महंगाई बर्दाश्त की सीमा से बाहर

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 7:42 PM IST

पिछले महीने यानी अगस्त की 7 तारीख को बिजनेस स्टैंडर्ड ने वित्त सचिव डी सुब्बाराव का साक्षात्कार किया था जिन्हें कि अगले तीन वर्षों के लिए रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में नियुक्त किया गया है।


पिछले महीने लिया गया उनका वह साक्षात्कार उनके मौजूदा पद पर रहते हुए शायद अंतिम साक्षात्कार है जिसमें कि सुब्बाराव ने सिध्दार्थ जराबी और रितुपर्णा भुइयां को बताया कि अगले कुछ और महीनों तक महंगाई दोहरे अंकों में रहेगी।

महंगाई के मौजदा स्तर को लेकर आपका आकलन क्या है?

महंगाई का 12 प्रतिशत के नजदीक पहुंच जाना निश्चित तौर पर बर्दाश्त करने की सीमा से बाहर है। पहली प्राथमिकता महंगाई के स्तर में कमी लाने की है लेकिन ऐसा करने में कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि आज जो महंगाई का स्वरूप हम देख रहे हैं वह आयातित किस्म की है।

मौजूदा महंगाई की जड़ें वैश्विक कारकों से जुडी हुई हैं और घरेलू नीतियों से इस पर काबू पा लेना आसान नहीं है। हमें एक बेहतर और मददगार वैश्कि माहौल की जरूरत है। हालांकि तेल की कीमतों में उतार, खाद्य पदार्थों और धातुओं की कीमतों में विश्व स्तर पर आ रही कमी से आने से स्थिति में सुधार हुआ है।

आपको लगता है कि वित्तीय और प्रशासनिक कदमों का कीमतों पर कोई असर पडा है?

तेल की कीमतों में कमी आनी शुरू हो गई है लेकिन अभी यह कहना जल्दबाजी होगी कि कीमतें किस स्तर तक नीचे आएंगी और कहां स्थिर होंगी। आपूर्ति और मांग में असंतुलन केअलावा और भी अन्य कारक हैं जो विश्व स्तर पर तेल की कीमतों को प्रभावित करते हैं, जैसे डॉलर की मजबूती, बाजार में कयास का वातावरण और वैश्विक राजनीतिक परिदृश्य आदि।

मेरा मानना है कि घरेलू खाद्य पदार्थों की कीमतें, यहां तक की वैश्विक स्तर पर भी इनकी कीमतें पिछले साल की तुलना में सामान्य रहेंगी। लगभग यही स्थिति धातुओं की कीमत की भी रहेंगी क्योंकि आपूर्ति में तेजी आती प्रतीत हो रही है।

अत: मेरा मानना है कि जितने भी वैश्विक कारक हैं उस लिहाज से हम एक सीमा पर हैं और अब महंगाई के स्तर में कमी आनी चाहिए। हालांकि अगले कुछ महीनों में महंगाई से बहुत ज्यादा राहत मिलने के आसार नहीं हैं ।

महंगाई को रोकने के उपाय कितने कारगर रहे हैं?

असर तो जरूर पडा है। लोग अभी भी यह पूछ रहे हैं कि महंगाई को नियंत्रित करने के लिए उठाए गए कदमों के बाद भी यह थमने का नाम क्यों नहीं ले रही है।

First Published : September 2, 2008 | 10:25 PM IST