प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
GST Council Meeting 2025: नई दिल्ली में 3 और 4 सितंबर को होने वाली 56वीं GST काउंसिल की बैठक में देश के टैक्स सिस्टम में बड़े बदलाव की चर्चा होगी। यह GST लागू होने के बाद से सबसे बड़े सुधारों में से एक हो सकता है। 2 सितंबर को अधिकारियों की बैठक में इसकी रूपरेखा तैयार की जाएगी। इस बैठक में टैक्स दरों, नियमों में ढील और राज्यों को राजस्व मुआवजे जैसे अहम मुद्दों पर बात होगी।
GST काउंसिल टैक्स दरों, छूट और नियमों को लेकर सुझाव देने वाली एक अहम संस्था है। इसे केंद्र और राज्यों के बीच सहमति से फैसले लेने की जिम्मेदारी दी गई है। इसकी अध्यक्षता केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण करती हैं। इसमें सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के वित्त मंत्री शामिल होते हैं। साथ ही केंद्र के बड़े अधिकारी भी इसमें हिस्सा लेते हैं। फैसले लेने के लिए या तो सभी की सहमति चाहिए या फिर वोटिंग होती है, जिसमें केंद्र के पास 33% और राज्यों के पास सामूहिक रूप से 67% वोट होते हैं।
इस बार की बैठक में टैक्स दरों को आसान करने पर सबसे ज्यादा जोर है। सूत्रों के मुताबिक, मौजूदा चार टैक्स स्लैब (5%, 12%, 18% और 28%) को घटाकर दो स्लैब (5% और 18%) करने का प्रस्ताव है। 12% और 28% के स्लैब को पूरी तरह खत्म किया जा सकता है। इसके अलावा, तंबाकू, पान मसाला और लग्जरी गाड़ियों जैसे सिन गुड्स पर 40% टैक्स लगाने की बात है। हालांकि, हाई-एंड गाड़ियों पर पहले से चल रहे 50% के प्रभावी टैक्स में कोई बदलाव नहीं होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में इसे “नेक्स्ट जेनरेशन रिफॉर्म” बताया था, जिसका मकसद टैक्स सिस्टम को आसान करना और विवादों को कम करना है।
बैठक में आम लोगों की जेब को राहत देने की भी कोशिश होगी। टूथपेस्ट, शैंपू और टैल्कम पाउडर जैसी रोजमर्रा की चीजों पर GST को 18% से घटाकर 5% करने का प्रस्ताव है। इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे TV और एयर कंडीशनर पर भी टैक्स को 28% से कम करके 18% किया जा सकता है। इससे त्योहारी सीजन में बिक्री बढ़ने की उम्मीद है। ऑटोमोबाइल सेक्टर में हाइब्रिड कारों पर GST को 28% से घटाकर 18% करने की चर्चा है। साथ ही, 350CC से कम इंजन वाली बाइक पर भी टैक्स को 18% तक लाया जा सकता है। हालांकि, बड़े SUV और लग्जरी कारों पर टैक्स बढ़ सकता है।
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GST काउंसिल इस बार कॉरपोरेट्स के लिए ग्रुप हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस पर इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) को लेकर भी बात करेगी। अभी व्यक्तिगत इंश्योरेंस पॉलिसी पर टैक्स से छूट है, लेकिन ग्रुप पॉलिसी पर 18% GST लगता है। अब इस पर ITC में राहत देने पर विचार हो सकता है। इससे कंपनियों को कुछ फायदा होगा।
बैठक में राज्यों को होने वाले राजस्व नुकसान पर भी गहन चर्चा होगी। कर्नाटक, केरल, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और हिमाचल प्रदेश जैसे आठ विपक्षी शासित राज्यों ने चेतावनी दी है कि टैक्स दरों में बदलाव से हर साल 1.5 से 2 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है।
इन राज्यों का कहना है कि इसमें 70% से ज्यादा बोझ राज्यों को उठाना पड़ेगा। इन राज्यों ने सुझाव दिया है कि सिन गुड्स पर 40% से ऊपर एक अतिरिक्त टैक्स लगाया जाए, जिसका पूरा पैसा राज्यों को मिले। साथ ही, कम से कम पांच साल तक राज्यों को पूरा राजस्व मुआवजा देने की मांग की गई है। केंद्र ने अभी तक राजस्व नुकसान का आधिकारिक अनुमान नहीं दिया है, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि खत्म हो रहे मुआवजा सेस की जगह एक नया टैक्स लगाया जा सकता है, जो राज्यों के लिए होगा।
टैक्स कटौती की उम्मीद में ऑटोमोबाइल सेक्टर में ग्राहक खरीदारी टाल रहे हैं। इससे लोकप्रिय मॉडल्स पर 55,000 से 1.15 लाख रुपये तक की बचत हो सकती है। फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (FADA) ने हाल ही में वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल को बताया कि अगस्त के आखिरी हफ्ते में शोरूम में ग्राहकों की संख्या और बुकिंग में 25% की कमी आई है। वहीं, FMCG सेक्टर में हिंदुस्तान यूनिलीवर, गोदरेज और ITC जैसी कंपनियों को रोजमर्रा की चीजों पर टैक्स कम होने से फायदा होगा। शेयर बाजार भी इस बैठक पर नजर रखे हुए है, क्योंकि टैक्स कटौती से खपत बढ़ सकती है और इसका असर वित्तीय स्थिति पर भी पड़ेगा।
अगर GST काउंसिल में सहमति बनती है, तो सितंबर के मध्य तक नई टैक्स दरों की अधिसूचना जारी हो सकती है। ये बदलाव अक्टूबर से लागू हो सकते हैं, जो दिवाली और बिहार विधानसभा चुनाव से पहले होंगे। बिहार में नवंबर में चुनाव होने हैं, और टैक्स कटौती से बाजार में रौनक बढ़ने की उम्मीद है।