वित्त वर्ष 2026 में 10 नवंबर तक भारत का शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह 7 प्रतिशत बढ़ा है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के अनंतिम आंकड़ों के मुताबिक इस दौरान रिफंड में उल्लेखनीय कमी आई है।
शुद्ध कॉरपोरेट कर संग्रह 5.7 प्रतिशत बढ़कर 5.37 लाख करोड़ रुपये हो गया है, जबकि गैर कॉरपोरेट कर संग्रह 8.7 प्रतिशत बढ़कर 7.19 लाख करोड़ रुपये हो गया है। गैर कॉरपोरेट कर का भुगतान व्यक्तिगत, अविभाजित हिंदू परिवारों (एचयूएफ), फर्मों, एसोसिएशन ऑफ पर्सन (एओपी), बॉडी ऑफ इंडिविजुअल्स (बीओआई) और अन्य इकाइयों द्वारा किया जाता है। प्रतिभूति लेनदेन कर (एसटीटी) 35,682 करोड़ रुपये रहा है, जो पिछले साल से 0.67 प्रतिशत कम है। इससे इक्विटी बाजार के सुस्त कारोबार का पता चलता है।
केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2026 में 25.2 लाख करोड़ रुपये प्रत्यक्ष कर संग्रह का अनुमान रखा है। इसके पहले वित्त वर्ष में शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह 13.6 प्रतिशत बढ़कर 22.26 लाख करोड़ रुपये रहा था, जो बजट अनुमान से अधिक था।
सकल प्रत्यक्ष कर 2.15 प्रतिशत बढ़कर 15.35 लाख करोड़ रुपये रहा, जबकि रिफंड 17.7 प्रतिशत घटकर 2.42 लाख करोड़ रुपये रह गया। कॉरपोरेट रिफंड बढ़कर 1.54 लाख करोड़ रुपये हो गया है, लेकिन नॉन कॉरपोरेट करदाताओं का रिफंड 37.72 प्रतिशत गिरकर 88,548 करोड़ रुपये रहा है।
डेलॉयट इंडिया में पार्टनर रोहिंटन सिधवा ने कहा कि पिछले साल दर में की गई कटौती को देखते हुए गैर कॉरपोरेट कर का संग्रह उल्लेखनीय है। उन्होंने कहा, ‘आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले साल कर में की गई उल्लेखनीय कटौती के बावजूद गैर कॉरपोरेट कर संग्रह उल्लेखनीय रूप से बढ़ा है। यह आयकर के स्तर में मजबूत वृद्धि का संकेत है। ’ उन्होंने कहा कि रिफंड में गिरावट दो वजहों से हो सकती है। उन्होंने कहा, ‘रिफंड उल्लेखनीय रूप से घटा है। इसका अर्थ यह हो सकता है कि नकद कर का भुगतान करने वाले करदाता या तो अब कर के दायरे में नहीं हैं या सरकार ने जानबूझकर कर रिफंड में कटौती कर दी है।’
एसटीटी पर सिधवा ने कहा कि एसटीटी संग्रह व्यापक रूप से स्थिर रहा है, जो सूचकांकों की सुस्ती दिखाता है। उन्होंने कहा, ‘आईपीओ के विस्तार को देखते हुए इसमें और वृद्धि की संभावना है।’
इस साल रिफंड में कमी की एक वजह रिटर्न दाखिल करने की तिथि बढ़ाया जाना भी है। सीबीडीटी ने ऑडिट के दायरे में नहीं आने वाले व्यक्तिगत करदाताओं के लिए कर दाखिले की तिथि 31 जुलाई से 45 दिन बढ़ाकर 15 सितंबर 2025 कर दिया।
कॉरपोरेट व अन्य ऑडिट वाले करदाताओं के लिए कर दाखिल करने की तिथि 31 अक्टूबर से बढ़ाकर 10 दिसंबर 2025 कर दी गई है। सामान्य की तुलना में देरी से कर दाखिले करे कारण रिफंड की प्रक्रिया में समय लगने के कारण रिफंड में सुस्ती आई है।
ईवाई में पार्टनर समीर कनाबर ने कहा कि रिफंड जारी किए जाने की तिथि ने कर के आंकड़ों में अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा, ‘कुल रिफंड का एक बड़ा हिस्सा साल की शुरुआत में ही जारी किया जा चुका था, इसलिए अब उतनी राशि की उम्मीद नहीं की जा सकती। फाइलिंग की समयसीमा बढ़ने के कारण रिफंड की अगली प्रक्रिया स्वाभाविक रूप से बाद में पूरी होगी।’