facebookmetapixel
SBI से लेकर BoB तक, 444-दिन की स्पेशल FD लेने पर कौन सा बैंक देगा सबसे ज्यादा ब्याज?20% नीचे मिल रहा इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी का शेयर, ब्रोकरेज ने कहा- खरीद लें, 30% मिल सकता है रिटर्नTop Conviction Ideas: Hindalco, APL Apollo Tubes को खरीदने की सलाह, 19% तक रिटर्न की संभावनाDigital Life Certificate: सिर्फ एक सेल्फी में पूरा होगा काम, डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट अब मिनटों में; जानें कैसेदिसंबर 2026 तक 1,07,000 पहुंच सकता है सेंसेक्स, मॉर्गन स्टेनली का बुल-केस अनुमान; लेकिन ये हैं बड़े खतरे₹2 लाख करोड़ आ सकते हैं भारत में! ब्लूमबर्ग जल्द कर सकता है बड़ा ऐलानDelhi Pollution: दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण आपातकाल, AQI 600 पार; GRAP स्टेज 4 से कड़े नियम लागूअगर आपने SBI YONO ऐप में आधार अपडेट नहीं किया तो क्या होगा? जानें पूरी सच्चाईEmmvee Photovoltaic IPO की फ्लैट लिस्टिंग, निवेशकों को नहीं मिला लिस्टिंग गेन; शेयर ₹217 पर लिस्ट₹20 लाख की कारें धड़ाधड़ बिक रही हैं… भारतीय कर रहे धुआंधार खरीदारी, क्या है वजह?

आधी होंगी केंद्र द्वारा प्रायोजित योजनाएं

Last Updated- December 11, 2022 | 9:27 PM IST

केंद्र सरकार ने 1 अप्रैल  से लागू केंद्र प्रायोजित योजनाओं (सीएसएस) की संख्या घटाकर आधी कर दी है। अपना मकसद पूरा कर चुकी कुछ परियोजनाओं को जहां बंद कर दिया गया है, वहीं कम आवंटन वाली परियोजनाओं का विलय ज्यादा असरदार परियोजनाओं के साथ कर दिया गया है।
योजनाओं की संख्या 1 अप्रैल, 2020 को 130 थीं, जिनकी संख्या घटाकर 65 कर दी गई है। बहरहाल इसमें 5 नई परियोजनाएं भी जोड़ी गई हैं। इस तरह से अब केंद्र प्रायोजित योजनाओं की संख्या 70 हो गई है। वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘परियोजनाओं की संख्या युक्तियुक्त बनाने का काम अब पूरा हो गया है।’  
जिन 5 नई योजनाओं को शामिल किया गया है, उनमें आत्मनिर्भर भारत हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर मिशन, खाद्य प्रसंस्करण इंटरप्राइज योजना, मत्स्य संपदा योजना, स्ट्रेंथनिंग टीचिंग-लर्निंग ऐंड रिजल्ट्स फॉर स्टेट्स (स्टार्स) और  प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों के डिजिटलीकरण की योजना शामिल हैं।
कृषि जनगणना और सांख्यिकी पर एकीकृत योजना, कृषि विपणन पर एकीकृत योजना, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन, राष्ट्रीय वानिकी मिशन, राष्ट्रीय बांस मिशन, राष्ट्रीय तिलहन एवं ऑयल पॉम मिशन को एक में मिलाकर कृषि उन्नति योजना बनाई गई है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने  वित्त वर्ष 22 के अपने बजट भाषण में कहा था, ’15वें वित्त आयोग की सिफारिशों के मुताबिक हमने केंद्र प्रायोजित योजनाओं की संख्या कम करने की विस्तृत कवायद शुरू की है। इससे बेहतर प्रभाव के लिए एकीकृत आवंटन सुनिश्चित
हो सकेगा।’
केंद्र से मिले धन के इस्तेमाल के लिए राज्यों को सीएसएस में 40 प्रतिशत अंशदान करने की जरूरत होती है। हालांकि इसमें पूर्वोत्तर के राज्यों को 10 प्रतिशत ही अंशदान करना होता है। इससे राज्यों की वह राशि घट जाती है, जो उन्हें अपनी मर्जी से खर्च कर सकते हैं। राज्य योजनाओं को लागू करने में ज्यादा लचीलेपन की मांग करते रहे हैं, जबकि अपनी हिस्सेदारी कम करने की भी मांग कर रहे हैं।
नीति आयोग के तहत मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान की अध्यक्षता में 2015 में गठित मुख्यमंत्रियों के उपसमूह सहित पहले की कई समितियों ने कहा था कि सीएसएस की सबके लिए एकसमान योजना के विपरीत परिणाम आ रहे हैं। राज्यों ने केंद्र से अनुरोध किया है कि इस तरह का धन उन्हें सीधे दिया जाए, जिससे वे अपनी जरूरत के मुताबिक योजनाएं बना सकें।
15वें वित्त आयोग के मुताबिक सीएसएस के तहत 30 में से 15 परियोजनाओं को सीएसएस के तहत कुल आवंटन की करीब 90 प्रतिशत राशि मिलती है। इनमें से तमाम योजनाएं बहुत छोटी हैं और कुछ को तो बहुत मामूली राशि मिलती है।
वित्त आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, ‘सालाना आवंटित राशि की एक सीमा तय की जानी चाहिए और एक सीएसएस को अगर उससे कम आवंटन हो रहा है, तो उसे रोका जा सकता है। नियत की गई सीमा के नीचे की धनराशि होने पर योजना जारी रखने के लिए प्रशासनिक विभाग उसे उचित ठहराने के तर्क दे सकता है।’
वित्त आयोग ने कहा था कि केंद्र सरकार द्वारा संयुक्त रूप से वित्त पोषित सीएसएस के मामले में लचीलापन होना चाहिए और राज्यों को उसमें बदलाव और अपनी जरूरत के मुताबिक उसका प्रारूप तैयार करने की अनुमति होनी चाहिए।

First Published - February 3, 2022 | 11:05 PM IST

संबंधित पोस्ट