अर्थव्यवस्था

भारत की बड़ी जीत: FTA से ‘ऊर्जा और कच्चा माल’ अध्याय हटाने पर सहमत हुआ यूरोपीय संघ, जानें क्या है इसके मायने

इसमें भारत से पेट्रोलियम उत्पादों, रसायनों, कपास, लौह और इस्पात तथा अन्य महत्त्वपूर्ण धातुओं जैसे कच्चे माल की निर्बाध आपूर्ति की प्रतिबद्धता अनिवार्य करने का प्रावधान था।

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असित रंजन मिश्र   
Last Updated- June 10, 2025 | 11:03 PM IST

भारत ने यूरोपीय संघ (ईयू) को प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के तहत ‘ऊर्जा और कच्चा माल’ अध्याय को बातचीत से अलग रखने के लिए मना लिया है। यूरोपीय संघ ने एकतरफा तरीके से उस अध्याय को शामिल किया था। इसमें भारत से पेट्रोलियम उत्पादों, रसायनों, कपास, लौह और इस्पात, तांबा तथा अन्य महत्त्वपूर्ण धातुओं जैसे कच्चे माल की निर्बाध आपूर्ति की प्रतिबद्धता अनिवार्य करने का प्रावधान था। 12 से 16 मई को नई दिल्ली में मुक्त व्यापार समझौते के लिए 11वें दौर की बातचीत के समापन के बाद यूरोपीय आयोग ने एक बयान में कहा था, ‘इस पर वार्ता से पहले सहमति बनी थी कि ऊर्जा और कच्चे माल के अध्याय पर चर्चा को फिलहाल अलग रखा जाएगा।’

कोविड-19 महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध जैसी भू-राजनीतिक घटनाओं के कारण वि​भिन्न देशों में ऊर्जा और कच्चे माल की आपूर्ति की सुरक्षा को लेकर जबरदस्त रुचि पैदा हुई है। चीन द्वारा हाल ही में दुर्लभ खनिज मैग्नेट के निर्यात पर प्रतिबंध ने भी विविध स्रोतों से विश्वसनीय आपूर्ति श्रृंखला सुनिश्चित करने की आवश्यकता बताई है।

यूरोपीय संघ अधिकांश कच्चे माल की आपूर्ति के लिए पूरी तरह तीसरे देशों पर निर्भर है। आपूर्ति जोखिम को कम करने के लिए यूरोपीय संघ ने तय ​किया है कि 2030 से किसी भी महत्त्वपूर्ण कच्चे माल की आपूर्ति का 65 फीसदी से अधिक हिस्सा किसी एक देश से आयात नहीं किया जाएगा।

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि यूरोपीय संघ का व्यापार समझौते का रुख विरोधाभासों से भरा है क्योंकि वह विकासशील देशों से कोई प्रतिबंध नहीं चाहता है जबकि कार्बन-उत्सर्जन वाली वस्तुओं पर कर, सख्त प्रौद्योगिकी हस्तांतरण नियंत्रण जैसे प्रतिबंध को लागू करने का अधिकार अपने पास रखता है।

उन्होंने कहा, ‘यह दोहरा मापदंड चुनिंदा दृष्टिकोण को उजागर करता है। एक जो दूसरों के संसाधनों तक खुली पहुंच चाहता है जबकि अपने दरवाजे मूल्य वर्धित निर्यात और औद्योगिक विकास के लिए बंद कर रहा है। भारत ऐसी विषमता को स्वीकार नहीं कर सकता है। एक निष्पक्ष मुक्त व्यापार करार पारस्परिक दायित्वों को प्रतिबिंबित करने वाला होना चाहिए न कि कच्चे माल के एकतरफा प्रवाह के हिसाब से।’

यूरोपीय संघ के अध्यक्ष वॉन डेर लेयेन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 फरवरी को संयुक्त रूप से घोषणा की थी कि दोनों पक्ष 2025 के अंत तक मुक्त व्यापार करार को पूरा करना चाहते हैं। वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि बातचीत तेजी से आगे बढ़ रही है और साल के अंत की समयसीमा से पहले भी समझौता किया जा सकता है।

यूरोपीय संघ ने अपने बयान में कहा कि वार्ता के 11वें दौर के दौरान पारदर्शिता, बेहतर नियमन, सीमा शुल्क और व्यापार सुविधा तथा बौद्धिक संपदा अधिकार जैसे कई अध्याय पर सफल चर्चा पूरी हो गई है। महत्त्वपूर्ण आईपीआर अध्याय पर यूरोपीय संघ ने कहा, ‘वार्ताकारों ने विभिन्न पहलुओं पर समझौता प्रस्तावों का आदान-प्रदान किया और इस अध्याय की बातचीत समाप्त हो गई।’

First Published : June 10, 2025 | 10:22 PM IST