बाढ़ और बारिश से सिर्फ बिहार ही नहीं, उत्तर प्रदेश, पंजाब, महाराष्ट्र, उड़ीसा और असम को भी करोड़ों रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है।
उत्तर प्रदेश : बाढ़ से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, बागपत, पीलीभीत, गाजियाबाद और गौतमबुध्दनगर जिलों के गांव प्रभावित हैं। यहां की हजारों एकड़ जमीन की धान एवं गन्ने की फसल को भारी नुकसान पहुंचने की आशंका है।
इन इलाकों में हाईअलर्ट घोषित कर दिया गया है। मुजफ्फरनगर जिले के कैराना, झिझाना, वादर क्षेत्र में यमुना का जलस्तर बढ़ने से इलाके की फसलें डूब चुकी है। सहारनपुर, बागपत, गौतमबुध्दनगर में भी कई गांवों की फसल बर्बाद हुई है।
लखीमपुर स्थित शारदा नदी पर बने बांध से पानी छोडे ज़ाने के बाद एक बार फिर सीतापुर बाढ़ की बर्बादी से दो-चार हो रहा है। जिले की विभिन्न तहसीलों में बसे एक सौ से अधिक गांव बाढ़ की चपेट में हैं।
उड़ीसा : उड़ीसा में मुख्य रूप से कटक, पुरी, केंद्रपाड़ा एवं जगतसिंहपुर बाढ़ की चपेट में है। भुवनेश्वर व पुरी के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग का संपर्क टूट चुका है। पुरी में रोजाना 4000-5000 पर्यटकों की आवाजाही होती थी, जो बिल्कुल ठप है।
10,000 हेक्टेयर में लगी धान की फसल के बह जाने की आशंका है। उड़ीसा से अन्य राज्यों में होने वाली लौह अयस्क की आपूर्ति ठप हो चुकी है। पारादीप से रोजाना 10,000 ट्रक निकलते थे, लेकिन बाढ़ के कारण एक भी ट्रक यहां से नहीं निकल पा रहा है।
समुद्री इलाके में बाढ़ के कारण नारियल एवं झींगा निर्यातकों को भारी झटका लगने का अनुमान है। 17 जिलों के लगभग 1000 गांव के अधिकतर मकानों के ढह जाने की भी बात कही जा रही है।
साथ ही भारी संख्या में मवेशियों के मरने एवं पानी में बह जाने की अनुमान लगाया गया है।
पंजाब : पंजाब में मुख्य रूप से कपूरथला, मोगा, संगरूर एवं लुधियाना इलाकों के 150 से अधिक गांव बाढ़ की चपेट में हैं।
बाढ़ के कारण पंजाब में पिछले दस सालों में सबसे अधिक तबाही इस साल हुई है। अभी इस बात का आंकलन नहीं किया जा सका है कि कितने एकड़ जमीन की फसल बर्बाद हो चुकी है, लेकिन इतना तय है कि हजारों एकड़ में लगी धान की फसल किसी लायक नहीं रही और इसकी सीधा असर पंजाब के चावल उत्पादन पर पड़ेगा।
इनमें से तो कुछ गांवों में सिर्फ बासमती धान एवं पूसा 1121 जैसे उम्दा चावल की खेती होती है। बाढ़ में अनाज के सैकड़ों क्विंटल स्टॉक भी बह चुके है।
असम : इस राज्य में 20 जिले बाढ़ की चपेट में हैं।
धुब्री, जोरहट, कामरूप, लखीमपुर, धेमाजी एवं मोरीगांव के इलाकों में बाढ़ ने भयंकर तबाही मचायी है। 20 लाख से अधिक लोग बाढ़ से प्रभावित हैं। यहां 2 लाख हेक्टेयर जमीन की फसल बर्बाद हो चुकी है।
बाढ़ के कारण 3 लाख हेक्टेयर जमीन के नदी में समा जाने की संभावना जतायी जा रही है। 170 गांव पूर्णरूप से जलमग्न हो चुके हैं।
महाराष्ट्र : महाराष्ट्र एवं कर्नाटक में प्याज किसानों को बारिश के कारण भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। इन इलाकों के प्याज बारिश के कारण सड़ चुके हैं और किसानों को उसकी सही कीमत नहीं मिल पा रही है।
दिल्ली की आजादपुर मंडी में महाराष्ट्र के प्याज 6-9 रुपये प्रति किलोग्राम के भाव बिक रहे है। व्यापारियों का कहना है कि अगर ये प्याज सड़े नहीं होते तो इसकी कीमत कम से कम 12 रुपये प्रति किलोग्राम होती।
व्यापारियों के मुताबिक, बेंगलुरू की मंडी में तो और भी बुरा हाल है। वहां 100 बोरी में 80 बोरी प्याज बारिश के कारण सड़े हुए निकल रहे हैं।