भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) का व्यवसाय गतिविधि सूचकांक कोरोनावायरस महामारी से पूर्व के स्तर से नीचे आ गया है। महामारी नियंत्रित करने के लिए विभिन्न शहरों और राज्यों में लगाए गए लॉकडाउन और अन्य प्रतिबंधों से यह सूचकांक प्रभावित हुआ है।
भारत के सबसे बड़े बैंक का घरेलू सूचकांक गिरकर 75.7 पर आ गया है। यह स्तर बैंक ने अगस्त 2020 में छुआ था। यह महामारी पूर्व स्तर से 24.3 प्रतिशत की गिरावट है।
इस सूचकांक से पता चलता है कि श्रमिक भागीदारी और विद्युत खपत को छोड़कर, सभी संकेतकों में अप्रैल में भारी गिरावट आई। एसबीआई के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष के अनुसार, हालांकि पहली लहर के मुकाबले इस बार श्रम बाजार में समस्याएं दूर होने की संभावना है। एसबीआई को वित्त वर्ष 2022 की वृद्घि अनुमान वास्तविक जीडीपी के 10.4 प्रतिशत और सामान्य जीडीपी के लिए 14.2 प्रतिशत पर रहने की संभावना है। वृद्घि के लिए आरबीआई का अनुमान 10.5 प्रतिशत है, लेकिन विश्लेषकों ने अपने वृद्घि अनुमानों में कमी लानी शुरू कर दी है।
भारत और अन्य देशों के आंकड़े एवं अनुभव के आधार पर एसबीआई ने कहा है, ‘महामारी की दूसरी लहर से देश प्रभावित हुआ है, लेकिन यह महामारी 20 दिन में अपने चरम पर पहुंच सकती है।’
एसबीआई ने कहा, ‘माना जा रहा है कि दूसरी लहर का पीक स्तर मई के मध्य में आएगा और सक्रिय मामलों की संख्या उस समय करीब 36 लाख पर पहुंच जाएगी।’ चूंकि ज्यादातर टीका उत्पादन निर्धारित है, बड़े बैच उत्पादन के लिए प्रति खुराक लागत छोटे बैच के मुकाबले कम है।
घोष ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है, ‘टीकों की उत्पादन क्षमता में वृद्घि और नए टीकों के आयात से हमें विश्वास है कि अक्टूबर 2021 तक भारत में कुल 104.8 करोड़ खुराक दी जा सकेंगी, जिनमें 15 प्रतिशत आबादी को पूरी तरह टीका लग सकेगा और 63 प्रतिशत आबादी को पहले टीका लग सकता है।’ उन्होंने कहा कि अन्य देशों का अनुभव यह दर्शाता है कि 15 प्रतिशत आबादी को दूसरी खुराक मिलने के बाद संक्रमण स्थिर हुआ है।
एसबीआई के अनुसार, ‘भारत जैसे देश (जहां हरेक राज्य, शहर और एक स्थान से दूसरे में जनसांख्यिकी को लेकर स्थिति अलग अलग है) में, ज्यादा विकेंद्रीकृत दृष्टिकोण अधिक तर्कसंगत दिख रहा है।’