कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय ने जमा नियमों में संशोधन करते हुए इसे उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग की मौजूदा स्टार्टअप परिभाषा के अनुरूप बना दिया है। इसके तहत कंपनी के निगमीकरण की तारीख से छूटों की सीमा को बढ़ाकर 10 वर्ष तक कर दिया गया है।
नए संशोधन के बाद स्टार्टअप को एक बार में परिवर्तनीय नोट से मिले 25 लाख रुपये या उससे ऊपर की रकम जो 10 वर्ष की एक निश्चित अवधि में ही इक्विटी शेयरों में बदलने योग्य या पुनर्भुगतान योग्य है को जमा नहीं माना जाएगा। इससे पहले यह अवधि 5 वर्ष थी।
स्पष्टीकरण में स्टार्टअप कंपनी की परिभाषा के लिए अब 19 फरवरी, 2019 की डीपीआईआईटी अधिसूचना का संदर्भ दिया जाता है जिसके मुताबिक कोई संस्था अपने निगमीकरण से 10 वर्ष की अवधि तक स्टार्टअप माना जाएगा।