीसदी वृद्धि का अनुमान लगाया गया है।

First Published : August 12, 2025 | 10:41 PM IST