बांग्लादेश से समझौते पर भारत सतर्क

बांग्लादेश व्यापक रूप से भारत के उत्पादों पर निर्भर है और वह भारत का सातवां बड़ा निर्यात बाजार है। ऐसे में व्यापार संतुलन व्यापक तौर पर भारत के पक्ष में है।

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श्रेया नंदी   
Last Updated- December 25, 2023 | 10:26 AM IST

चीन समर्थित व्यापार संगठन क्षेत्रीय समग्र आर्थिक साझेदारी (आरसीईपी) में शामिल होने की बांग्लादेश की इच्छा से भारत चौकन्ना हो गया है। इस मामले से जुड़े सूत्रों ने कहा कि भारत अब बांग्लादेश के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर बातचीत शुरू करने के पहले आरसीईपी के संभावित असर का मूल्यांकन करना चाहता है।

बांग्लादेश व्यापक रूप से भारत के उत्पादों पर निर्भर है और वह भारत का सातवां बड़ा निर्यात बाजार है। ऐसे में व्यापार संतुलन व्यापक तौर पर भारत के पक्ष में है।
वहीं दूसरी तरफ चीन, बांग्लादेश का सबसे बड़ा आयात साझेदार है, उसके बाद भारत का स्थान है।

भारत की चिंता यह है कि बांग्लादेश की चीन से आयात पर व्यापक निर्भरता है। इसकी तुलना में भारत पर निर्भरता कम है। डर यह है कि अगर बांग्लादेश आरसीईपी में शामिल हो जाता है तो यह मसला बन सकता है।

सरकार से जुड़े अधिकारियों ने कहा कि भारत को बांग्लादेश के बाजार को लेकर गहराई से अध्ययन करना पड़ेगा कि अगर ढाका आरसीईपी में शामिल होता है तो भारत, बाजार का कितना हिस्सा गंवा सकता है।

सरकार आरसीईपी देशों के उन बाजारों को भी चिह्नित करेगा कि कहां पर भारत की बांग्लादेश से प्रतिस्पर्धा होगी। उपरोक्त उल्लिखित सूत्रों में से एक ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘यूरोपियन यूनियन (ईयू) और यूरोपियन फ्री ट्रेड एसोसिएशन (ईएफटीए) देशों ने भी 2029 तक जनरलाइज्ड सिस्टम आफ प्रेफरेंस (जीएसपी) लाभों को बढ़ाने को लेकर सहमति जताई है। हमें एफटीए के पहले स्थिति को देखते हुए इन सभी का मूल्यांकन करना होगा।’

बांग्लादेश 15 देशों वाले आरसीईपी समझौते में आवेदन करने पर अंतिम फैसला अगले माह होने जा रहे आम चुनाव के बाद करेगा।

संयुक्त सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के हिसाब से विश्व का सबसे बड़ा एफटीए माने जा रहे आरसीईपी में 10 देशों के एसोसिएशन आफ द साउथईस्ट एशियन नेशन (आसियान) ब्लॉक और इसके 5 एफटीए साझेदार न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, चीन, जापान और दक्षिण कोरिया के बीच समझौता हुआ है।

पिछले साल प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने सबसे कम विकसित देश (एलडीसी) का दर्जा नवंबर 2026 में समाप्त होने के पहले एक व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (सीईपीए) के लिए बातचीत पूरी करने का फैसला किया था।

भारत के साथ व्यापार समझौते को अंतिम रूप देना बांग्लादेश के लिए अहम होगा। ऐसा इसलिए है, क्योंकि अबसे 3 साल बाद बांग्लादेश एलडीसी छूट खो देगा, जो उसे भारत से दक्षिण एशिया मुक्त व्यापार समझौते (साफ्टा) से मिल रहा है।

यह भी एक वजह है, जिसके कारण बांग्लादेश 11 देशों के साथ नए एफटीए पर हस्ताक्षर करने पर विचार कर रहा है। बांग्लादेश का अब तक किसी देश से कोई एफटीए नहीं है।
वित्त वर्ष 2023 के दौरान बांग्लादेश को होने वाला निर्यात वित्त वर्ष 2022 की तुलना में एक चौथाई घटकर 12 अरब डॉलर रह गया है। प्रमुख निर्यातों में औद्योगिक सामान, कपास, बिजली और खाद्य वस्तुएं व अन्य शामिल हैं।

बांग्लादेश से होने वाला आयात, वहां होने वाले निर्यात की तुलना में कम है। इसमें वित्त वर्ष 23 में 10 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है और यह 2.19 अरब डॉलर हो गया है। बांग्लादेश से भारत में लोहे और स्टील के उत्पाद, टेक्सटाइल और चमड़े के सामान व अन्य वस्तुएं आती हैं।

 

First Published : December 25, 2023 | 10:05 AM IST