भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा आज जारी आंकड़ों से पता चलता है कि जून तिमाही में भारत के चालू खाते के घाटे में खासी वृद्धि हुई है। आंकड़ों के अनुसार अप्रैल से जून के दौरान देश का चालू खाते का घाटा 23.9 अरब डॉलर यानी जीडीपी का 2.8 फीसदी हो गया। इससे पिछली तिमाही यानी जनवरी से मार्च 2022 के दौरान चालू खाते का घाटा 13.4 अरब डॉलर था, जो जीडीपी का करीब 1.5 फीसदी रहा था।
भारत ने पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही यानी अप्रैल से जून 2021 के बीच चालू खाते का अधिशेष रहा था, जो 6.6 अरब डॉलर यानी जीडीपी का 0.9 फीसदी था। पिछले पूरे वित्त वर्ष के लिए चालू खाते का घाटा 38.7 अरब डॉलर यानी जीडीपी का 1.2 फीसदी रहा था।
इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही के लिए चालू खाते का घाटा विश्लेषकों के अनुमान से कम है। विश्लेषकों ने अनुमान जाहिर किया था कि तिमाही के दौरान चालू खाते का घाटा जीडीपी का करीब 3 फीसदी हो सकता है।
आरबीआई ने कहा, ‘वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में वस्तु व्यापार घाटा बढ़ने के कारण चालू खाते के घाटे में वृद्धि हुई है। तिमाही के दौरान वस्तु व्यापार घाटा बढ़कर 68.6 अरब डॉलर हो गया, जो वित्त वर्ष 2021-22 की चौथी तिमाही में 54.5 अरब डॉलर था। साथ ही निवेश आय भुगतान देश से बाहर जाने के कारण भी घाटा बढ़ा।’
रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण 2022 में भारत के आयात बिल में तेजी दिखने लगी थी। युद्ध के कारण दुनिया भर में जिंस कीमतों में भारी तेजी दर्ज की गई थी। अप्रैल से अगस्त की अवधि में भारत का व्यापार घाटा बढ़कर 125.22 अरब डॉलर हो गया, जो एक साल पहले की समान अवधि में 53.78 अरब डॉलर रहा था। डॉलर के मुकाबले रुपये में इस साल अब तक 9.2 फीसदी गिरावट आई है।
चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान शुद्ध सेवा प्राप्तियों में तिमाही और सालाना दोनों आधारों पर वृद्धि दर्ज की गई। आरबीआई ने कहा कि कंप्यूटर और कारोबारी सेवाओं का निर्यात बढ़ने से शुद्ध सेवा प्राप्तियों में वृद्धि हुई। सेवाओं के निर्यात में 35.4 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई। रिजर्व बैंक ने कहा कि इसे मुख्य तौर पर कंप्यूटर, कारोबार, परिवहन एवं यात्रा सेवाओं में व्यापक वृद्धि से रफ्तार मिली। विदेश में कार्यरत भारतीय लोगों द्वारा प्रेषित रकम तिमाही के दौरान 22.6 फीसदी बढ़कर 25.6 अरब डॉलर हो गई।
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, ‘हालांकि व्यापार घाटा बढ़ गया है, लेकिन सॉफ्टवेयर और प्रेषण से काफी सहारा मिला है, जिसमें क्रमशः 30.7 अरब डॉलर और 23 अरब डॉलर का शुद्ध प्रवाह देखा गया है।’ उन्होंने कहा कि ये आंकड़े पिछली 4 तिमाहियों के मुकाबले अधिक थे और ऐसे समय पर आए, जब यूक्रेन युद्ध अपने चरम पर था।
