करीब 12 फीसदी के स्तर को छूती महंगाई से राहत देने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक का ब्याज दरों में बढ़ोतरी का फैसला महंगाई को काबू करने में कितना सफल होगा, यह तो आने वाला समय ही बताएगा।
लेकिन इतना तो निश्चित है कि इससे उन सेक्टरों पर सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ेगा जो क्रेडिट पर संचालित होते हैं। सीआरआर में 0.25 फीसदी और रेपो रेट में 0.50 फीसदी की बढ़ोतरी ने भारतीय कारपोरेट की पेशानी पर बल डाल दिए हैं। अब आने वाले दिनों में उनके लिए मुश्किलें और बढ़ेंगी। इससे उद्योगों और बाजार पर सबसे ज्यादा असर पड़ेगा। रियल्टी, ऑटोमोबाइल और कंज्यूमर डयूरेबल्स के सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे।
बैंकों को महंगा करना पडेग़ा कर्ज
रिजर्व बैंक कमोडिटीज की बढ़ी कीमतों को लेकर कोई चांस नहीं लेना चाहती। केंद्रीय बैंक का मानना है कि निकट भविष्य में कमोडिटी की कीमतों में कमी केआसार नहीं। रेपो रेट और सीआरआर में इजाफेसे बाजार को हैरत जरूर हुई है लेकिन यह अप्रत्याशित भी नही था। मेरे विचार से बैंक कर्ज की दरें 0.5 फीसदी तक बढ़ा सकते हैं।
ए. प्रसन्ना, वीपी,
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज
सीआरआर में इतने इजाफे की उम्मीद थी लेकिन रेपो रेट में 0.5 फीसदी के इजाफे पर जरूर हैरानी है। साफ है कि महंगाई पर काबू पर बैंक की प्राथमिकता है। हमारा मानना है कि साल 2009 में विकास की दर 7.3 फीसदी रह सकती है। हालांकि यह बैंक के आकलन से नीचे है।
सोनल वर्मा, अर्थशास्त्री,
लीमैन ब्रदर्स
रिजर्व बैंक के इस कदम की उम्मीद पहले से की जा रही थी। हमारा मानना है कि फिलहाल के लिए दरों में इजाफा अब और नहीं होगा।
कृष्णमूर्ति विजयन, डॉयरेक्टर व सीईओ जेपी मोर्गन म्युचुअल फंड
रिजर्व बैंक के इस कदम से बैंकों के मार्जिन पर दबाव बढ़ेगा। उन्हें अपना शुध्द ब्याज मार्जिन बचाने के लिए जल्दी ही अपनी सभी प्रमुख कर्ज की दरों में इजाफा करना पड़ेगा।
टी वाई प्रभु, ईडी, यूनियन बैंक
रिजर्व बैंक का यह कदम है हैरान करने वाला है। रेपो रेट में आगे कोई भी वृध्दि तेल की कीमतों पर निर्भर होगी, लेकिन भविष्य में सीआरआर में और इजाफा किया जा सकता है।
जयेश मेहता, हेड फिक्स्ड इन्कम,
डीएसपी मेरिल लिंच
रिजर्व बैंक महंगाई को पूरी तरह काबू में करना चाहता है। इसलिए यह कदम उम्मीद से ज्यादा लग रहा है। जाहिर है यह शेयर बाजार और कर्ज के बाजार के लिए अच्छा नहीं है और यह दिख भी रहा है। हमने इक्विटी और डेट दोनों ही बाजारों में मंदी की उम्मीद की थी और अब यह आगे भी रहने के आसार हैं।
नवनीत मुनोत, ईडी,
मोर्गन स्टेनली म्युचुअल फंड
सोमवार की मैक्रो इकनामिक्स रिपोर्ट आने के बाद बैंक के कदम साफ हो गए थे। अब बैंकें कर्ज की दरों में 0.5 फीसदी से लेकर 1 फीसदी तक की बढ़ोतरी कर सकती हैं। अगर वे दरें नहीं बढ़ाएंगे तो इसका असर उनके लाभ पर पड़ेगा। कुल मिलाकर सभी सेक्टर को दिए जाने वाले कर्ज की दरों में इजाफा हो सकता है।
केसी चक्रवर्ती, सीएमडी,
पंजाब नेशनल बैंक
यह पूरी तरह अप्रत्याशित नहीं है। सोमवार को जारी मैक्रोइकनामिक्स रिपोर्ट और मॉनेटरी डेवलपमेंट रिपोर्ट पढ़ने के बाद आरबीआई से किसी ऐसे ही कदम की उम्मीद थी। साफ था कि वह मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिए मांग की तरफ ध्यान केंद्रित करेगी।
आरवीएस श्रीधर, सीनियर वाइस प्रेसिडेंट और चीफ डीलर, एक्सिस बैंक
रिजर्व बैंक को लग रहा है कि महंगाई का दबाव फिलहाल बना रहेगा। और कदम भी इसी लिए उठाए गए हैं। इसका असर ग्रोथ पर पडेग़ा, खासकर रियालिटी सेक्टर पर। इस साल हम 7.8 फीसदी की विकास दर की उम्मीद कर रहे हैं।
डीके जोशी,
प्रमुख अर्थशास्त्री, क्रिसिल
रिजर्व बैंक के इस कदम की उम्मीद थी। अगले 3-4 महीनों में महंगाई दहाई अंकों में ही रहेगी और बैंक को दरों में और इजाफा करना पड़ सकता है। लिहाजा अभी और कदम उठाए जाने की उम्मीद करनी चाहिए। कमोडिटी की कीमतें ही इसे तय करेंगीं।
पारिजात अग्रवाल, फिक्स्ड इनकम हेड, एसबीआई म्युचुअल फंड
रिजर्व बैंक का कदम उम्मीद से ज्यादा है हालांकि सीआरआर में इतने इजाफे की उम्मीद थी। इसका असर बाजार पर पड़ना तय है।
गौरव दुआ, हेड ऑफ रिसर्च, शेयरखान
रिजर्व बैंक का यह कदम चौंकाने वाला है। बैंक के कदम से साफ है कि वह अपना पूरा ध्यान क्रेडिट ग्रोथ पर लगाए हुए है।
हितेश अग्रवाल,
रिसर्च हेड ,एंजेल ब्रोकिंग