मायावती सरकार की ओर से राज्य के कर्मचारियों को छठे वेतन आयोग के अनुसार वेतन देने के ऐलान ने सरकार के साथ-साथ आम जनता की जेब ढीली कर दी है।
संसाधनों का रोना रो रही उत्तर प्रदेश सरकार ने केंद्र से मदद की गुहार लगाने के साथ ही जनता पर करों का भारी-भरकम बोझ लाद दिया है। वैट के बाद रोजमर्रा की चीजों के सस्ता होने का बखान कर रही माया सरकार अब वाणिज्य करों में खासी बढ़ोतरी की योजना बना रही है।
सरकार का इरादा वैट की दर बढ़ाकर हर साल 1200 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आमदनी करने का है। छठा वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के बाद सरकार पर सालाना 5,400 करोड़ रुपये का बोझ आएगा, जिसे करों को बढ़ाकर और सरककारी खर्चों में कटौती करने के बाद पूरा करने की योजना है।
हालांकि अभी बढ़ी हुई वैट दरों के बारे में शासनादेश आना बाकी है, पर चीजों के दाम अभी से बढ़ चुके हैं। वैट में भारी बढ़ोतरी के विरोध में व्यापरियों ने आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर दिया है। राजधानी लखनऊ में कंप्यूटर के व्यापारियों ने अपना कारोबार बंद कर वैट में बढ़ोतरी के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।
उनकी मांग वैट की दर को सरल करने की है। गौरतलब है कि राज्य सरकार ने लैपटॉप और डेस्कटॉप पर वैट की दर 4 फीसदी से बढ़ाकर 14.5 फीसदी कर दी है।
इसमें वैट 12.5 फीसदी और प्रवेश कर के तौर 2 फीसदी लिया जाएगा। कारोबारियों का कहना है कि पड़ोसी राज्य उत्तराखंड में वैट 4 फीसदी होने के चलते यहां से व्यापार हट कर वहीं चला जाएगा।
उत्तर प्रदेश सरकार ने वैट 4 फीसदी से बढ़ाकर 12.5 फीसदी किया
कई वस्तुओं पर लगेगा अतिरिक्त प्रवेश शुल्क
कारोबार के पड़ोसी राज्यों में जाने की आशंका में व्यापारी हड़ताल पर